nabi se mohabbat नबी से मोहब्बत nabi ki ummat se mohabbat nabi se mohabbat shayari nabi se mohabbat quotes nabi se mohabbat ki ho to jano sahaba ki nabi se mohabbat hai nabi se mohabbat ka dawa nabi ke sahaba se ulfat mohabbat

nabi se mohabbat नबी से मोहब्बत 

हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की मोहब्बत अस्ल ईमान बल्कि ईमान उसी मोहब्बत ही का नाम है । 
जब तक हुजूर की मोहब्बत माँ , बाप , औलाद और सारी दुनिया से ज़्यादा न हो आदमी मुसलमान हो ही नहीं सकता । 
nabi se mohabbat नबी से मोहब्बत nabi ki ummat se mohabbat  nabi se mohabbat shayari  nabi se mohabbat quotes  nabi se mohabbat ki ho to jano  sahaba ki nabi se mohabbat hai  nabi se mohabbat ka dawa  nabi ke sahaba se ulfat mohabbat
NABI SE MOHABBAT

अकीदा : - हुजूर की इताअत ऐन ( बिल्कुल ) इताअते इलाही है और इताअते इलाही बिना हुजूर की इताअत के नामुमकिन है । 
यहाँ तक कि कोई मुसलमान अगर फ़र्ज़ पढ़ रहा हो और हुजूर उसे याद फरमाएं मतलब आवाज़ दें तो वह फौरन जवाब दे और उनकी खिदमत में हाज़िर हो । 
वह शख्स जितनी देर तक भी हुजूर से बात करे वह उस नमाज़ में ही है । 
इससे नमाज़ में कोई खलल नहीं । 
अकीदा : - हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ताजीम व अज़मत का एअतिकाद रखना ईमान का हिस्सा और ईमान का रूक्न है और ईमान के बाद ताजीम का काम हर फर्ज से पहले है । 
हुजूर की मोहब्बत भरी इताअत बहुत से वाकिआत मिलते हैं । 
यहाँ समझाने के लिए नीचे दो वाकिआत लिखे जाते हैं जो कि हदीसे पाक में गुजरे । 
( 1 ) हदीस शरीफ में है कि ' गज़वये खैबर से वापसी में हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ' सहबा'नाम की जगह पर अस्र की नमाज़ पढ़कर मौला अली मुश्किल कुशा रदियल्लाहु तआला अन्हु के जानू पर अपना मुबारक सर रख कर आराम फरमाने लगे । 
मौला अली ने अस्र की नमाज़ नहीं पढ़ी थी । 
देखते देखते सूरज डूब गया और अस्र की नमाज़ का वक़्त चला गया लेकिन हज़रते अली ने अपना ज़ानू इस ख्याल से नहीं सरकाया कि शायद हुजूर के आराम में खलल आये । जब हुजूर ' ने अपनी आँखें खोली तो हज़रते अली ने अपनी अस्र की नमाज़ के जाने का हाल बताया । 
हुजूर ने सूरज को हुक्म दिया डुबा हुआ सूरज पलट आया । मौला अली ने अपनी अस्र की नमाज़ अदा की और जब हज़रते अली ने नमाज़ अदा कर ली तो सूरज फिर डूब गया । 
इससे साबित हुआ कि मौला अली ने हुजूर की इताअत और मोहब्बत में इबादतों में सबसे अफजल नमाज़ और वह भी बीच वाली ( अस्र ) की नमाज़ हुजूर के आराम पर कुर्बान कर दी क्यूँकि हकीकत में बात यह है कि इबादतें भी हमें हुजूर ही के सदके में मिली हैं । 

nabi se mohabbat 
nabi ki ummat se mohabbat 
nabi se mohabbat shayari 
nabi se mohabbat quotes 
nabi se mohabbat ki ho to jano 
sahaba ki nabi se mohabbat hai 
nabi se mohabbat ka dawa 
nabi ke sahaba se ulfat mohabbat


( 2 ) एक दूसरी हदीस यह है कि हिजरत के वक़्त पहले खलीफा हज़रते अबूबक्र रदियल्लाहु तआला अन्हु हुजूर के साथ थे । रास्ते में " गारे सौर मिला । 
गारे सौर में हज़रत अबूबक्र पहले गए देखा कि बहुत से सूराख हैं । 
उन्होंने अपने कपड़े फाड़ फाड़ कर गार के सूराख बन्द किए इत्तिफ़ाक से एक सूराख बाकी रह गया उन्होंने उस सूराख में अपने पाँव का अँगूठा रख दिया फिर हुजूर सल्ललाहु तआला अलैहि वसल्लम को बुलाया सरकार तशरीफ ले गये 
और हजरते अबूबक्र सिद्दीक रदियल्लाहु तआला अन्हु के जानू पर सर रखकर आराम फ़रमाने लगे । 
उधर अँगूठे वाले सूराख में एक ऐसा साँप था जो सरकार की ज़ियारत के लिए बहुत दिनों से बेताब था । 
उसने अपना सर हज़रते सिद्दीक के अँगूठे पर रगड़ा लेकिन इस ख्याल से कि हुजूर के आराम में फर्क न आए पाँव को नहीं हटाया । 
आखिरकार उस साँप ने काट लिया । 
साँप के काटने से हजरते सिद्दीके अकबर रदियल्लाहु तआला अन्हु को बहुत तकलीफ हुई । 
यहाँ तक कि हज़रते अबुबक्र की आँखों में आँसू आ गए और आँसूओं के कतरे हुजूर के चेहरए अनवर पर गिरे । सरकार ने आँखें खोल दी । 
हजरते अबूबक्र ने सरकार से अपनी तकलीफ़ और साँप के काटने का हाल बताया । हुजूर ने तकलीफ की जगह पर अपना लुआबे दहन लगा दिया । 
लुआबे दहन लगाते ही उन्हें आराम मिल गया लेकिन हर साल उन्हीं दिनों में साँप के ज़हर का असर ज़ाहिर होता था बारह बरस के बाद उसी जहर से हज़रते अबूबक्र की शहादत हुई । 
nabi se mohabbat नबी से मोहब्बत nabi ki ummat se mohabbat  nabi se mohabbat shayari  nabi se mohabbat quotes  nabi se mohabbat ki ho to jano  sahaba ki nabi se mohabbat hai  nabi se mohabbat ka dawa  nabi ke sahaba se ulfat mohabbat
Nabiyon ka martaba 


अकीदा :-  हुजूर की ताजीम और तौकीर अब भी उसा तरह फर्जे ऐन है जिस तरह उस वक्त थी कि जब हुजूर हमारी ज़ाहिरी आँखों के सामने थे । 
जब हुजूर का जिक्र आए तो बहुत आजिजी , इन्किसारी और ताजीम के साथ सुने और हुजूर का नाम लेते ही और उनका नामे पाक सुनते ही दुरूद शरीफ पढ़ना वाजिब है । अल्ला हुम्मा स्वल्ले अला सय्यदना व मोलाना मोहम्मदिन मअदिनिल जूदि वल करम व अहलिहिल किरामी व असहाबिहिल इजामी व बारिक वसल्लिम 
तर्जमा : - " ऐ अल्लाह तू दूरूद , सलाम और बरकत नाज़िल फरमा हमारे आका व मौला पर जिनका नामे पाक मुहम्मद है । जो सखावत और करम की कान हैं , उनकी करामत वाली औलादों और उनके अज़मत वाले दोस्तों पर भी " । 
हुजूर से मोहब्बत की अलामत यह है कि ज्यादा से ज़्यादा उनका ज़िक्र करे और ज़्यादा से ज़्यादा उन पर दूरूद भेजे । और जब हुजूर का नाम लिखा जाए तो “ सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पूरा लिखा जाए । 
कुछ लोग सलअम या स्वाद लिख देते हैं यह नाजाइज़ व हराम है । 

nabi se mohabbat 
nabi ki ummat se mohabbat 
nabi se mohabbat shayari 
nabi se mohabbat quotes 
nabi se mohabbat ki ho to jano 
sahaba ki nabi se mohabbat hai 
nabi se mohabbat ka dawa 
nabi ke sahaba se ulfat mohabbat

हुजूर से मोहब्बत की पहचान यह भी है । किं हुजूर के आल , असहाब , मुहाजिरीन , अन्सार तमाम सिलसिले और तअल्लुक रखने वालों से मोहब्बत रखी जाए और अगरचे अपना बाप.बेटा , भाई और खानदान का कोई करीबी क्यों न हो अगर हुजूर से उसे किसी तरह की दुश्मनी हो तो उससे अदावत रखी जाए अगर कोई ऐसा न करे तो वह हुजूर के मोहब्बत के दावे में झूटा है । 
सब जानते  हैं  कि सहाबए किराम ने हुजूर सल्ललल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की मोहब्बत में अपने रिश्तेदारों करीबी लोगों बाप भाईयों और वतन को छोड़ा क्यूँकि यह कैसे हो सकता है कि अल्लाह और उसके रसूल से मोहब्बत भी हो और उनके दुश्मनों से भी मोहब्बत बाकी रहे । 
यह दोनों चीजें एक दूसरे की जिद हैं और दो अलग अलग रास्ते हैं एक जन्नत तक पहुँचाता है और एक जहन्नम के घाट उतारता है । 
हुजूर से मोहब्बत की निशानी यह भी है कि हुज़र की शान में जो अल्फाज़ इस्तेमाल किए जायें वह अदब में डूबे हुए हों । कोई ऐसा लफ्ज़ जिससे ताज़ीम में कमी की बू आती हो कभी जुबान पर न लाए । 


अगर हुजूर को पुकारना हो तो उनको उनके नाम के साथ न पुकारो मुहम्मद या मुस्तफा , या मुर्तजा न कहो बल्कि इस तरह कहो : - या नबियल्लाह, या रसूलुल्लाह, या हबीबल्लाह
तर्जमा : " ऐ अल्लाह के नबी , ऐ अल्लाह के रसूल , ऐ अल्लाह के हबीब ।
अगर जियारत की दौलत मिल जाए तो रौज़े के सामने चार हाथ के फासले से अदब के साथ हाथ बाँध कर ( जैसे नमाज़ में खड़े होते हैं ) खड़ा हो कर सर झुकाए हुए सलात ओ सलाम अर्ज करे । 
बहुत करीब न जायें और न इधर उधर देखें और खबरदार कभी आवाज़ बलन्द न करना क्योंकि उम्र भर का सारा किया धरा अकारत ( बेकार ) जाएगा । 
हुजूर से मोहब्बत की निशानी यह भी है कि हुजूर की बातें उनके काम और उनका हाल लोंगों से पूछे और उनकी पैरवी करे । 
हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के अकवाल , अफआल किसी अमल और किसी हालत को अगर कोई हिकारत की नज़र से देखे वह काफिर है । 
अकीदा : - हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह तआला के नाइब हैं । 
सारा आलम हुजूर के तसर्रूफ ( इख्तियार या कब्जे ) में कर दिया गया है।
जो चाहें करें , जिसे जो चाहें दें , जिससे जो चाहें वापस ले लें । 
तमाम जहान में उनके हुक्म का फेरने वाला कोई नहीं तमाम जहान उनका महकूम है । 
वह अपने रब के सिवा किसी के महकूम नहीं और तमाम आदमियों के मालिक हैं । 
जो उन्हें अपना मालिक न जाने वह सुन्नत की मिठास से महरूम रहेगा । 
तमाम ज़मीन उनकी मिल्कियत है , तमाम जन्नत उनकी जागीर है , मलकूतुस्समावाति वल अर्द यानी आसमानों और ज़मीनों के फ़रिश्ते हुजूर ही के दरबार से तकसीम होती हैं । दुनिया और आख़िरत हुजूर की देन का एक हिस्सा है । 


शरीअत के अहकाम हुजूर के कब्जे में कर दिए गए कि जिस पर जो चाहें हराम कर दें और जिस के लिए जो चाहें हलाल कर दें और जो फ़र्ज़ चाहें माफ कर दें । 
अकीदा : - सब से पहले नुबुव्वत का मरतबा हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को मिला और ' मीसाक के दिन'तमाम नबयिों से हुजूर पर ईमान लाने और हुजूर की मदद कर ने का वादा लिया गया । 
और इसी शर्त पर उन नबियों को यह बड़ा मनसब दिया गया ।

nabi se mohabbat 
nabi ki ummat se mohabbat 
nabi se mohabbat shayari 
nabi se mohabbat quotes 
nabi se mohabbat ki ho to jano 
sahaba ki nabi se mohabbat hai 
nabi se mohabbat ka dawa 
nabi ke sahaba se ulfat mohabbat

मीसाक का मतलब यह है कि एक रोज़ अल्लाह तआला ने सब रूहों को जमा करके यह पूछा कि " क्या मैं तुम्हारा रब नहीं हूँ " तो जवाब में सब से पहले हमारे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हाँ , कहा था 
तो अल्लाह तआला ने सब को और सारे नबियों को हुजूर पर ईमान लाने और उनकी मदद करने का वादा लिया था । 
यही ' मीसाक का मतलब है । हुजूर सारे आलम के नबी तो हैं ही लेकिन साथ ही नबियों के भी नबी हैं और सारे नबी हुजूर के उम्मती हैं । 
इसीलिए हर नबी ने अपने अपने ज़माने में हुजूर के काइम मुकाम काम किया अल्लाह तआला ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मुनव्वर किया । 
इस तरह हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हर जगह मौजूद हैं । जैसा कि एक शायर का अरबी शेर है । 
कश्शमसशी फी वस्तिस समाई  व नूरिहा 
यगशल बिलादि  मशारिकन व मगारिबन 
तर्जमा : - " आप ऐसे नूर हैं जैसा कि सूरज बीच आसमान में है और उसकी रौशनी तमाम शहरों में बल्कि मशरिक से मगरिब तक हर सम्त में फैली हुई है । 

गर न बीनद बरोज़ शप्परा चश्म 
चश्मये आफताब रा चे गुनाह 
तर्जमा : - अगर चमगादड़ दिन को नहीं देखता तो इसमें सूरज की किरनों का क्या कुसूर है । 


एक ज़रूरी मसला 

अम्बिया अलैहिमुस्सलातु वस्सलाम से जो लग़ज़िशें हुई उनका ज़िक्र कुरआन शरीफ़ और हदीस शरीफ की रिवायत के अलावा बहुत सख्त हराम है । 
दूसरों को उन सरकारों के बारे में ज़बान खोलने की मजाल और हिम्मत नहीं । 
अल्लाह तआला उनका मालिक है जिस तरह चाहे सुलूक करे और वह उसके प्यारे बन्दे हैं , अपने रब के लिए जैसी चाहें इनकिसारी करें । 
किसी दूसरे के लिए यह हक नहीं कि नबियों ने जो अल्फाज अपने लिए इनकिसारी से इस्तेमाल किए हैं उनको सनद बनाए और उनके लिए बोले । 
फिर यह कि उनके यह काम जिनको लग़ज़िश कहा गया है उनसे बहुत से फायदों और बरकतों का नतीजा निकलता है । 
सय्यिदना हज़रते आदम अलैहिस्सलाम की एक लगजिश को देखिए कि उससे कितने फायदे हैं । 
अगर वह जन्नत से न उतरते तो दुनिया आबाद न होती , किताबें न उतरती , नबी और रसूल न आते आदमी न पैदा होते , आदमियों की ज़रूरत की लाखों चीजें न पैदा की जाती , जिहाद न होते और करोड़ों फायदे की वह चीजें जो हज़रत आदम की लगज़िश के नतीजे में पैदा की गई हैं उनका दरवाज़ा बन्द रहता । 
उन तमाम चीज़ों के वुजूद में आने के लिए हज़रते आदम अलैहिस्सलाम की एक लगजिश का मुबारक नतीजा अच्छा फल है बुनियाद है । 
फिर यह कि नबियों की लग़जिश का यह आलम है कि सिद्दीकीन की नेकियों से भी फजीलत रखती हैं । हमारी और आप की क्या गिनती । 
जैसा कि मसल मशहूर है कि : हसुनातिल अबरारी सय्यातिल मुकर्रिबीन 
तर्जमा : - " नेक लोगों के अच्छे काम मुकर्रबीन के लिए बुराईयाँ हैं । "



nabi se mohabbat 
nabi ki ummat se mohabbat 

nabi se mohabbat quotes 
nabi se mohabbat ki ho to jano 
sahaba ki nabi se mohabbat hai 
nabi se mohabbat ka dawa 
nabi ke sahaba se ulfat mohabbat


nabi se mohabbat shayari 

Duniya Se Dil Lagakar Duniya Se Kya Milega,
Yaad-e-Khuda Kiye Ja Tujh Ko Khuda Milega,
Daulat Ho Ya Hukoomat Taqat Ho Ya 
Jawani, Har Cheez Mitne Wali Har Cheez Aani Jaani.


दुनिया से दिल लगाकर दुनिया से क्या मिलेगा , 
याद - ए - खुदा किये जा तुझ को खुदा मिलेगा , 
दौलत हो या हुकूमत ताक़त हो या जवानी , 
हर चीज़ मिटने वाली हर चीज़ आनी जानी ।

हमारे दूसरे पोस्ट के पढने के  लिए नीचे लिस्ट लिन्क कर दी गई है 
















Next post 


Best post


Best post




Next post 




New post





Next post



























































































पोस्ट अच्छी लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करे और दूसरों की रहनुमाई करें हमारे पोस्ट को दूसरों तक पहुंचाने में शामिल हों और एक बेहतरीन जानकारी देने में हिस्सा लें
अगर आप सभी दोस्तों कों हमारी जानकारी अच्छी लगी हो तो हमारी माली मदद कर सकते हैं जिससे हम और भी अच्छे तरीके से अपने मित्रों के साथ अपनी पोस्ट  साझा करने में खुशी होगी
अगर आप हमारे पोस्ट को पढतें हैं और अगर पढने के बाद समझ में नहीं आये तो कमेन्ट करें हम जरुर उसका जवाब देगें
मदद करने के लिए इस लिंक पर जायें 
                
Donations 

https://jilanidhanpuri.blogspot.com/p/donations.html?m=1


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ