MAHE RAJAB KI IBADAT
अल्लाह के रसूल फ़रमाते है ! जो आदमी रजब की पहली, 15 वीं ओर 27 तारीख़ को गुस्ल करेगा, अल्लाह पाक उसे गुनाहों से पाक फरमा देगा । इस महीने में रोजा रखने की भी बडी फ़जीलत है । 26,27 तारीख़ का रोज़ा बहुत मशहूर है ! जिसे लक्खी, हज़ारी रोज़ा कहा जाता है ।
27 वीं रजब का रोज़ा रखने वाले को जन्नत की नहर से शर्बत पिलाया जाएगा ! जो शहद से ज्यादा मीठा, बर्फ से. ज्यादा ठंडा और दूध से ज्यादा सफेद होगा !
इस ऱात में नफ़्ल नमाजें पढना बड़े सवाब का काम है ।
MAHE RAMZAN 2021 TIME TABLE
नवाफिले शबे मेअराज SHAB E MERAJ KI NAFL NAMAZ KA TARIKA
रजब की एक रात जिक्रो अज़कार और आमाले सालिहा में मशगूल
रह क़र गुजारने वाले के नामए आमाल में सौ बरस की नेकियाँ लिखी
जाती हैं ओर वह सत्ताइस रजब मेअराज की रात (Shab e meraj) है ! (हदीस)
( 1 ) जो कोई शख्स शबे मेअराज (Shab e meraj) में बारह रकअत नफ़्ल चार-चार की नियत से अदा करे !
क़अदा ऊला में तशह्हुद पढे ! और दुरूद व दुआ पढ कर खडा हो जाए ! फिर सना से तीसरी रकअत शुरू करे,
इस तरह बारह रकअत पूरी करे ! फिर नमाज़ से फारिग़ होकर एक सौ मरतबा यह तस्वीह पढे
dua shabe meraj
सुब्हाहानल्लाहि वल हम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर
और एक सौ (100) मरतबा दुआए ईस्तिगफार पढे !
SHAB E MERAJ DUA
अस्तिग़फिरुल्लाहा रब्बी मिनकुल्लि ज़म्बिव व अतुबू इलैहि
ओंर सौ मरतबा (100) दुरूद शरीफ़ पढ़ कर दीनी व दुनियवी अच्छे कामों
के लिये जो दुआ मांगेगा परवर-दिगारे आलम उसकी दुआ कुबूल
फ़रमाएगा ।
हां सुबह रोजा ज़रूर रखे कि उस दिन की भी बडी फ़जीलत है ।
सबसे पहले उसी दिन जिब्रील अमीन बही लेकर हाजिरे दरबारे नबी
सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हुए
इसीलिये जो इस दिन रोजा रखेगा, उसको साठ महीनो के
रोज़ा का सबाब मिलेगा
अलबत्ता आगे या पीछे एक रोज़ा और रख लेना चाहिये ताकि
यह तन्हा न रहे, क्योंकि नफ़्ल रोजा तन्हा रखना मकरूह है ।
( 2 ) जिसने शबे मेअराज बारह रकअत नफ़्ल अदा की
,बाद मे सात बार सूरए फातिहा और चार बार यह तस्वीह
Rajab Ki Dua
सुब्हाहानल्लाहि वल हम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर
पढी ! उसकी दुआ अगर नेक व जाईज है तो जरूर कुबूल होगी
{ इंशाअल्लाहु तआला }
नवाफिले शबे मेअराज SHAB E MERAJ KI NAMAZ
1. 2-2 रकात की नियत से 12 रकात नफ़्ल पढे ।
हर रकात में अलहम्दो …..के बाद 5 बार क़ुल हुवल्लाह शरीफ़ पढें । नमाज़ के बाद 100 बार तीसरा कलमा, 100 बार अस्तग़फार और 100 बार दुरूद शरीफ़ पढकर जो दुआ मांगें, इन्शाअल्लाह कबूल होगी ।
2. 2-2 रकात की नियत से 6 रकात नफ़्ल पढे । हर रकात में अलहम्दो …..के बाद 5 बार क़ुल हुवल्लाह शरीफ़ पढें ।
नमाज़ के बाद 100 बार दुरूद शरीफ़ पढे । इस की बरकत से हजारों गुनाहं माफ़ होंगे ! और दीन व दुनिया की ज़रुरतें पूरी होंगी ।
3. 2. रकात नफ़्ल पढे । हर रकात में अलहम्दो …..के बाद 27 बार क़ुल हुवल्लाह शरीफ़ पढें । फिर अत्तहीँयात के बाद 27 बार दुरूदे इब्राहीमी पढें ।
सलाम फेरने के बाद उसका हदिया सरकार की बारगाह में पेश करके फ़ेज़ हासिल करें ।
4. 2 रकात नफ़्ल पढें ! हर रकात में अलहम्दो …..के बाद तीन बार सूरए काफिरून और क़ुल हुवल्लाह शरीफ़ पढें । नमाज़ के बाद एक बार चौथा कलमा पढ़कर दुरूद शरीफ़ पढ़ें ! और सवाब हासिल करें !
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