islamic knowledge कैसे हो कौम की तरक्की

islamic knowledge कैसे हो कौम की तरक्की

कैसे हो कौम की तरक्की मौजूदा दौर तरक्की पसंद का दौर है इंटरनेट के इस दौर में वही कौम अपनी पहचान बना सकने में कायम रह सकती है

islamic knowledge कैसे हो कौम की तरक्की
islamic knowledge कैसे हो कौम की तरक्की

जो जमाने के उतार-चढ़ाव का सामना  कर सके कोई भी कम्युनिटी की तरक्की में तालीमी,माली,सियासी और समाजी इफेक्ट अहम रोल अदा करते हैं
मुस्लिम कम्युनिटी के रेफरेंस में भी यही बात पूरी उतरती है तालीमी पिछड़ेपन आज के दौर में एक जरूरत है कुरान शरीफ की पहली आयत इकरा बिस्मि रब्बिकल लजी खलक पढ़ो अपने रब के नाम से जिसने पैदा किया है
से पता चलता है कि हमारे लिए इस्लाम का पहला जुज तालीम हैं और पढाई को अव्वल नम्बर पर नही रखे इसलिए हममें कई बुराइयां पैदा हो गई जिससे हम तो अजाब में मुब्तिला होते ही हैं
गैरों की नजरों में गवार साबित होते हैं
आला हजरत इमाम अहमद रज़ा ख़ान ने 507 से ज्यादा सब्जेक्ट पर एक हजार (1000) से ज्यादा किताबें लिखी है यूरोप और अमेरिका आज उन पर रिसर्च कर रहे हैं
और हम मसलक ए आला हजरत के मानने वाले बनते है और जश्ने आला हजरत बना लेने और वहाबियत को तन्कीद कर लेने मे ही अपनी भलाई समझ लेते हैं वा अपना काम पूरा समझते हैं
आज भी कई कस्बों व शहरों में ऐसे लोग मिल जाएंगे जिनको आला हजरत की तालीम ही नहीं मालूम पूछों तो कह देतें हैं कि मालूम नहीं है
इसलिए आज के दौर मे पढाई तालीम हासिल करना बहुत जरूरी है
अब अगर तालीमी पिछडा पन होगा तो हर लाइन मे चले जायें कहीं भी जल्दी कामयाबी नहीं मिल पाती जिससे माली पिछडा पन शुरु होती हैं
और मेहनत करने मे इंसान इस कदर बिजी हो जाता है कि समाजिक कार्यक्रम मे हिस्सा लेने में असमर्थ हो जाता है या तो माइन्डली थक जाता है या जिस्मानी तौर पर थक जाता है
अब इसके नुकसान हमें बाद में दिखता हमें किसी चीज की सही जानकारी ना मिलने के एवज में हमे बहुत नुकसान उठाना पडता है islamic knowledgeक्यों कि हमे सही जानकारी सामाजिक कार्यक्रम में ही फ्री मे प्रोवाइड की जा रही थी लेकिन हम तो उसमे हिस्सा लेना अपनी शान की खिलाफ समझते हैं
इसलिये हमे सबसे ज़रूरी तालीम पर अपने बच्चो पर जोर देना चाहिए की हर हाल में हमारे बच्चे एजुकेशन हासिल कर लें islamic knowledgeउसके बाद आगे की लाइफ बडी आराम से गुजरेगी
बच्चा पढ लिख लिया तो सियासत में भी शामिल हों कर अपने कौम की तरक्की में अहम रोल अदा कर सकता है
और सियासत में शामिल हों इससे दुनिया की खबरें आप तक बखूबी पहुंच सके
या बिजनेस करें जिससे कुछ लोगों को जाब दे सके
और इसके अलावा इन्टरनेट पर एक्टिव रहना भी बहुत जरूरी है islamic knowledgeजैसे जीमैल, ट्वीटर ,जैसे सोशल मीडिया पर सम्पर्क में रहें जिससे दुनिया से जुड सके अपनी बातों को विश्व के सामने पेश कर सकें

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एक रवायत याद आ रही है इसे पढ़े 

ख्वाब की रोटी
हज़रत अबुल खैर फ़रमाते हैं: एक मर्तबा मैं मदीना मुनव्वरा में हाज़िर हुआ तो मुझे पांच दिन का फाका आ गया मैं रौजए अनवर पर हाज़िर हुआ हुजूर पर सलाम अर्ज करके फिर हज़रत अबू-बक्र सिद्दीक और हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा पर सलाम अर्ज किया फिर अर्ज कियाः या रसूलल्लाह मैं तो आपका मेहमान हूं और पांच रोज़ से भूखा हूं। अबुल-खैर कहते हैं कि मैं फिर मिम्बर के पास सो गया तो ख्वाब में देखा कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ़ लाये हैं आपके दाई तरफ़ हज़रत सिद्दीके अकबर और बाई तरफ़ हज़रत उमर और आगे हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हुम थे।
 हज़रत अली ने मुझे आगे बढ़कर ख़बरदार किया और फरमाया उठो और देखो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ़ ला रहे हैं तुम्हारे लिए खाना लाये हैं मैं उठा और देखा कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के हाथ में रोटी है वह रोटी हुजूर ने मुझे अता फरमाई मैंने हुजूर की पेशानी अनवर को बोसा देकर वह रोटी ले ली और खाने लगा आधी खाली तो मेरी आंख खुल गई। क्या देखता हूं कि बाकी आधी रोटी मेरे हाथ में है।
(📚सच्ची हिकायत सफ़ह,53,54)


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