SADRUSHSHARIYA Hazrat amjad Ali aazmi हुज़ूर सदरुश्शरिया मौलाना अमजद अली आज़मी
हुज़ूर सदरुश्शरिया मौलाना अमजद अली आज़मी की विलादत 1296 हिज्री बा मुातबिक 1878 ईस्वी कस्बा घोसी जिला आजमगढ़ में हुई, फिलहाल घोसी जिला मऊ में दाखिल है|
SADRUSHSHARIYA Hazrat amjad Ali aazmi हुज़ूर सदरुश्शरिया मौलाना अमजद अली आज़मी |
आपका नस्ब नाम युं है अमजद अली बिन हकीम मौलाना जमाल उद्दीन बिन मौलाना खुदा बख्श बिन मौलाना खैर उद्दीन| "
HUZUR SADRUSHSHARIYA
➤आप के उस्ताज़ों में अपने वक़्त के मुम्ताज़ आलिमे दीन हज़रत अल्लामा फज़्ले हक़ खैराबादी रहमतुल्लाह तआला अलैहि व हज़रत मौलाना हिदायत उल्लाह रामपुरी सुम्मा जौनपुरी अलैहिर्रहमा व हाफिज़ुल हदीस हज़रत अल्लामा वसी अहमद सूरती अलैहिर्रहमा शामिल हैं|
➤आप सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के खलीफये खास थे और आपकी फक़ाहत व ज़हानतो इल्म की बुनियाद पर आपको हिंदुस्तान का क़ाज़ी मुक़र्रर किया था और उस ज़माने में मुजद्दिदे आज़म के बाद आप ही क़ज़ा व इफ्ता के इमाम माने जाते थे|
➤फतावा आलमगीरी सुल्तान औरंगज़ेब आलमगीर रहमतुल्लाह तआला अलैहि के हुक्म से 500 उल्माओं ने तरतीब दी और उन उल्माओं का हाल ये था कि जब वो दरबार में तशरीफ लाते तो खुद सुल्तान बा अदब खड़े हो जाते थे मगर बहारे शरीयत हुज़ूर सदरुश्शरिया ने अकेले तरतीब दी,आप खुद फरमाते थे कि अगर सुल्तान औरंगज़ेब आलमगीर अलैहिर्रहमा मेरी ये खिदमत देख पाते तो मुझे सोने से तौल देते|
➤बहारे शरीयत के अलावा आपकी दीगर तसनीफ में 2. फतावा अमजदिया व 3. इमाम तहावी की शरह मा'अनियुल आसार की शरह 4. क़ामेउल वाहियात मिन जमिउल जुज़ियात 5. इत्मामे हुज्जते ताम्मा (सियासत के ताल्लुक से अबुल कलाम आज़ाद से किये गए 70 सवाल) 6. अत्तहकीक़ुल कामिल फी हुक्मे कुनुते नवाज़िल 7. इस्लामी क़ायदा मशहूरो मारूफ है|
➤कंज़ुल ईमान सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का तर्जुमा भी आप ही की खिदमत का नतीजा है,वाक़िया ये है कि एक मर्तबा आप आलाहज़रत की बारगाह में पहुंचे और आपसे क़ुरान का तर्जुमा करने को कहा,आलाहज़रत अज़ीमुल बरक़त ने वक़्त की तंगी की शिकायत की तो आप फरमाते हैं कि हुज़ूर आप इमला कराते जाईये और गुलाम लिखता जायेगा तो मेरे आलाहज़रत फरमाते हैं कि ठीक है किसी दिन कागज़ और कलम लेकर हाज़िर हो जाओ,आखिर कार एक दिन आप कागज़ कलम के साथ हाज़िर हुए और तर्जुमे के लिए कहा सरकारे आलाहज़रत ने बगैर किसी किताब के मुताले के क़ुरान का लफ्ज़ बा लफ्ज़ तर्जुमा करना शुरू कर दिया,जिसे हुज़ूर सदरुश्शरिया कलम बन्द करते जाते और बहुत कोशिशों के बाद दुनिया ने वो अज़ीम तर्जुमा पाया कि आज पूरी दुनिया में उसकी मिसाल नहीं मिलती|
➤आपने 4 शादियां की,पहली शादी मुहतरमा करीमा खातून से हुई जिनसे आपको 5 औलादें हुई दूसरी शादी मुहतरमा सफीहन साहिबा से हुई जिनसे 1 लड़की हुई तीसरी शादी मुहतरमा राबिया खातून से हुई और उनसे आपको 2 औलादें हुई और चौथी शादी मुहतरमा हाजिरा बीबी से हुई जिनसे आपको 8 औलादें हुईं जिनमे से एक *हज़रत अल्लामा मौलाना ज़िआउल मुस्तफा रज़वी दामत बरकातोहुमुल आलिया* भी शामिल हैं|
➤आपने बहुत सारे शागिर्द छोड़े जिनमे से कुछ ऐसे हैं जो असातज़ुल असातज़ा हुए कुछ मशहूर नाम ये है:
1 मुहद्दिसे आज़म पाकिस्तान मौलाना सरदार अहमद अलैहिर्रहमा*
2 शेर बेशए अहले सुन्नत मौलाना हशमत अली खान अलैहिर्रहमा*
3 हुज़ूर हाफिज़े मिल्लत अलैहिर्रहमा*
4 हुज़ूर मुजाहिदे मिल्लत अलैहिर्रहमा*
5 मुनाज़िरे अहले सुन्नत मौलाना रफाक़त हुसैन अलैहिर्रहमा*
6 मौलाना अब्दुल मुस्तफा आज़मी अलैहिर्रहमा*
➤2 ज़िल क़ाअदा 1367 हिज्री बा मुतबिक 6 सितम्बर 1948 ईस्वी बरोज़ दो शम्बा 11 बजे रात को आपका विसाल हुआ और घोसी में ही मज़ार शरीफ बना|
📕 बहारे शरीयत,
📕 तज़किराअकाबिरे अहले सुन्नत
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