Qurbani ki dua Hindi me कुर्बानी की दुआ हिन्दी में
इन्नी वज्जहतू वजीहिया लिल्लजी फतरस समावाती वल अर्दा हनीफँव वमा अना मिनल मुशरिकीन
इन्ना स्वलाती वा नुसुकी व महायाया व मामाती लिल्लाही रब्बिल आलमीन
लाशरीकलहू वा बिजालिका वाउमिर्तु वाअना मिनल मुस्लिमीन
अल्लाहुम्मा मिनका वला का बिस्मिल्लाह अल्ला हू अकबर
कह कर कुर्बानी करें
कुर्बानी करने के बाद अगर अपनी तरफ से कुर्बानी की है तो इस तरह कहें
अल्लाहुम्मा तकब्बलहू मिन्नी कमा तकब्बलता मिन खलीलिका इब्राहिमा वा हभीबिका मोहम्मदिन सलातँव वा अस्सलाम
अगर दूसरे के नाम से करें तो मिन्नी की जगह मिन फला कहें
Qurbani ki dua कुर्बानी की दुआ Qurbani ka masla क़ुर्बानी के मसाइल |
Qurbani ki niyat eid ul adha ki niyat eid ul adha ki dua
Qurbani ka masla | क़ुर्बानी के मसाइल
साहिबे निसाब यानि जिसके पास 7.5 तोला सोना या 52.5 तोला चांदी जो कि 653.184 ग्राम हुई और 52.5 तोला चांदी की रक़म जो कि तक़रीबन 51493, ₹ बनेगी, सोने चांदी की क़ीमत घटती बढ़ती रहती है,क़ुरबानी के दिनों में चांदी की क़ीमत मालूम कर के हिसाब लगा लीजिएगा, 51493 ₹ यह आज की क़ीमत है,अगर क़ुर्बानी के दिनों में 52.5 तोला चांदी की क़ीमत मौजूद है तो उस पर क़ुर्बानी वाजिब है,क़ुर्बानी वाजिब होने के लिये माल पर साल गुज़रना ज़रूरी नहीं
📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 132
जिसके पास 51493,रू कैश या इतने का सोना-चांदी या हाजते असलिया के अलावा कोई सामान है तो क़ुर्बानी वाजिब है युंही साल भर तो फक़ीर था मगर क़ुर्बानी के 3 दिनों में कहीं से उसे 51493,रू मिल गया क़ुर्बानी वाजिब हो गयी
साहिबे निसाब औरत पर खुद उसके नाम से क़ुर्बानी वाजिब है,मुसाफिर और नाबालिग पर क़ुर्बानी वाजिब नहीं
📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 132
औरत के पास जे़वर हैं मगर शौहर साहिबे निसाब नहीं यानि 51493 का मालिक नहीं है तो औरत पर क़ुर्बानी वाजिब है मर्द पर नहीं,इसी तरह मुसाफिर यानि जो अपने वतन से 92.5 किलोमीटर दूर गया और वहां 15 दिन से कम ठहरना है तो उस पर क़ुर्बानी वाजिब नहीं और अगर 15 दिन से ज़्यादा ठहरना है तो क़ुर्बानी वाजिब है,
📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 132
Qurbani ki dua कुर्बानी की दुआ Qurbani ka masla क़ुर्बानी के मसाइल |
जिसके पास 51493,रू कैश या इतने का सोना-चांदी या हाजते असलिया के अलावा कोई सामान है तो क़ुर्बानी वाजिब है युंही साल भर तो फक़ीर था मगर क़ुर्बानी के 3 दिनों में कहीं से उसे 51493,रू मिल गया क़ुर्बानी वाजिब हो गयी
साहिबे निसाब औरत पर खुद उसके नाम से क़ुर्बानी वाजिब है,मुसाफिर और नाबालिग पर क़ुर्बानी वाजिब नहीं
📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 132
औरत के पास जे़वर हैं मगर शौहर साहिबे निसाब नहीं यानि 51493 का मालिक नहीं है तो औरत पर क़ुर्बानी वाजिब है मर्द पर नहीं,इसी तरह मुसाफिर यानि जो अपने वतन से 92.5 किलोमीटर दूर गया और वहां 15 दिन से कम ठहरना है तो उस पर क़ुर्बानी वाजिब नहीं और अगर 15 दिन से ज़्यादा ठहरना है तो क़ुर्बानी वाजिब है,
क़ुर्बानी वो परदेस में भी करा सकता है या उसके घर पर ही कोई उसके नाम से करा दे मगर उसकी इजाज़त होनी चाहिए दोनों सूरतों में क़ुर्बानी हो जायेगी,युंही मुसाफिर अगर फिर भी क़ुर्बानी करना चाहता है तो कर सकता है नफ्ल हो जायेगी सवाब मिलेगा
रहने का घर,पहनने के कपड़े,किताबें,सफर के लिए सवारियां,घरेलु सामान हाजते असलिया में दाखिल हैं
📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 133
📕 फतावा आलमगीरी,जिल्द 1,सफह 160
मकान 10 करोड़ का हो गाड़ियां अपने लिए 10 रखी हो फिर भी हाजते असलिया में दाखिल है यानि इन पर ना ज़कात है और न इससे क़ुर्बानी वाजिब होगी
रहने का घर,पहनने के कपड़े,किताबें,सफर के लिए सवारियां,घरेलु सामान हाजते असलिया में दाखिल हैं
📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 133
📕 फतावा आलमगीरी,जिल्द 1,सफह 160
मकान 10 करोड़ का हो गाड़ियां अपने लिए 10 रखी हो फिर भी हाजते असलिया में दाखिल है यानि इन पर ना ज़कात है और न इससे क़ुर्बानी वाजिब होगी
मगर शरीयत ने जिन चीज़ों को जायज़ नहीं रखा उनका रखना हाजते असलिया में दाखिल नहीं मसलन किसी ने अपने घर में 51493,की टीवी रखी है तो उस पर ज़कात भी फर्ज़ है और क़ुर्बानी भी वाजिब है
जो साहिबे निसाब है उस पर हर साल क़ुर्बानी वाजिब है उसे हर साल अपने नाम से क़ुर्बानी करनी होगी कुछ लोग 1 साल अपने नाम से क़ुर्बानी करते हैं दूसरे साल अपने बीवी बच्चों के नाम से क़ुर्बानी करते हैं,ये नाजायज़ है
📕 अनवारुल हदीस,सफह 363
इसी तरह अवाम में ये भी मशहूर है कि पहली क़ुर्बानी हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के नाम से करनी चाहिए ये भी सही नहीं है,हां जैसा कि मैं पहले बता चुका कि अगर इस्तेताअत हो तो 2 क़ुर्बानी का इंतेज़ाम करे
जो साहिबे निसाब है उस पर हर साल क़ुर्बानी वाजिब है उसे हर साल अपने नाम से क़ुर्बानी करनी होगी कुछ लोग 1 साल अपने नाम से क़ुर्बानी करते हैं दूसरे साल अपने बीवी बच्चों के नाम से क़ुर्बानी करते हैं,ये नाजायज़ है
📕 अनवारुल हदीस,सफह 363
इसी तरह अवाम में ये भी मशहूर है कि पहली क़ुर्बानी हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के नाम से करनी चाहिए ये भी सही नहीं है,हां जैसा कि मैं पहले बता चुका कि अगर इस्तेताअत हो तो 2 क़ुर्बानी का इंतेज़ाम करे
एक अपने नाम से और एक हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के नाम से ये अच्छा है और अगर खुद पर क़ुर्बानी वाजिब है और एक ही क़ुर्बानी करता है मगर किसी और के नाम से तो वाजिब का तर्क हुआ गुनहगार होगा
क़ुर्बानी का वक़्त 10 ज़िल्हज्ज के सुबह सादिक़ से लेकर 12 के ग़ुरुबे आफताब तक है,मगर जानवर रात में ज़बह करना मकरूह है
📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 136
चुंकि गांव में ईद की नमाज़ नहीं है लिहाज़ा वहां सूरज निकलने के साथ ही क़ुर्बानी हो सकती है मगर शहर में जब तक कि पहली नमाज़ ना हो जाए क़ुर्बानी नहीं हो सकती हैं चाहे इसने पढ़ी हो या ना पढ़ी हो इससे मतलब नहीं,
क़ुर्बानी का वक़्त 10 ज़िल्हज्ज के सुबह सादिक़ से लेकर 12 के ग़ुरुबे आफताब तक है,मगर जानवर रात में ज़बह करना मकरूह है
📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 136
चुंकि गांव में ईद की नमाज़ नहीं है लिहाज़ा वहां सूरज निकलने के साथ ही क़ुर्बानी हो सकती है मगर शहर में जब तक कि पहली नमाज़ ना हो जाए क़ुर्बानी नहीं हो सकती हैं चाहे इसने पढ़ी हो या ना पढ़ी हो इससे मतलब नहीं,
और अगर किसी ने नमाज़ से पहले क़ुर्बानी कर ली तो उसका गोश्त तो खा सकता है मगर क़ुर्बानी दूसरी करनी होगी वरना गुनाहगार होगा,युंही अगर दिन में क़ुर्बानी करने वाला ना मिला या किसी तरह की पाबन्दी लगी हुई है तो रात में क़ुर्बानी कर सकते हैं जायज़ है
जानवरों की उम्र ये होनी चाहिए ऊंट 5 साल,गाय-भैंस 2 साल,बकरा-बकरी 1 साल,भेड़ का 6 महीने का बच्चा अगर साल भर के बराबर दिखता है तो क़ुर्बानी हो जायेगी
📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 139
जानवरो की जो उम्र बताई गई उसमे अगर 1 दिन भी कम होगा क़ुर्बानी नहीं होगी मसलन किसी बकरी ने बच्चा तीसरी बक़र ईद को दिया तो अगले साल पहले और दूसरे दिन भी उसकी क़ुर्बानी नहीं हो सकती हां दूसरी बक़र ईद को वो पूरा 1 साल का हो गया तो अब तीसरी को उसकी क़ुर्बानी हो सकती है,
जानवरों की उम्र ये होनी चाहिए ऊंट 5 साल,गाय-भैंस 2 साल,बकरा-बकरी 1 साल,भेड़ का 6 महीने का बच्चा अगर साल भर के बराबर दिखता है तो क़ुर्बानी हो जायेगी
📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 139
जानवरो की जो उम्र बताई गई उसमे अगर 1 दिन भी कम होगा क़ुर्बानी नहीं होगी मसलन किसी बकरी ने बच्चा तीसरी बक़र ईद को दिया तो अगले साल पहले और दूसरे दिन भी उसकी क़ुर्बानी नहीं हो सकती हां दूसरी बक़र ईद को वो पूरा 1 साल का हो गया तो अब तीसरी को उसकी क़ुर्बानी हो सकती है,
यहां ये भी ज़हन में रखें कि जानवर बेचने वाले अक्सर झूठी कसमें खाकर या ये कहकर कि घर का पला जानवर है 1 साल का पूरा हो चुका है बेच देते हैं,आपने खरीद लिया मगर कई लोगों ने देखने के बाद बताया कि वो 1 साल का नहीं है तो अगर वो लोग जानवरों की अच्छे जानकार हैं तो उसकी क़ुर्बानी नहीं हो सकती लिहाज़ा जानवर जांच कर साथ खरीदें !
Qurbani ki dua |
Qurbani ka masla
क़ुर्बानी के मसाइल
काना,लंगड़ा,लागर,बीमार,जिसकी नाक या थन कटा हो,जिसका कान या दुम तिहाई से ज्यादा कटी हो,बकरी का 1 थन या भैंस का 2 थन खुश्क हो ऐसे जानवरों की क़ुर्बानी नहीं हो सकती📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 139
क़ुर्बानी के जानवर को ऐब से खाली होना चाहिए अगर ज़्यादा ऐबदार है तो क़ुर्बानी नहीं होगी और अगर थोड़ा भी ऐब होगा तो क़ुर्बानी तो हो जाएगी मगर मकरूह है,
जानवर की पैदाईशी सींग नहीं है तो क़ुर्बानी हो जायेगी मगर सींग थी और जड़ से टूट गयी क़ुर्बानी नहीं हो सकती अगर थोड़ी सी टूटी है तो हो जाएगी,भैंगे की क़ुर्बानी हो जायेगी मगर अंधे की नहीं युंही जिसका काना पन ज़ाहिर हो उसकी भी क़ुर्बानी जायज़ नहीं,बीमार इतना है कि खड़ा होता है तो गिर जाता है या इतना लागर है कि चल भी नहीं सकता क़ुर्बानी नहीं हो सकती!
जानवर का कोई भी उज़ू अगर तिहाई से ज़्यादा कटा है तो क़ुर्बानी नहीं हो सकती,जिसके पैदाईशी कान ना हो या एक ही कान हो क़ुर्बानी नहीं हो सकती,जिसके दांत ही ना हो या जिसके थन कटे हों या एक दम सूख गए हों क़ुर्बानी नहीं हो सकती,जिसकी नाक कटी हो या जिसमें नर व मादा दोनों की अलामत हो क़ुर्बानी नहीं हो सकती
मय्यत की तरफ से क़ुर्बानी की तो गोश्त का जो चाहे करे,लेकिन किसी ने अपनी तरफ से क़ुर्बानी करने को कहा और मर गया या क़ुर्बानी अगर मन्नत की है तो उसका गोश्त ना खुद खा सकता है ना ग़नी को दे सकता है बल्कि पूरा गोश्त सदक़ा करे
📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 144
यानि किसी ने वसीयत की कि मेरी तरफ से क़ुर्बानी करना और वो मर गया या किसी ने अपनी मन्नत की क़ुर्बानी की तो उसमे से एक बोटी भी नहीं खा सकता बल्कि पूरा गोश्त सदक़ा करे अगर खा लेगा तो जितना खाया है उतने का माल सदक़ा करे और अगर खुद किसी मय्यत के नाम से ईसाले सवाब की गर्ज़ से क़ुर्बानी की तो गोश्त खा सकता है
क़ुर्बानी का गोश्त काफिर को हरगिज़ ना दें और बदमज़हब मुनाफिक़ तो काफिर से बदतर है लिहाज़ा उसको भी हरगिज़ ना दें
📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 144
जितने भी बद मज़हब फिरके हैं उन सबको क़ुर्बानी का गोश्त नहीं दे सकते अगर देंगे तो गुनहगार होंगे
जो जानवर को ज़बह करे बिस्मिल्लाह शरीफ वोह पढ़े किसी दूसरे के पढ़ने से जानवर हलाल ना होगा
📕 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 121
Qurbani ka masla
क़ुर्बानी के मसाइल
सवाल
एक सवाल है कि क़ुरबानी किसे कहते हैं जवाब इनायत करेंजवाब
मख़सूस जानवर को मख़सूस दिन में अल्लाह पाक कीबारग़ाह में क़ुर्ब ह़ासिल करने के लिए या नेकी की नियत
से ज़िबह़ करना क़ुरबानी कहलाता है
📕📚रद्दुल मुह़तार अला दुर्रे मुख़्तार जिल्द 9 सफह 519
सवाल
ह़ज़रत यह बतायें कि क़ुरबानी किस पर वाजिब होती हैजवाब
हर मुसलमान मर्द वह औरत जो बालिग़ हो, मुक़ीम होयानि मुसाफ़िर न हो, मालिके निसाब हो, और आज़ाद
हो, तो उस पर क़ुरबानी वाजिब होती है
📕📚हिदाया जिल्द 4 सफह 443
📕📚रद्दुल मुह़तार अला दुर्रे मुख़्तार जिल्द 9 सफह 521/524
इस से मालूम हुआ कि क़ुरबानी उस पर वाजिब होती
है जिसके अंदर यह पांच शरायत पाइ जाऐं
1 :- मुसलमान होना, यानि काफिर पर क़ुरबानी
वाजिब नहीं
2 :- मुक़ीम होना, (यानि मुसाफ़िर न होना, मुसाफ़िर
पर क़ुरबानी वाजिब नहीं)
3 :- आज़ाद होना, यानि गुलाम न होना,
4 :- बालिग़ होना, ( नाबालिग पर कुरबानी वाजिब नहीं )
5 :- मालिके निसाब होना-- ( गरीब मिस्कीन मोहताज
पर क़ुरबानी वाजिब नहीं-)
सवाल
आजकल कुछ लोग कहते हैं कि खाल को दफन कर
दिया जाये और बेचा ना जाए आप बतायें किया करूँ
जवाब
चमड़े को दफन करना किसी भी तरह़ दुरुस्त नहीं, नाअक़लन ना शरअन
📚📕फतावा रज़विया शरीफ जिल्द 20 सफह 455
सवाल
हमारे यहाँ एक बकरा है जो अभी कुछ ही दिन एक सालमें बाकी है तो क्या इसकी क़ुरबानी हो जायेगी
जवाब
क़ुरबानी के लिए बकरे की उम्र पूरे एक साल की होनाज़रुरी है अगर एक दिन भी कम होगा तो शरअन उसकी
क़ुरबानी जायज़ ना होगी
📚📕फतावा फैज़ुर रसूल जिल्द 2 सफह 459
सवाल
अगर कोई बच्चा नाबालिग़ हो और वह मालदार हो तोक्या उस पर क़ुरबानी वाजिब होगी,?
जवाब
नाबालिग़ अगर चेह मालदार हो, उस पर क़ुरबानी वाजिबनहीं होगी
📚📕रद्दुल मुह़तार अला दुर्रे मुख़्तार जिल्द 9 सफह 525
📚📕फतावा रज़विया शरीफ़ जिल्द 20 सफह 369
सवाल
क्या औरत पर क़ुरबानी वाजिब होगीजवाब
अगर औरत मुसलमान, बालिग़, मुक़ीम, आज़ाद, औरमालिके निसाब हो तो मर्द की तरह उस पर भी क़ुरबानी
वाजिब होगी
📚📕माखूज़ अज़ रद्दुल मुह़तार अला दुर्रे मुख़्तार जिल्द 9 सफह 524
📚📕क़ुरबानी के अह़काम सफह 72
सवाल
क़ुरबानी वाले मस्अला में मालिके निसाब होने का क्यामतलब है
जवाब
क़ुरबानी वाले मस्अला में मालिके निसाब होने कामतलब यह है कि क़ुरबानी के दिनों में उस शख्स के पास
7.5 तोला सोना या 52.5 तोला चांदी या इतनी चांदी की
मालियत के बराबर रक़म या इतनी चांदी की मालियत के
बराबर माले तिजारत या इतनी चांदी की मालियत के
बराबर ह़ाजते अस्लिया से ज़ाऐद सामान हो और उस
पर इतना क़र्ज़ न हो कि जिस को अदा करने के बाद
ऊपर ब्यान करदा निसाब बाक़ी न रहे
📚📕बहारे शरीयत जिल्द 3 हिस्सा 15 सफह 333
सवाल
क़ुरबानी के लिए जानवर खरीदा था क़ुरबानी करने से पहले बच्चा पैदा हुआ तो बच्चे को भी ज़िबह कर दें और अगर ना ज़िबह किया ना सदक़ा किया बल्कि उसी के यहाँ रहा और दूसरा साल आगया तो उस जानवर की क़ुरबानी देना कैसा हैजवाब
हुज़ूर सदरुश्शरिया अलैहिर्रह़मा तहरीर फरमाते हैं कि,क़ुरबानी से पहले जानवर खरीदा था क़ुरबानी से पहले उसको बच्चा पैदा हुआ तो बच्चे को भी ज़िबह कर डालें और अगर बच्चे को बेच डाला तो उसका पैसा सदक़ा करे और अगर ना ज़िबह किया ना सदक़ा किया और क़ुरबानी के दिन गुज़र गए तो उसको ज़िन्दा सदक़ा करदे और कुछ ना किया बल्कि बच्चे को खुद रख लिया और फिर क़ुरबानी का ज़माना आगया और ये चाहता है कि इस साल क़ुरबानी में उसी को ज़िबह करें तो नहीं कर सकता और अगर उसी की क़ुरबानी कर दी तो फिर दूसरी क़ुरबानी करे कि वह क़ुरबानी नहीं हुई,और वह बच्चा ज़िबह किया हुआ सदक़ा कर दे बल्कि ज़िबह से जो कुछ उसकी क़ीमत में कमी हुई है उसको भी सदक़ा कर दे, खुलासा ये है कि उस जानवर की क़ुरबानी करना दुरुस्त नहीं है
📚फतावा हिन्दिया किताबुल अज़हिया जिल्द 5 सफह 30
📚बहारे शरीयत हिस्सा 15 सफह 225
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