Qabar Mein Murde Ka Kya Haal Hota Hai, Marne ke baad qabar mein kya hota hai Qabar ki Pehli Raat Kabar ka hal Kis Hindi mahine ko qabar ka mahina kahate hain
हालाते सुवालाते कब्र
Qabar Ka Manzar
Al Qur'an :
To Kya Yeh Samjhte Ho Ki Ham Ne Tumhe Bekaar Banaya aur Tumhe Hamari Taraf Firna Nahi . ( Soorah MOAMINUN : aayat no.115 )
Woh Jisne Mout Aur Zindagi Paida Ki Ke Tumhari Jaanch Ho Tum me Kiska Kaam Zyada Achha Hai . ( Surah.MULK : aayat number 2 )
Logon ka Hisaab Najdik Hai Aur Woh Gaflat Me Mooh Feire Hai . ( Soorah.AMBIYA PARA : 17 AYAT : 1 )
Qabar Ki Tabahkariyan :-
Nabi E Paak swalallah hu allayhi wasallam Ne Farmaya : Qabr Aakhirat Ki sab se Pahali Manzil Hai ,
Agar Sahibe Qabr Ne Is Se Najaat Paai To Baad Ka Mua'malaa Is se Asan Hai ,
Aur Agar Is Se Najat Naa Paai To Baad Ka Mua Malaa Ziyadaa Sakht Hai . ( SUNAN IBNE MAJA JILD : 4 SAFA : 500 Bairut )
Qabr ka Manzar Sab Manaazir Se Zyada Holnaak Hai . ( SUNAN TIRMIZI JILD : 4 SAFA : 138
HADEES NUMBER : 2315 Bairut )
Qabr Ki Daant
- Qabr Murde se Kehti hai , Ki Aye Aadami Kya tune Mere Halaat Naa Sune The ?
- Kya Meri Tangi , Badboo Howlnaaki Aur Kidon Se Tuze Nahi Daraayaa Gayaa Tha ?
- Agar Aisa Tha To Fir Tu Ne Kya Taiyaari Ki ? ( SARHUS SUDUR SAFA : 118 119 Darul Ma'refa )
QABR KYA KAHTI HAI
Ay Ibne Aadam ! Tu Mere Andar Tawil Arse Tak Apne Galne Sadne Ko Kyu Yaad Nahi Krta ?
Hazrate Sayyiduna Ahmed Bin Harb rahmatullahi t'aala alayh Farmate Hai :
Zamin Ko Us Shakhs Par T'ajjub Hota Hai Jo Apni Khwaab gaah Ko Durust Krta Aur Sone Ke Liye Narm Narm Bistar Bichhata Hai , Zamin Us Se Kahti Hai ,
Ay Ibne Aadam !
Tu Mere Andar Tawil Arse Tak Apne Galne Sadne Ko Kyu Yaad Nahi Krta ?
Yaad Rakh ! Mere Aur Tere Darmiyaan Koi Chiz Haail Nahi Hogi Yaa'ni Tujhe Zamin Par Bigair Gadele Hi Ke Rakh Diya Jaega ( Detail In EHYAUL ULOOM Jild - 4 Page - 413 )
Jab Banda Qabr Me Dakhil Hota Hy To Usko Drane Vo Tamam Chize Aa Jati Hy Jinse Vo Dunya Me Darta Tha Aur ALLAH Se N Darta Tha . ( SHARHUS SUDUR Page No - 11 )
Hazrat Umar Farooq E Azam Radiallahu Tala'Anhu KHAWF E KHUDAA Azzwajal se Larza w tarsa Raha Karte The .
Ek Baar Galabaa e Khawf Ke Waqt Aap Ne Tinka Haath me le Kar Farmaya , Kaas Me Yeh Tinka Hota , Kabhi Kaha , Kaas Muze Paida Hi Na Kiya Jata ; Kabhi Kehte , Kaas MERI MAA HI MUZE NAA JANTI . ( AHYAUL ULOOM JILD : 4 SAFA : 156 Bairut )
Hazur ( Swallallaho allayhi wasallam ) Ne Farmaya Hadees E Paak me : Murdon ka haal QABR me dubte hue inshaan ki maanind hai ke woh siddat se intzaar karta hai
ke baap ya maa ya bhai ya kisi dost ki dua usko pahunche aur jab kisi ki dua use pahunchti hai to uske nazdik woh dunia wa mafihaa se behtar hoti hai ,
ALLAH AZZWAJAL qabr walon ko unke ZINDAA mut'alikin ki taraf se HADEEYA kiya hua SAWAAB pahadon ki maanind ataa farmata hai ,
ZINDON ka hadeeya ( tohfa ) Murdon ke liye ' DUA E MAGFIRAT ' katna hai . ( Baihaki SOEBUL - IMAAN JILD : 6 SAFA : 203 HADEES : 7905 )
TARGIB : Vaakei Qabr Ka Muaamla Be Khauf Hone Wala Nahi , Aaj Hum Par Chhipkli Chdh Jae , Balke Kan Khjura Karib Hi Se Guzar Jae To Badan Par Kapkapi Taari Ho Jae
Aur Muh Se Chikh Nikal Jae To Andheri Qabr Me Kya Hoga ! ke Aqal Bilkul Salaamat Hogi Balke Yoo Samajhna Chahiye Ki Goya Zinda Hi Kisi Ne Qabr Me Gaad Dala Hai
Ab N Jaan Niklti Hai N Hi Be Hoshi Taari Hoti Hai , Haae ! Haae ! gunaaho Ki Vajah Se Agar Khuda V Mustafa Azza V Jallah v Sallalahu Alaihi Wasallam Naaraz Ho Gae To Qabr Ke Tang Garhe Me Aakr Kaun Bchaaega
Kaun Tsalli Dega ?
KAR LE TAUBA RAB KI RAHMAT HAI BADI ,
QABR ME VARNA SAZA HOGI KADI .
HUM NE KYA TAIYAARI KEE ?
Hum sro Ko Qabr Utarte Hue Dekhte Hy Magar Ye Bhul Jate Hy Ki Ek Din Hme Bhi Qabr Me Utara Jaega .
Apni Aulaad Ko Nek Ashiqerasul Saccha Sunni Musalmaan Banaiyen .
Woh In Sha Allah Dua / Isalesawaab Karenge To Aapko Qabr Me Raahat Milti Rahegi . ( Wahabi- Margayaa Mardud Na Fateha Na Darood . )
HADIS : Meri ummat gunah samet QABR me dakhil hogi & jab niklegi to BE - GUNAH hogi kyu k wo muaminin ki DUAON se bakhs di jati he ( TABRANI AWSAT Jild : 1 Safa: 509 Hadis number : 1879 )
Qabr par Phool Daalna Behtar Hai Ke Jab Tak Rahega Tasbih karega aur Maiyat Ka Dil Behlaega . ( RADDUL - MUHTAR JILD : 3 SAFA : 184 )
Aah Kasrate Ishyaa Haaye
Khowf Dozakh ka
Kaash Is Jahaan Kaa Mein Naa Basar Banaa Hota .
For More : Book - Murde Ke Sadme Islami . Please dua e Magfirat for my Marhum walide mohtaram marhum haji Abdul Kalam dhanpuri Dhiraoul wale wa ahaele khandan wa ummate mohammad wa jumla mominin mominat wa ulma e mohammad wa sufiya wa fuqha wa aouliya E ummat e mohammad Swallallaho Alaihi Wasallam aameen summa ameen
Qabar Mein Murde Ka Kya Haal Hota Hai, Marne ke baad qabar mein kya hota hai Qabar ki Pehli Raat Kabar ka hal Kis Hindi mahine ko qabar ka mahina kahate hain
फ़रमाने नबवी है : जब मय्यित को क़ब्र में रखा जाता है तो क़ब्र कहती है : ऐ इन्सान ! तुझ पर अफ्सोस है तुझे मेरे बारे में किस चीज़ ने धोके में डाला था ?
क्या तुझे मालूम नहीं था कि मैं आज़माइशों , तारीकियों , तन्हाई और कीड़े मकोड़ों का घर हूं , जब तू मुझ पर से आगे पीछे क़दम रखता गुजरा करता था तो तुझे कौन सा गुरूर घेरे होता था ?
अगर मय्यित नेक होती है तो उस की तरफ से कोई जवाब देने वाला क़ब्र को जवाब देता है क्या तुझे मा'लूम नहीं है येह शख्स नेकियों का हुक्म देता और बुराइयों से रोका करता था ।
कब्र कहती है : तब तो मैं इस के लिये सब्जे में तब्दील हो जाऊंगी , उस का जिस्म नूरानी बन जाएगा और उस की रूह अल्लाह तआला के कुर्बे रहमत में जाएगी
मदफ़न की निदा
उबैद बिन उ़मैर अल्लैसी रदि अल्लाहु अनहु से मरवी है कि जब कोई शख्स मरता है तो ज़मीन का वोह टुकड़ा जिसमें उस को दफ्न होना होता है ,
निदा करता है कि मैं तारीकी और तन्हाई का घर हूं , अगर तू अपनी ज़िन्दगी में नेक अमल करता रहा तो मैं आज तुझ पर सरापा रहमत बन जाऊंगा और अगर तू ना फ़रमान था तो मैं आज तेरे लिये सज़ा बन जाऊंगा ।
मैं वोह हूं कि जो मुझ में हक़ का फ़रमां बरदार बन कर आता है वोह खुश हो कर बाहर निकलता है और जो ना फ़रमान बन कर आता है वोह ज़लील हो कर बाहर निकलता है ।
हज़रते मुहम्मद बिन सबीह रदि अल्लाहु अनहु कहते हैं कि मुझ तक येह रिवायत पहुंची है कि जब आदमी को कब्र में रखा जाता है और उसे अज़ाब दिया जाता है तो उस के करीबी मुर्दे कहते हैं :
ऐ अपने भाइयों और हमसाइयों के बाद दुन्या में रहने वाले !
क्या तू ने हमारे जाने से कोई नसीहत हासिल न की ?
और तेरे सामने हमारा मर कर कब्रों में दफ्न हो जाना कोई काबिले गौर बात न थी ?
तू ने हमारी मौत से हमारे आ'माल ख़त्म होते देखे !
लेकिन तू ज़िन्दा रहा और तुझे अमल करने की मोहलत दी गई , मगर तू ने इस मोहलत को गनीमत न जाना और नेक आ'माल न किये
और उस से ज़मीन का वोह टुकड़ा कहता है : ऐ दुन्या की ज़ाहिरी पर इतराने वाले ! तू ने अपने उन रिश्तेदारों से इब्रत क्यूं न हासिल की जो दुन्यावी नेअमतों पर इतराया करते थे मगर वोह तेरे सामने मेरे पेट में गुम हो गए ,
उन की मौत उन्हें कब्रों में ले आई और तू ने उन्हें कन्धों पर सवार उस मन्ज़िल की तरफ़ आते देखा कि जिस से कोई राहे फ़िरार नहीं है ।
आअमाल भी मय्यित से सवाल करते हैं यज़ीद रक्क़ाशी रदि अल्लाहु अनहु का कौल है कि मुझे येह रिवायत मिली है : जब मय्यित को क़ब्र में रखा जाता है तो उस के आ'माल जमा हो जाते हैं , फिर अल्लाह तआला उन्हें कुव्वते गोयाई देता है और वोह कहते हैं :
ऐ कब्र के तन्हा इन्सान !
तेरे सब दोस्त और अज़ीज़ तुझ से जुदा हो गए हैं , आज हमारे सिवा तेरा और कोई साथी न होगा । हज़रते का'ब रदि अल्लाहु अनहु से मरवी है कि जब नेक आदमी को कब्र में रखा जाता है तो उस के आ'माले सालिहा , नमाज़ , रोज़ा , हज , जिहाद और सदका वगैरा उस के पास जम्अ हो जाते हैं ,
(1) जब अज़ाब के फ़िरिश्ते उस के पैरों की तरफ़ से आते हैं तो नमाज़ कहती है : इस से दूर रहो , तुम्हारा यहां कोई काम नहीं , यह इन पैरों पर खड़ा हो कर अल्लाह तआला की लम्बी लम्बी इबादत करता था ।
(2) फिर वोह फ़िरिश्ते सर की तरफ से आते हैं तो रोज़ा कहता है : तुम्हारे लिये इस तरफ़ कोई राह नहीं है क्यूंकि दुन्या में अल्लाह तआला की खुशनूदी के लिये इस ने बहुत रोजे रखे और तवील भूक प्यास बरदाश्त की ,
(3) फ़रिश्ते उस के जिस्म के दूसरे हिस्सों की तरफ से आते हैं तो हज और जिहाद कहते हैं कि हट जाओ ! इस ने अपने जिस्म को दुख में डाल कर अल्लाह तआला की रिज़ा के लिये हज और जिहाद किया था लिहाज़ा तुम्हारे लिये यहां कोई जगह नहीं है ।
(4) फिर वोह हाथों की तरफ़ से आते हैं तो सदक़ा कहता है : मेरे दोस्त से हट जाओ ! इन हाथों से कितने सदक़ात निकले हैं जो महज़ खुशनूदिये ख़ुदा के लिये दिये गए और इन हाथों से निकल कर वोह बारगाहे इलाही में मक़बूलिय्यत के दरजे पर फ़ाइज़ हुवे लिहाज़ा यहां तुम्हारा कोई काम नहीं है ।
फिर उस मय्यित को कहा जाता है कि तेरी ज़िन्दगी और मौत दोनों बेहतरीन हैं और रहमत के फ़िरिश्ते उस की कब्र में जन्नत का फ़र्श बिछाते हैं ,
उस के लिये जन्नती लिबास लाते हैं , हद्दे निगाह तक उस की कब्र को फ़राख कर दिया जाता है और जन्नत की एक किन्दील उस की कब्र में रोशन कर दी जाती है जिस से वोह कियामत के दिन तक रोशनी हासिल करता रहेगा ।
हज़रते उबैद बिन उमैर ने एक जनाजे के जुलूस में कहा : मुझे येह रिवायत पहुंची है कि हुजूर स्वललल्लाहो अलैही वसल्लम ने फ़रमाया : मय्यित को कब्र में बिठाया जाता है , दर - आं - हाल येह कि
(1 ) वोह चलने वालों के क़दमों की चाप को सुन रहा होता है तो उस के साथ कब्र गुफ्तगू करती है और कहती है कि ऐ इन्सान !
तुझ पर अफसोस है क्या तुझे मुझ से , मेरी तंगी से , बदबू से , हैबत और कीड़ों से नहीं डराया गया था ! अब तू मेरे लिये क्या तय्यारी कर के लाया है ?
( 2 ) मोमिन की वफ़ात पर फ़िरिश्तों की आमद हज़रते बरा बिन आजिब रदि अल्लाहु अन्हु से मरवी है कि हम हुजूर स्वललल्लाहो अलैही वसल्लम के साथ एक अन्सारी जवान के जनाजे में गए , हुजूर स्वललल्लाहो अलैही वसल्लम उस की कब्र पर सर झुका कर बैठ गए , फिर तीन मरतबा :
अल्लाहुम्मा इन्नी अउजु बिका मिन अजा़बिल कब्री
तर्जुमा :- ऐ अल्लाह ! मैं तुझ से अज़ाबे कब्र से पनाह मांगता हूं ।
कह कर फ़रमाया कि जब मोमिन की मौत का वक्त करीब आता है तो अल्लाह तआला उस की तरफ़ ऐसे फ़िरिश्ते भेजता है जिन के चेहरे सूरज की तरह रोशन होते हैं , वोह उस के लिये खुश्बूएं और कफ़न साथ लाते हैं और हद्दे नज़र तक बैठ जाते हैं ,
जब उस मोमिन की रूह परवाज़ करती है तो आस्मानो ज़मीन के दरमियान रहने वाले तमाम फ़िरिश्ते उस के दरजात की बुलन्दी की दुआ करते हैं ,
उस के लिये आस्मानों के दरवाजे खोल दिये जाते हैं और आस्मान के हर दरवाजे की ख्वाहिश होती है कि येह रूह मेरे यहां से दाखिल हो , जब उस की रूह ऊपर को जाती है तो कहा जाता है : ऐ अल्लाह ! तेरा फुलां बन्दा आ गया है । रब तआला इरशाद फ़रमाता है : इसे ले जाओ और इसे वोह इन्आमात दिखलाओ जो मैं ने इस के लिये तय्यार किये हैं क्यूंकि मैं ने वादा किया है कि " इन्हें मिट्टी से मैं ने पैदा किया है और इसी में उन को लौटाऊंगा । "
( 3 )मुर्दा कब्र में लोगों के जूतों की चाप को सुनता होता है , जब वोह उसे दफ्न कर के वापस जा रहे होते हैं , तब उसे कहा जाता है कि ऐ इन्सान ! तेरा रब कौन है ?
तेरा दीन क्या है ?
और तेरा नबी कौन है ?
वोह जवाब में कहता है : मेरा रब अल्लाह ,
मेरा दीन इस्लाम
और मेरा नबी मुहम्मद -हुजूर स्वललल्लाहो अलैही वसल्लम है ।
फिर फ़रमाया : कब्र में फ़िरिश्ते सख्त सर ज़निश करते हैं और येह आखिरी मुसीबत है जो मय्यित पर क़ब्र में नाज़िल होती है । जब वोह इन के सुवालात के जवाब से फ़ारिग हो जाता है तो मुनादी निदा करता है : तू ने सच कहा और येही फ़रमाने इलाही है :
युसब्बितुल्लाहुल लजी़ना आमनू बिल कौलिस साबिति (सूरह इब्राहीम पारह 13)
तर्जमए कन्जुल ईमान : अल्लाह साबित रखता है ईमान वालों को हक़ बात पर ।
अल्लाह तआला मोमिनों को मुस्तहकम बात के साथ साबित कदम रखता है । फिर उस के पास एक हसीनो जमील शख्स आता है
जिस के जिस्म से खुश्बू की लपटें आती हैं और वोह इन्तिहाई दीदा जैब लिबास जैबे तन किये हुवे होता है , वोह आ कर कहता है कि तुझे रहमते खुदावन्दी और हमेशा रहने वाली नेअमतों की अमीन " जन्नत " की खुश खबरी हो , मोमिन जवाब में कहता है : अल्लाह तुझे भलाई से सरफ़राज़ फ़रमाए ,
तू कौन है ?
जवाब मिलता है : मैं तेरा नेक अमल हूं , तू नेकियों में बढ़ कर हिस्सा लेता था और बुराइयों से रुक जाता था इस लिये अल्लाह तआला ने तुझे बेहतरीन जज़ा दी है ।
फिर मुनादी निदा करता है कि इस मोमिन के लिये जन्नती फ़र्श बिछा दो और इस के लिये जन्नत की जानिब एक दरवाज़ा खोल दो ,
चुनान्चे , उस के लिये जन्नती फ़र्श बिछा दिया जाता है और जन्नत की तरफ़ एक दरवाज़ा खोल दिया जाता है और वोह दुआ मांगता है , ऐ अल्लाह ! कियामत को जल्दी काइम फ़रमा ताकि मैं अपने अहलो इयाल से मुलाकात करूं ।
हुजूर स्वललल्लाहो अलैही वसल्लम - ने फ़रमाया : जब काफ़िर का आखिरी वक्त करीब आता है और दुनिया से रुख़सत होनाव चाहता है तो सख्त बे रहम फ़िरिश्ते आग और दोज़ख़ के तारकोल का लिबास लिये आते हैं
और उसे इन्तिहाई ख़ौफ़ज़दा कर देते हैं , जब उस की रूह निकलती है तो आस्मान और ज़मीन के दरमियान रहने वाले तमाम फ़िरिश्ते उस पर ला'नत भेजते हैं ,
आस्मानों के दरवाजे बन्द कर दिये जाते हैं और हर दरवाज़ा येह चाहता है कि येह रूह इधर से न गुज़रे , जब उस की रूह ऊपर चढ़ती है तो उसे नीचे फेंक दिया जाता है और कहा जाता है : ऐ अल्लाह ! तेरा फुलां बन्दा
आया है जिसे ज़मीनो आस्मान ने कबूल नहीं किया है , रब तआला फ़रमाता है कि इसे वापस लौटाओ और इसे वोह अज़ाब दिखलाओ जो मैं ने इस के लिये क़ब्र में तय्यार किया है
क्यूंकि इन्सान से मेरा वादा है : " तुम्हें हम ने मिट्टी से पैदा किया और हम तुम्हें उसी में लौटाएंगे । "
और वोह मुर्दा कब्र में दफ्न कर के वापस जाने वालों के जूतों की चाप सुनता है तब उस से कहा जाता है : ऐ इन्सान !
तेरा रब कौन है ?
तेरा नबी कौन है ?
और तेरा दीन क्या है ?
वोह कहता है : मैं नहीं जानता
और उसे कहा जाता है : तू न जाने । फिर उस के पास एक बद सूरत , बदबू दार और इन्तिहाई गलीज़ कपड़ों वाला आ कर कहता है : तुझे करे खुदावन्दी और दाइमी दर्दनाक अज़ाब की खुश खबरी हो , मुर्दा काफ़िर कहता है : अल्लाह तआला तुझे बुरी ख़बर सुनाए तू कौन है ?
वोह कहता है : मैं तेरे आ'माले बद हूं । बा खुदा तू बुराइयों में बहुत तेजी दिखाता था और नेकियों से एत'राज़ किया करता था लिहाज़ा अल्लाह तआला ने तुझे बुरी जज़ा दी ।
काफ़िर कहता है : अल्लाह तआला तुझे भी जज़ा दे । फिर उस के लिये एक गूंगा , अन्धा और बहरा फ़िरिश्ता मुकर्रर किया जाता है , जिस के पास लोहे का हथोड़ा होता है जिसे अगर जिन्नो इन्सान मिल कर उठाना चाहें तो न उठा सकें , अगर वोह पहाड़ पर मारा जाए तो वोह मिट्टी हो जाए ।
वोह फ़िरिश्ता उस इन्सान को हथोड़ा मारता है जिस से वोह रेज़ा रेज़ा हो जाता है
फिर वोह ज़िन्दा हो जाता है और फ़िरिश्ता उसे आंखों के दरमियान मारता है जिस की आवाज़ जिन्नो इन्सान के सिवा ज़मीन की तमाम मख्लूक सुनती है ,
फिर मुनादी निदा करता है : इस के लिये जहन्नम की दो तख्तियां बिछाओ और इस के लिये जहन्नम की जानिब एक दरवाज़ा खोल दो !
लिहाजा उस के लिये जहन्नम के दो तख्ते बिछा दिये जाते हैं और जहन्नम की तरफ़ दरवाज़ा खोल दिया जाता है ।
हज़रते मुहम्मद बिन अली से मरवी है कि हर मरने वाले पर मौत के वक़्त उस के अच्छे और बुरे आ'माल पेश किये जाते हैं ,
वोह नेकियों की तरफ़ टिक - टिकी बांधे देखता है और गुनाहों के देखने से आंखें चुराता है । हज़रते अबू हुरैरा रदिअल्लाहु अन्हु से मरवी है कि रसूले खुदा स्वललल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : मोमिन पर जब मौत का वक्त करीब आता है तो फ़िरिश्ते रेशम के एक कपड़े में मुश्क और नाज़ बू की टहनियां लाते हैं ,
उन जन्नती अश्या को देख कर मोमिन की रूह ऐसी आसानी से निकलती है जैसे आटे में से बाल निकलता है और कहा जाता है : ऐ नफसे मुतमइन्ना ! अपने रब की तरफ़ खुश और पसन्दीदा हो कर लौट जा , अल्लाह तआला की तय्यार कर्दा आसाइशों और इज्जत की तरफ़ जा और जब रूह निकल आती है
तो उसे उस मुश्क और नाज़ बू में रख कर ऊपर रेशम लपेट कर जन्नत की तरफ ले जाया जाता है ।
काफ़िर पर अजाब जब काफ़िर पर मौत का वक्त करीब आता है तो फ़िरिश्ते एक टाट पर जहन्नम की चिंगारियां रख कर आते हैं जिस की वज्ह से उस की रूह शदीद अज़ाब से खींची जाती है
और कहा जाता है : ऐ नफ़्से ख़बीस ! मुसीबत ज़दा और महूर हो कर अल्लाह तआला के अज़ाब और ज़िल्लतो रुस्वाई की तरफ़ निकल जा , जब उस की रूह निकल आती है तो उसे उन अंगारों पर रखा जाता है जिस से वोह उबलने लगती है और उस पर टाट लपेट कर फिर जहन्नम की तरफ़ ले जाया जाता है ।
हज़रते मुहम्मद बिन का'ब कुरजी से मरवी है : इन्हों ने येह फ़रमाने इलाही :(आयत नम्बर 1) हत्ता इजा जा आ अहदहुमुल मौउतु काला रब्बिर जिऊन
(आयत नम्बर 2) ल अल्ली आमलू स्वालिहन फीमा तरकतू
यहां तक कि जब उन में से किसी एक पर मौत आए तो वोह कहता है ऐ मेरे रब मुझे वापस लौटा ताकि मैं नेक अमल करूं उस जगह जिसे मैं छोड़ आया हूं ।
पढ़ कर कहा : येह सुन कर रब तआला ने फ़रमाया : तू क्या चाहता है और तुझे किस चीज़ की ख्वाहिश है ?
क्या तू इस लिये जाना चाहता है ताकि माल जम्अ करे ?
दरख़्त लगाए , इमारतें बनाए और नहें खुदवाए ?
वोह कहेगा नहीं बल्कि इस लिये कि मैं छोड़े हुवे नेक अमल कर लूंगा । रब फ़रमाता है : " तहक़ीक़ येह बात है जिसे वोह कहने वाला है
या'नी हर काफ़िर मौत के वक्त येही कलिमात ज़रूर कहता है । हज़रते अबू हुरैरा रदिअल्लाहु से मरवी है : हुजूर स्वललल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मोमिन की कब्र एक सब्ज़ बाग होता है , उस की कब्र सत्तर हाथ फ़राख कर दी जाती है और वोह चौदहवीं रात के चांद की तरह चमकेगा , फिर फ़रमाया कि येह आयते मुबारका : ( फ इन्ना लहु म ईसतन द्वनका) बेशक उस के लिये ज़िन्दगी तंग होती है ।
जानते हो किस के बारे में नाज़िल हुई है ? सहाबए किराम रदिअल्लाहु ने अर्ज किया : अल्लाह और उस का रसूल बेहतर जानता है , आप स्वललल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : येह काफ़िर के अज़ाब के मुतअल्लिक है ,
उस की कब्र में उस पर निन्यानवे (99) सांप मुसल्लत कर दिये जाते हैं , हर सांप के सात (7) सर होते हैं ,
जो उस के वुजूद को नोचते , उसे खाते और हश्र के दिन तक उस पर गर्म गर्म फूंकें मारते रहते हैं ।
और येह बात भी समझ लीजिये कि इस मख्सूस अदद पर तअज्जुब न कीजिये क्यूंकि उन सांपों की तादाद इन बुराइयों की तादाद के बराबर है जैसे तकब्बुर , दिखावा , हसद , कीना और किसी के लिये दिल में मेल रखना वगैरा अगर्चे इन बुराइयों के उसूल गिने चुने हैं
मगर इन की शाखें और फिर इन शाखों की शाखें बहुत ज़ियादा हैं जो सब की सब मोहलिक हैं
और कब्र में येही सिफ़ाते मज़मूमा सांपों की शक्ल में तब्दील हो कर आएंगी , जो बुराई उस काफ़िर के वुजूद में ज़ियादा रासिख होगी वोह अज़दहे की तरह डसेगी , जो ज़रा कम होगी वोह बिच्छू की तरह डंक मारेगी और जो इन दो के दरमियान होगी वोह सांप की शक्ल में नुमूदार होगी ।
अस्हावे मा'रिफ़त और साहिबे दिल हज़रात अपने नूरे बसीरत से इन मोहलिकात और इन की फुरूअ को जानते हैं
मगर इन की तादाद पर मुत्तल होना , येह नूरे नबुव्वत का काम है इस जैसी हदीसों के ज़ाहिरी मा'ना सहीह और इन के पोशीदा मआनी भी हैं जो अहले मा'रिफ़त ब खूबी समझते हैं ,
लिहाजा अगर किसी ज़ाहिर बीन पर इन के हकाइक मुन्कशिफ़ न हों तो उसे इन्कार की बजाए तस्दीक और तस्लीम से काम लेना चाहिये क्यूंकि ईमान का कम अज़ कम दरजा येही है ।
qabar ka haal kya hota hai
Qabar Mein Murde Ka Kya Haal Hota Hai |
Qabar Mein Murde Ka Kya Haal Hota Hai, Marne ke baad qabar mein kya hota hai Qabar ki Pehli Raat Kabar ka hal Kis Hindi mahine ko qabar ka mahina kahate hain
ये तमाम अहवाल पढ़ कर रूह काँप जाती है मैने मुकाशिफतुल कुलूब मे पढा़ बाब कब्र के सवालात में सोचा अपने दोस्तों के साथ शेयर कर दूँ शायद कोई एक भी तौबा कर के नमाज रोजा हज जकात को ईमानदारी से अदा करने लग जायें तो मेरे लिखने का मकसद पूरा हो जाएगा अपने दोस्तों के साथ खूब शेयर करे आपका दोस्त मौलान गुलाम जीलानी रज्वी
और नात तकरीर इस्लामी वीडियो देखने के लिए हमारे यू ट्यूब YouTube infomgm चैनल पर जाने के लिए लिन्क पर किलिक करें
MURDE KO DAFAN KARNE KE BAD QABAR PE AZAAN
EK AHEM TOPIC
AAJ KAL KAFI BAD AQEEDA AITRAAZ KARTE HAIN KI MURDE KO DAFAN KARNE KE BAD USKI QABR PAR AZAN DENA NAZAIZ HAI AUR BIDD'AT HAI
LEKIN UN NADANO KO PATA NAHI KI WO AZAN MOMINO KI QABRON PAR HI DI JATI HAI KYUNKI SHAETAN KA AAKHRI WAAR QABR ME HI HOTA HAI AUR AZAN SUNKAR SHETAN KOSO DOOR BHGTA HAI
Aaqa Swallallaho Alaihi Wasallam Ne Farmaya Azan Ki Awaz Sun kar Shaitaan 36 Meel Door Bhag Jata He
( Muslim Sharif Jild - 1 Page No 147 )
Qadeemi Kutub Khana Imam Tirmizi Hadis Likhte Hein k Jab Murde Se Qabr Me Sawalat Hote Hain To Shaitaan Mudakhlat ( Dakhl Andazi ) Karta Hai ( Nawadirul Usool Page No. 322 )
Is Liye Hum Sunni Momin Musalmano ki Qabr Par Azan Dete Hain ..... Aaqa Swallallaho Alaihi Wasallam Ek Qabr Par Der Tak Buland Awaz Se Sub'han ALLAH or ALLAHO Akber Parhte Rahe
Phir Farmaya in Kalimat Ki Barkat Se Qabr ki Tangi ko Door kar k Kushada Kardiya Gaya ( Musnade Ahmed Jild 3. Page No.360 )
Isse Pata Chala ALLAHO Akber Ki Sadayen Buland Karne Se Qabr ki Tangi Door Hoti Hai
Jab Aadam Alaehissalam Jannat Se is Dunya Mein Utre To Apko Ghabrahat Huyi To Jibril Alaehissalam Ne Utar Kar Azan Di
( Hilyatul Auliya Jild - 2 , Page No 107 )
Pata Chala Ghabrahat ke Waqt Bhi Azan Deni Jibril Alayhissalam Ki Sunnat Hai Aur Murda Qabr Mein Ghabrata Hai is Liye Sunni Qabr Par Azan Dete Hain
Ek Dafa Aaqa Ne Hazrat Ali ko Ghamgeen Paya To Frmaya Ali k Kaan Mein Azan Do Azan Gham or Parishani Ko Dafa Karti Hai ( Mirqat Jild - 2 , Page No 149 )
Pata Chala Azan Namaz k Ilawa Gham or Parishani Door Karne Ke Liye Bhi Di Jati He Aur Murda Qabr Me Ghamgeen Hota Hai is Liye Sunni Qabr Par Azan Dete Hain
SAWAL : AZAN E QABR PAR ATRAZ ( LAST MSG ) Fiqhe Hanfi Mein Qabr Par Azan Dene Ka Kahin Saboot Nahin
JAWAB : Fatawa Shami Jo Deobandio Ke Nazdik Bhi Mustanad Hai Saaf Likha Hai Ke Qabr Par Azan Dena Sunnat Hai Lekin Allama Ibne Hajar Shafai Ne Sunnat Nahin kaha
( Magar Azan Dene ko Mana Bhi Nahin kiya ) . ( Fatawa Shami Jild- 1 Page No 283 Babul Azan )
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