Shabe Meraj Jannat Ki Sair In Hindi

Shabe Meraj Jannat Ki Sair In Hindi शबे मेराज जन्नत की सैर  

अल्लाह ने अपने प्यारे महबूब  हजरत मुहम्मद मुस्तफा स्वललल्लाहो अलैहिव सल्लम को बे शुमार मोजिजात अता फ़रमाया है इन मो'जिज़ात में से एक अज़ीमुश्शान मो'जिज़ा " मेअराज " (मेराज Shabe  MERAJ) है । 
शबे मे'राज सरवरे काइनात स्वललल्लाहो अलैहि वसल्लम को जन्नत की सैर करवाई गई जहां आप स्वललल्लाहो अलैहिव सल्लम ने ढेरों इनआमाते इलाहिय्या का मुशाहदा फ़रमाया  
Shabe Meraj Jannat Ki Sair In Hindi
Masjid e alaqsa Baitul Muqaddas

आज मैं आप की ख़िदमत में वोह जन्नती मुशाहदात पेश करने की सआदत हासिल करूंगा ।

Jannat ME Dakhila जन्नत में दाखिला 

सरवरे काइनात , फख्रे मौजूदात स्वललल्लाहो अलैहिव सल्लम फ़रमाते हैं कि ( मे'राज की रात ) मेरा दाखिला जन्नत में हुवा  
मैं ने देखा कि उस के संगरेजे  मोतियों के और उस की मिट्टी मुश्क की थी , ( सहीह बुखारी ,किताब अहदीसुल अम्बिया, बाब जिक्रे इदरीस अलैहिस सलाम) 

फिर चार नहरें देखीं , 
(1) एक पानी की जो तब्दील नहीं होता , 
(2) दूसरी दूध की जिस का ज़ायका नहीं बदलता , 
(3) तीसरी  शराब की जिस में पीने वालों के लिये सिर्फ लज्जत है ( नशा बिल्कुल नहीं ) 
(4) और चौथी पाकीज़ा और साफ़ सुथरे शहद की । 



जन्नत के अनार जसामत में डोलों की तरह और परन्दे ऊंटों की तरह थे , उस में अल्लाह ने अपने  नेक बन्दों के लिये ऐसे ऐसे इन्आमात तय्यार कर रखे हैं , जिन्हें किसी आंख ने  देखा न किसी कान ने सुना और न किसी इन्सान के दिल में उस का ख़याल  गुज़रा । (दलाइलुन नुबुव्वत) 

वोह बुर्जे बतहा का माह पारह बिहिश्त की सैर को सिधारा 
चमक पे था खुल्द का सितारा कि इस क़मर के क़दम गए थे 

वज़ाहत : वादिये मक्का के चांद  जब मे'राज की रात जन्नत में तशरीफ़ ले गए तो जन्नत के मुक़द्दर का सितारा  चमक उठा , कि जन्नत में माहताबे रिसालत के मुबारक  क़दम लग रहे थे । 

Shabe Meraj Jannat Ki Sair In Hindi
Shabe Meraj ki nafli ibadat 


सुरूरे मक्दम की रोशनी थी कि ताबिशों से माहे अरब की 
जिनां के गुल्शन थे झाड़ फर्शी जो फूल थे सब कंवल बने थे 

वज़ाहत : जब माहे अरब , महबूबे रब  की जन्नत में आमद हुई तो रोशनी ही रोशनी फैल गई और येह सारी रोशनियां  अरब के चांद के रूखे रोशन से फूट रही थीं और ऐसे आलम में जन्नत के  फूल भी खूब , खूब खिल रहे थे । 

Nahar e kaousar par tashrif aavri नहरे कौसर पर तशरीफ़ आवरी 

जन्नत की सैर के दौरान आप  एक नहर पर तशरीफ़ लाए , जिस के किनारों पर जौफ़दार ( अन्दर से ख़ाली किये हुवे ) मोतियों के खैमे थे 
और इस की मिट्टी ख़ालिस मुश्क थी आप  ने हज़रते जिब्राईल  से दरयाफ्त फ़रमाया : ऐ जिब्राईल ! यह क्या है ? अर्ज किया : येह कौसर है , जो आप  के रब ने आप   को अता फ़रमाई है । ( सहीह बुखारी बाब फिल होज) 

आस्मानों पर गए और खुल्द की भी सैर की 
शाह का येह मर्तबा , अहलव व सहलन मरहबा 

Teen Naharen तीन ( 3 ) नहरें 

मे'राज की रात ताजदारे रिसालत , शहनशाहे नबुव्वत  ने जन्नत के दरवाजे के पास कुरसी पर बैठे एक शख्स को देखा , जिस के बालों में कंघी की हुई थी और उस के पास कुछ सफेद चेहरों वाले और कुछ सियाह चेहरों वाले लोग थे । 
Shabe meraj 2021-2022
Shab e meraj 2021-2022

फिर वोह लोग जिन की रंगत में सियाही थी , एक नहर पर आए और उस में गुस्ल किया तो उन के रंग साफ़ हो गए । 
इस के बा'द वोह एक और नहर पर आए और उस में गुस्ल किया तो उन के रंग मजीद साफ़ हो गए , 
इस के बाद उन्हों ने तीसरी नहर में गुस्ल किया तो उन  के रंग उन के बाकी साथियों की तरह बिल्कुल सफ़ेद हो गए , लिहाज़ा वोह अपने उन्ही साथियों के साथ बैठ गए । 
सरकार  ने पूछा ! ऐ जिब्रील येह कौन लोग हैं ? 
जिन के चेहरे सफ़ेद हैं और वोह कौन हैं जिन की रंगत में कुछ ख़राबी थी , 
फिर वोह नहर में गुस्ल कर के निकले तो उन के रंग साफ़ गए ?
अर्ज की : या रसूलल्लाह  येह ( जन्नत के दरवाजे के करीब कुरसी पर बैठे हुवे ) शख्स आप  के वालिद हज़रते इब्राहीम  हैं , येह ज़मीन पर पहले शख्स हैं जिन्हों ने कंघी की 
और येह सफ़ेद चेहरों वाले वोह लोग हैं जिन्हों ने अपने ईमान में किसी नाहक की आमेज़िश नहीं की और वोह जिन की रंगत में कुछ खराबी थी येह वोह लोग हैं जिन्हों ने अच्छे अमल के साथ साथ कुछ बुरे अमल किये , फिर अल्लाह से तौबा की , तो अल्लाह ने उन की तौबा कबूल फ़रमा ली । 
और ( उन्हों ने गुस्ल किया इन में से ) पहली नहर , अल्लाह की रहमत और दूसरी अल्लाह की नेमत की नहर है और तीसरी नहर वोह है जहां अल्लाह ने उन को शराबे तहूर पिलाई है । 
देखा आप ने कि वोह लोग जिन के चेहरों की रंगत सियाह हो चुकी थी , रहमते इलाही की नहर में गौता लगाने के सबब उन की सियाही धुल गई , फिर नेमते इलाही की नहर में गोता लगाया
तो रंगत मजीद निखर गई और जब शराबे तहूर की नहर से पिया तो उन के चेहरे बिल्कुल सफेद हो गए । 
याद रहे कि उन्हें गुनाहों की सियाही से नजात  इस वजह से मिली कि उन्हों ने ( दुनियां में ) रब की बारगाह में तौबा की  थी तो अल्लाह ने उन की तौबा को क़बूल फ़रमाया और उन के चेहरे रोशन कर दिये । 



वाकई सच्ची तौबा न सिर्फ इन्सान के गुनाहों की कालिक को धो देती है बल्कि बन्दे को फ़लाह व कामयाबी से हम किनार करती है । 
अल्लाह रब्बुल आलमीन कुरआने मजीद में पारह 18 , सूरतुन्नूर , आयत नम्बर 31 में इरशाद फ़रमाता है : वा तूबू इलल लाही जमीआ अइयुहल मोमीनूना लअल्लकुम तुफलिहून 
तर्जमए कन्जुल ईमान : और अल्लाह  की तरफ़ तौबा करो , ऐ मुसलमानो ! सब के सब इस उम्मीद पर कि तुम फलाह पाओ । 
रब्बे करीम का करम बहुत वसीअ है कि गुनहगार को हर वक्त अपने करम के साए में लेने को तय्यार है , 
बन्दा चाहे कितना ही गुनाहगार हो उसे तौबा करने में देर नहीं करनी चाहिये  और हरगिज़ हरगिज़ अल्लाह की रहमत से मायूस नहीं होना चाहिये । 
खुदाए बुजुर्ग व बरतर के रहमो करम की कोई इन्तिहा नहीं वोह अपने बन्दों  के ज़मीनो आस्मान के बराबर गुनाह भी अपनी रहमत से मुआफ़ फ़रमा देता है । 
बस तौबा सच्ची होनी चाहिये । अल्लाह तौबा करने वालों से बहुत खुश होता है । 
चुनान्चे , बन्दे की तौबा पर अल्लाह की खुशी हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन मसऊद रदिअल्लाहु अन्हू फ़रमाते हैं कि मैं ने रसूलुल्लाह स्वललल्लाहो अलैहि वसल्लम को फ़रमाते हुये सुना है कि , बेशक अल्लाह - अपने मोमिन बन्दे की तौबा से उस शख्स से ( भी ) ज़ियादा खुश होता है 
जो  किसी हलाकत खेज़ पथरीली जमीन पर पड़ाव करे , उस के साथ उस की सुवारी भी हो , जिस पर उस के खाने पीने का सामान लदा हुवा हो , फिर वोह सर रख कर सो जाए , जब बेदार हो तो उस की सुवारी जा चुकी हो , वोह उसे तलाश करे 
यहां तक कि उसे सख्त प्यास लग जाए तो वोह कहे कि मैं उसी जगह लौट जाता हूं जहां मैं पहले था , वहां सो जाता हूं , यहां तक कि मर जाऊं , 
फिर वोह अपनी कलाई पर सर रख कर मरने के लिये सो जाए , फिर जब बेदार हो तो उस के पास उस की सुवारी मौजूद हो 
और उस पर उस की खूराक और खाने पीने की चीजें भी मौजूद हों तो अल्लाह  मोमिन बन्दे की तौबा पर उस शख्स के अपनी सुवारी के लौटने पर खुश होने से भी ज़ियादा खुश होता है ( सहीह मुस्लिम ,किताबुत तौबा  ) 
मैं कर के तौबा पलट कर गुनाह करता हूं 
हकीकी तौबा का कर दे शरफ़ अता या रब 
Shabe Meraj Jannat Ki Sair In Hindi
Baitul Mukaddas

Jannat Ki Aawaz जन्नत की आवाज 

शबे मे'राज , सरवरे दो आलम  का गुज़र एक ऐसी वादी से हुवा , जहां ठन्डी , पाकीज़ा और खुश्बूदार हवाएं चल रही थीं और आप  ने एक आवाज़ भी सुनी । 
फ़रमाया : ऐ जिब्रील ! येह ठन्डी , पाकीज़ा और खुश्बूदार हवा क्या है ? 
और येह आवाज़ कैसी है ? 
अर्ज की : येह जन्नत की आवाज़ है जो कह रही है : ऐ मेरे रब - मुझ में रहने वाले लोगों को मेरे पास भेज दे और उन को जिन का तू ने मुझ से वादा किया है , बेशक मेरे अन्दर खुश गवार खुश्बूएं , रेशम , करेब ख्वाब के उम्दा कपड़े और बे मिसाल चीजें , मोती , मूंगे , सोना , चांदी और आफ़्ताबे ( ढकने दार और दस्ते लगे हुवे लोटे ) नीज़ फल , शहद , ( पाकीज़ा ) शराब और दूध बहुत ज़ियादा है । 
लिहाजा उन को मेरे अन्दर भेज जिन का तू  ने मुझ से वादा किया है । 
अल्लाह ने उस से फ़रमाया : हर मुसलमान मोमिन मर्द व औरत और जो मुझ पर और मेरे रसूलों पर ईमान लाए , नेक अमल करे नीज़ किसी को मेरा शरीक और बराबर न ठहराए वोह तेरे लिये है 
और जो मुझ से  डरे मैं उसे अम्न दूंगा जो मुझ से सुवाल करे मैं उसे अता करूंगा , जो मुझे कर्ज दे ( सदक़ाते वाजिबा व नाफ़िला अदा करे ) मैं उसे जज़ा दूंगा , जो मुझ पर तवक्कुल करे , मैं उसे किफ़ायत करूंगा 
और मैं अल्लाह हूं , 
मेरे सिवा कोई  माबूद नहीं , मैं वादा ख़िलाफ़ी नहीं करता , बेशक ईमान लाने वाले कामयाब हुये । 
इस के बाद अल्लाह ने अपने पाक कलाम में से सूरए | मोअमिनून में मजकूर कामयाब मोअमिनीन की सिफ़ात बयान फ़रमाई 
तो जन्नत बोली : " मैं राज़ी हूं । " ( दलाइलुन नुबुव्वत ,बाब दलाइल अला इन्ना न नबी ) 
आप ने पढ़ा कि जन्नत ने अपने अन्दर  पाए जाने वाली कितनी दिलकश और उम्दा नेमतें ज़िक्र की और अल्लाह की बारगाह में येह भी अर्ज की , 
कि इन नेमतों से लुत्फ़ अन्दोज़ होने वाले खुश नसीबों को मेरे अन्दर भेज दे । 
इस पर ख़ालिके काइनात ने जन्नत को इस के मकीनों या'नी अहले ईमान मर्दो और औरतों के बारे में  बताने के बाद कामयाब मोअमिनीन की सिफ़ात भी बयान फ़रमाई । आइये वोह सिफ़ात पढ़ते हैं ।  

Firdaous Ki Miraas Paane Waale Log फ़िरदौस की मीरास पाने वाले लोग 

पारह 18 सूरए मोअमिनून आयत नम्बर 1 ता 11 में जन्नत की मीरास  पाने वाले खुश नसीबों के बारे में इरशादे बारी तआला है 
तर्जमए कन्जुल ईमान : बेशक मुराद को पहुंचे ईमान वाले , जो अपनी नमाज़ में गिड़गिड़ाते हैं  और वोह जो किसी बेहूदा बात की तरफ़  इल्तिफ़ात नहीं करते और वोह कि ज़कात देने  का काम करते हैं , 
और वोह जो अपनी शर्मगाहों  की हिफ़ाज़त करते हैं मगर अपनी बीबियों या  शरई बांदियों पर जो उन के हाथ की मिल्क हैं
कि उन पर कोई मलामत नहीं , तो जो इन दो के  सिवा कुछ और चाहे वोही हद से बढ़ने वाले हैं और वोह जो अपनी अमानतों और अपने अहद  की रिआयत करते हैं , और वोह जो अपनी  नमाज़ों की निगहबानी करते हैं , येही लोग   वारिस हैं कि फ़िरदौस की मीरास पाएंगे और वोह इस में हमेशा रहेंगे । 
फ़रमा के शफाअत मेरी ऐ शाफए मेहशर ! 
दोज़ख से बचा कर मुझे जन्नत में बसाना 


Jannat Ke Darwaze Par Likhi Tahrir  जन्नत के दरवाजे पर लिखी तहरीर 

हज़रते सय्यिदना अनस बिन मालिक रदिअल्लाहु अन्हू से रिवायत है , फ़रमाते हैं कि रसूले करीम ने इरशाद फ़रमाया : जिस रात मुझे मेराज हुई 
मैं ने जन्नत के दरवाजे पर येह लिखा हुवा देखा कि सदके का सवाब दस ( 10 ) गुना और कर्ज का अठ्ठारह ( 18 ) गुना है । 
मैं ने जिब्राईल  से दरयाफ्त किया : क्या सबब है कि कर्ज का दरजा सदके से बढ़  गया है ? 
उन्हों ने कहा कि साइल के पास माल होता है और फिर भी सुवाल करता है जब कि कर्ज लेने वाला हाजत की बिना पर ही क़र्ज़ लेता है । (सुनने इब्ने माजा, किताबुस सदकात बाबुल कर्ज ) 

इस से हमें भी येह दर्स मिलता है कि अगर किसी मुसलमान को कर्ज की ज़रूरत हो तो अल्लाह तआला की रिज़ा और दीगर अच्छी अच्छी निय्यतों से हस्बे इस्तिताअत कर्ज दे कर उस की मदद करें और ढेरों अज्रो सवाब हासिल करें , याद रहे कि कर्ज देने और कर्जदारों पर नर्मी करने वालों पर अल्लाह  अपना ख़ास फज्लो करम फ़रमाता है । 


Karzdaaron Par Narmi Ke Sabab Bakhshish मकरुज पर नर्मी से बख्शिश हो गई 

हज़रते सय्यिदना अबू हुरैरा - रदिअल्लाहु अन्हू से मरवी है कि रसूले अकरम  ने इरशाद फ़रमाया : एक शख्स ने कभी कोई नेक काम न किया था , हां अलबत्ता वोह लोगों को कर्ज दिया करता था और अपने नौकरों से कहा करता कि मक़रूज़ खुश हाल हो तो उस से कर्ज ले लेना और अगर तंग दस्त हो तो मत लेना ( बल्कि दर गुज़र करना और | मजीद मोहलत दे देना ) 
ऐ काश हमारा रब भी हम से दर गुज़र फ़रमाए  चुनान्चे , जब उस ने दुनिया फ़ानी से कूच किया , तो अल्लाह  ने उस से दरयाफ्त फ़रमाया :  क्या तू ने कभी कोई नेकी भी की ?  
उसने अर्ज़ की : नहीं , हां अलबत्ता मैं लोगों को कर्ज दिया करता था और  जब अपने खादिम को कर्ज की वुसूली के लिये भेजता तो उसे कहा करता  था कि खुश हाल से तू ले लेना मगर तंग दस्त से मत लेना बल्कि दर गुज़र  करना , हो सकता है कि ( इसी के सबब ) अल्लाह हम से भी दर गुज़र फ़रमाए । 
तो अल्लाह ने इरशाद फ़रमाया : ( जाओ ! ) मैं ने तुम्हें बख्श दिया (मुसनदे इमामे अहमद )  
Shabe Meraj Jannat Ki Sair In Hindi
Baitul Muqaddas Masjid e alaqsa

Buland O Baala Mohallat बुलन्दो बाला महल्लात 

मरवी है कि मेराज की रात जन्नत में आप  ने चन्द  बुलन्दो बाला महल्लात मुलाहज़ा फ़रमाए , जिन के बारे में पूछने पर हज़रते जिब्राईल ने अर्ज़ किया कि येह गुस्सा पीने वालों और लोगों से अफ्वो  दर गुज़र करने वालों के लिये हैं और अल्लाह एहसान करने वालों को पसन्द फ़रमाता है । (मुसनदुल फिरदौस , बाबुर रिआ ) 



गुस्सा गैर इख़्तियारी शै है , येह नफ़्स के उस जोश को कहते हैं जो बदला लेने पर उभारता है और इस से सीने में  इन्तिकाम की आग भड़क उठती है । 
ऐसे में जो शख्स अपने आप को काबू में रखे और अफ़्वो दर गुज़र से काम ले , अहादीस में उस के लिये बहुत से फ़ज़ाइल वारिद हैं , 
जिन में से एक फ़ज़ीलत तो अभी बयान हुई , आइये ! मज़ीद दो फ़रामीने मुस्तफ़ा पढ़ते हैं । 
(1)  जिस ने गुस्से को जब्त कर लिया हालांकि वोह उसे नाफ़िज़ करने पर  कादिर था तो अल्लाह  बरोजे कियामत उस को तमाम मख्लूक के सामने बुलाएगा और इख़्तियार देगा कि जिस हूर को चाहे ले ले । ( सुनन अबु दाऊद बाबुल अदब ) 

(2)  मेरी उम्मत के बेहतरीन लोग वोह हैं कि जब उन्हें गुस्सा आ जाए तो फ़ौरन  रुजूअ कर लेते हैं । ( अल मोअज्जमुल अउसत तिबरानी ) 

Motiyon Se Bane Huye Gumbad Numa Kheme मोतियों से बने हुवे गुम्बद नुमा खेमे 

जन्नत में आप  ने मोतियों से बने हुवे गुम्बद नुमा खेमे मुलाहज़ा फ़रमाए जिन की मिट्टी मुश्क थी । 
आप  ने हज़रते जिब्राईल  से दरयाफ्त फ़रमाया : लिमन हाजा या जिब्रीलू या'नी ऐ जिब्रील ! येह किस के लिये हैं ? " अर्ज किया : हुजूर यह आप  की उम्मत के अइम्मा और मुअज्ज़िनीन के लिये हैं । (अलमुसनद लिससासी) 

रज़ाए इलाही के लिये अज़ान देने और इमामत करने की  क्या खूब फ़ज़ीलत है 
कि रब तआला ने उन के लिये जन्नत में मोतियों से बने हुवे खैमे तय्यार कर रखे हैं , 
अल्लाह हमें भी तौफ़ीक़ अता फ़रमाए । 
आइये ! इस के बारे में मजीद दो फ़रामीने मुस्तफ़ा पढ़ते हैं । 
( 1 ) सवाब की ख़ातिर अज़ान देने वाला उस शहीद की मानिन्द है जो खून में लिथड़ा हुवा है और जब मरेगा , कब्र में उस के जिस्म में कीडे नहीं पड़ेंगे । ( अत्तरगीब वत्तरहीब किताबुस सलात, अत्तरगीब फिल अज़ान ) 

( 2 )  जिस ने पांचों नमाज़ों की अज़ान , ईमान की बिना पर ब निय्यते सवाब  कही , उस के जो गुनाह पहले हुवे हैं मुआफ हो जाएंगे और जो ईमान की बिना पर सवाब के लिये अपने साथियों की पांच नमाज़ों में इमामत करे , उस के पिछले गुनाह मुआफ कर दिये जाएंगे ।  (  कन्जुल उम्माल किताबुस सलात,किसमुल अक़वाल अलफसलुर राबेय )

Noor Me Chupa Huwa Aadmi नूर में छुपा हुवा आदमी 

सफ़रे मेराज की सुहानी रात प्यारे  मुस्तफ़ा स्वललल्लाहो अलैहि वसल्लम का गुज़र एक ऐसे शख्स के पास से हुवा जो अर्श के नूर में छुपा हुवा था । 
आप स्वललल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : येह कौन है , क्या कोई  फ़रिश्ता है ?
 कहा गया : नहीं । 
फ़रमाया : कोई नबी हैं ? 
कहा गया : नहीं । 
पूछा : फिर यह कौन है ? 
बताया गया : येह वोह शख़्स है कि दुनियां में इस की ज़बान ज़िक्रे इलाही से तर रहती थी , इस का दिल मस्जिदों में लगा रहता था और येह कभी अपने वालिदैन को बुरा कहे जाने या उन की बे इज्जती किये जाने का सबब नहीं बना । ( मौउसूअतुल इमामब्निद दुनया, किताबुल औलिया ) 



इस रिवायत से पता चलता है कि ज़िक्रे इलाही की | कसरत , मसाजिद से महब्बत और वालिदैन के लिये बुराई का सबब बनने से बचना , येह तीनों आमाल अल्लाह रब्बुल इज्जत  की बारगाह में बहुत ही महबूब हैं । 
इस रिवायत में इस बात की तरगीब मौजूद है कि इन्सान गाली गलोच , लड़ाई झगड़ा , नशा बाज़ी , जुआ वगैरा किसी भी ऐसे फेल का हरगिज़ मुर्तकिब न हो जो उस के वालिदैन के लिये  बे  इज्ज़ती का बाइस बने और हश्र के रोज़ खुद उसे भी शर्मिन्दगी का सामना करना पड़े ।
 वालिदैन को भी चाहिये कि इब्तिदा ही से अपनी औलाद की अच्छी तर्बिय्यत करें , अच्छे कामों की तरग़ीब दिलाएं , बुरे कामों पर रोक टोक करें ,  
अगर उन्हें यूंही अपने हाल पर छोड़ दिया और वोह गलत रास्ते पर चल पड़े  तो फिर सिवाए पछतावे के कुछ हाथ न आएगा 
दर हक़ीक़त औलाद को नेक  या बद बनाने में वालिदैन की तबिय्यत का बड़ा दखल होता है । 
मगर अफ्सोस वालिदैन ही अपनी औलाद की सहीह तर्बिय्यत करने से गाफ़िल हैं और खुद ही गुनाहों भरी ज़िन्दगी में बद मस्त हैं , 
जब वालिदैन का मक्सदे हयात हुसूले दौलत , आराम तलबी , वक्त गुज़ारी और ऐश कोशी बन जाए तो वोह अपनी औलाद की क्या तबिय्यत करेंगे और जब तबिय्यते औलाद से ला परवाही के असरात सामने आते हैं तो येही वालिदैन हर एक के सामने अपनी औलाद के बिगड़ने का रोना रोते दिखाई देते हैं । 
ऐसे वालिदैन को गौर करना चाहिये कि औलाद को इस हाल तक पहुंचाने में इन का कितना हाथ है , क्यूंकि इन्हों ने अपने बच्चे को ABCDEF (ENGLISH) बोलना  तो सिखाया मगर कुरआन पढ़ना न सिखाया 
मग़रिबी तहज़ीब के तौर तरीके  तो समझाए , मगर रसूले अरबी  की सुन्नतें न सिखाई ,  मालूमाते आम्मा ( जनरल नॉलेज ) की अहम्मिय्यत पर इस के सामने घन्टों | कलाम किया , मगर फ़र्ज़ दीनी उलूम के हुसूल की रगबत न दिलाई 
इस के दिल में माल की महब्बत तो डाली , मगर इश्के रसूल  की शमा फ़रोज़ां न की , 
इसे दुनयावी नाकामियों का ख़ौफ़ तो दिलाया मगर इमतिहाने कब्रो हश्र में नाकामी से वहशत न दिलाई , इसे हाए हेलो कहना तो सिखाया मगर सलाम करने का तरीका न बताया । 
गुनाहों के इतिकाब की आज़ादी और लहनो लईब के तरह तरह के सामान का बिला रोक टोक  इस्ति'माल , केबल , इन्टरनेंट की कारस्तानियां , सोशल मीडिया के गलत इस्ति'माल , रक्सो सुरूद की महफ़िलों में इन्हिमाक और बिगड़ा हुवा घरेलू माहौल यह सब कुछ बच्चे की तबीअत में शैतानिय्यत व नफ़्सानिय्यत को इतना कद आवर कर देता है 
कि इस से पाकीज़ा किरदार की तवक्कोअ बहुत मुश्किल हो जाती है । अल्लाह हमें अपनी और अपनी औलाद की सहीह तर्बिय्यत करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए । 
Shabe Meraj Jannat Ki Sair In Hindi
Masjide alaqsa inside image 

Shaan E Siddiqe Akbar शाने सिद्दीके अक्बर 

मेराज की बा बरकत रात जब प्यारे आका  जन्नत में | तशरीफ़ लाए तो रेशम के पर्दो से आरास्ता एक महल मुलाहज़ा फ़रमाया । 
आप  ने हज़रते जिब्राईल  से दरयाफ्त फ़रमाया : ऐ जिब्राईल ! येह किस के लिये है ? 
अर्ज किया : हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़  के लिये । ( अर्रेयाजुन नुजरत बाब अव्वल  फी मनाकिबे अबु बक्र ) 



आशिके अकबर हज़रते सय्यिदना अबू बक्र सिद्दीक़  की क्या खूब शान है ! 
याद रहे कि नबियों और रसूलों  के बाद इन्सानों में आप  सब से अफ़ज़ल हैं । आप  के फ़ज़ाइल बे शुमार हैं , रसूले करीम ,  पर मर्दो में सब से  पहले आप  ही ईमान लाए 
सफ़र व हज़र में प्यारे आका  के साथ रहे , प्यारे आका  की हमराही में ही हिजरत की सआदत हासिल की और फ़नाफ़िर्रसूल के उस मकाम पर फ़ाइज़ हुवे कि अपना माल , जान ,औलाद , वतन अल गरज़ हर शै रसूले नामदार मदीने के ताजदार  पर कुरबान कर दी ।
यही वजह है कि बारगाहे इलाही  में आप  ने बहुत बुलन्द मरातिब और  ढेरों ढेर इन्आमाते इलाहिय्या के हकदार भी हुवे । 
बयां हो किस ज़बां से मर्तबा सिद्दीके अकबर का ! 
है यारे ग़ार , महबूबे ख़ुदा सिद्दीके अक्बर का ! 

रुसुल और अम्बिया के बाद जो अफ्ज़ल हो आलम से 
येह आलम में है किस का मर्तबा , सिद्दीके अक्बर का ! 

 Hazrat Bilal Ke Qadmon Ki Aahat हजरते बिलाल  के कदमों की आहट 

जन्नत की सैर के दौरान सरदारे दो जहान  ने किसी के क़दमों की आहट समाअत फ़रमाई , जिस के  बारे में आप  को बताया गया कि येह हज़रते बिलाल  हैं । ( मिश्कातुल मसाबेह , किताबुल मनाकिब, बाब मनाकिबे उमर) 

क्या शान है मुअज्जिने रसूल , हज़रते सय्यिदना बिलाले हबशी  की , कि प्यारे आका  इन के कदमों की आहट जन्नत में समाअत फरमा रहे हैं । 
आप  को यह मुकाम किस अमल के सबब हासिल हुआ , आइये पढ़ते हैं ! चुनान्चे , हज़रते सय्यिदना अबू हुरैरा रदिअल्लाहु से रिवायत है , फ़रमाते हैं कि ( एक दफा ) फ़ज्र के वक्त सरकारे आली वकार  ने  हज़रते बिलाल  से फ़रमाया : ऐ बिलाल  मुझे बताओ तुम ने  इस्लाम में कौन सा ऐसा अमल किया है 
जिस पर सवाब की उम्मीद सब से ज़्यादा है , क्यूंकि मैं ने जन्नत में अपने आगे तुम्हारे कदमों की आहट सुनी  अर्ज़ किया : मैं ने अपने नज़दीक कोई उम्मीद अफ़्ज़ा काम नहीं किया । 
हां ! मैं ने दिन रात की जिस घड़ी भी वुजू या गुस्ल किया तो इस क़दर नमाज़  पढ़ ली , जो अल्लाह ने मेरे मुक़द्दर में की थी । ( सहीह मुस्लिम किताब फजाइले सहाबा, बाब मिनल फजाइले बिलाल) 



शर्हे हदीस इस हदीसे पाक की शर्ह करते हुवे हकीमुल उम्मत हज़रते अल्लामा मुफ़्ती अहमद यार ख़ान नईमी  फ़रमाते हैं : हज़रते बिलाल  का हुजूर  से आगे जन्नत में जाना ऐसा है 
जैसे नौकर चाकर बादशाहों के आगे ' हटो बचो ' करते हुये चलते हैं । 
मतलब यह है कि ऐ बिलाल ! तुम ने ऐसा कौन सा काम किया जिस से तुम को मेरी येह  ख़िदमत मुयस्सर हुई ? ख़याल रहे कि मेराज की रात न तो हज़रते बिलाल हुजूर  के साथ जन्नत में गए न आप को  मे'राज हुई बल्कि हुजूर  ने उस रात वोह वाक़िआ मुलाहज़ा फ़रमाया जो क़ियामत के बाद होगा 
कि तमाम खल्क से पहले हुजूर  जन्नत में दाखिल होंगे , इस तरह कि हज़रते बिलाल   खादिमाना हैसिय्यत से आगे आगे होंगे । 
इस से चन्द मसले मालूम हुये , एक येह कि अल्लाह तआला ने हुजूर  को लोगों के अन्जाम पर ख़बरदार किया कि कौन जन्नती है और कौन दोज़ख़ी और कौन किस दरजे का जन्नती , दोज़ख़ी है , यह उलूमे खम्सा में से हैं और 
दूसरे यह कि हुजूर  के कान व आंख लाखों बरस बा'द होने वाले वाक़िआत को सुन लेते हैं , देख लेते हैं येह वाक़िआ उस तारीख से कई  लाख साल बाद होगा , मगर कुरबान उन कानों के आज ही सुन रहे हैं । 
तीसरा यह कि इन्सान जिस हाल में ज़िन्दगी गुज़ारेगा उसी हाल में वहां होगा , हज़रते बिलाल  ने अपनी ज़िन्दगी हुजूर  की ख़िदमत  में गुज़ारी वहां भी ख़ादिम हो कर ही उठे । और हज़रते बिलाल  के फ़रमान कि “ मैं ने दिन रात की जिस घड़ी भी वुजू या गुस्ल किया तो इस क़दर नमाज़ पढ़ ली 
जो मेरे मुक़द्दर में थी " की वजाहत करते हुवे मुफ्ती साहिब  फ़रमाते हैं : या'नी दिन रात में जब भी मैं ने वुजू या गुस्ल किया तो दो नफ़्ल ' तहिय्यतुल वुजू ' पढ़ लिये । मगर यहां अवकाते गैर मकरूह में पढ़ना मुराद है ताकि येह हदीस  मुमानअत की अहादीस के ख़िलाफ़ न हो । 
ख़याल रहे कि हुजूर  का हज़रते बिलाल  से यह पूछना इस लिये था 
ताकि आप येह जवाब दें और उम्मत इस पर अमल करे , वरना हुजूर  तो हर शख्स के हर छुपे खुले अमल से वाकिफ़ हैं 
नीज़ यह दरजा सिर्फ हज़रते बिलाल  को इन नवाफ़िल का है हज़ारहा आदमी येह नवाफ़िल पढ़ेंगे या पाबन्दी करेंगे मगर उन्हें येह ख़िदमत नसीब नहीं । ( मिरआतुल मनाजीह , नवाफ़िल का बाब , पहली फ़स्ल , 2/300 ) 

इस रिवायत से हमें हज़रते सय्यिदना बिलाल  के मकाम व मर्तबे के साथ साथ तहिय्यतुल वुजू की अहम्मियत व फजीलत भी मालूम हुई । 


Jabarzad Aour Yaaqut Ke Kheme जबरजद और याकूत के खेमे 

जन्नत की हसीनो जमील और प्यारी वादियों की सैर फ़रमाते हुये प्यारे आका  एक नहर पर तशरीफ़ लाए जिसे बैज़ख़ कहा जाता है । 
उस पर मोतियों , सब्ज़ ज़बरजद और सुर्ख याकूत के खेमे थे । इतने में एक आवाज़ आई :  अस्सलामु अलैईका या रसूलुल्लाह आप  ने हज़रते जिब्राईल  से दरयाफ्त फ़रमाया कि ऐ जिब्रील ! येह कैसी आवाज़ है ? 
अर्ज किया : यह खेमों में पर्दा नशीन हूरें हैं , इन्हों ने अपने रब  से आप  को  सलाम कहने की इजाज़त तलब की थी और रब तआला ने इन्हें इजाज़त अता फ़रमा दी । फिर वोह ( हूरें ) कहने लगी : 
हम खुश रहने वालियां हैं कभी ना गवारी व नफ़रत का बाइस न होंगी और हम हमेशा रहने वालियां हैं कभी फ़ना  न होंगी । ( अद्दुर्रुलमनसूर )  
गौर तो कीजिये कि रब्बे करीम ने जन्नत को अपने बन्दों के लिये कितना आरास्ता कर रखा है और इस  में कैसी कैसी उम्दा नेमतें तय्यार कर रखी हैं । 
आइये ! मुख़्तसरन जन्नत के  कुछ मजीद अवसाफ़ पढतें हैं ताकि हमारे दिलों में इसे हासिल करने की रगबत पैदा हो और नेक आ'माल का जज्बा नसीब हो । 


Jannat Ka Bayan जन्नत का बयान 

सदरुश्शरीआ  अल्लामा मौलाना मुफ्ती मुहम्मद अमजद अली आज़मी  बहारे शरीअत , हिस्सए अव्वल में जन्नत के बारे में बयान करते हुवे फ़रमाते हैं : जन्नत एक मकान है कि अल्लाह तआला ने ईमान वालों के लिये  बनाया है , इस में वोह नेमतें मुहय्या की हैं 
जिन को न आंखों ने देखा , न  कानों ने सुना , न किसी आदमी के दिल पर इन का ख़तरा ( या'नी गुमान ) गुज़रा । जो कोई मिसाल इस की तारीफ़ में दी जाए समझाने के लिये है , 
वरना दुनियां की आ'ला से आ'ला शै को जन्नत की किसी चीज़ के साथ कुछ मुनासबत नहीं । 


Jannat Kitni Badi Hai जन्नत कितनी वसीअ है 

इस को अल्लाह व रसूल  ही जानें , इजमाली बयान यह है कि इस में सौ ( 100 ) दरजे हैं । 
हर दो दरजों में वोह मसाफ़त है जो आस्मानो ज़मीन के दरमियान । 
जन्नत में एक दरख्त है जिस के साए में सौ ( 100 ) बरस तक तेज़ घोड़े  पर सुवार चलता रहे और ख़त्म न हो । जन्नत के दरवाजे इतने वसीअ होंगे कि  एक बाजू से दूसरे तक तेज़ घोड़े की सत्तर ( 70 ) बरस की राह होगी ।
 जन्नत की दीवारें सोने और चांदी की ईंटों और मुश्क के गारे से बनी हैं , एक ईट सोने की , एक चांदी की , जमीन जा'फ़रान की , कंकरियों की जगह मोती और  याकूत । और एक रिवायत में है कि जन्नते अद्न की एक ईंट सफ़ेद मोती की है , 
एक याकूते सुर्ख की , एक ज़बरजद सब्ज़ की और मुश्क का गारा है और घास की जगह जा फ़रान है , मोती की कंकरियां , अम्बर की मिट्टी , जन्नत में एक एक मोती का खैमा होगा जिस की बुलन्दी साठ ( 60 ) मील । 
जन्नत में चार ( 4 ) दरिया हैं , एक पानी का , दूसरा दूध का , तीसरा शहद का , चौथा शराब का , फिर इन से नहरें निकल कर हर एक के मकान में जारी हैं । 
वहां की नहरें जमीन खोद कर नहीं बहतीं , बल्कि ज़मीन के ऊपर ऊपर रवां हैं , नहरों का एक कनारा मोती का , दूसरा याकूत का और नहरों की जमीन ख़ालिस मुश्क की । 
जन्नतियों को जन्नत में हर किस्म के लज़ीज़ से लज़ीज़ खाने मिलेंगे 
जो चाहेंगे फ़ौरन उन के सामने मौजूद होगा , अगर किसी परिन्दे को देख कर उस के  गोश्त खाने को जी हो तो उसी वक्त भुना हुवा उन के पास आ जाएगा , 
अगर पानी वगैरा की ख्वाहिश हो तो कूजे खुद हाथ में आ जाएंगे 
इन में ठीक अन्दाजे के मुवाफ़िक पानी , दूध , शराब , शहद होगा कि उन की ख्वाहिश से एक कतरा कम न ज़ियादा बाद पीने के खुद ब खुद जहां से आए थे चले जाएंगे । सर के बाल और पलकों और भंवों के सिवा जन्नती के बदन पर कहीं बाल न होंगे 
सब बे रीश होंगे , सुर्मगी आंखें , तीस बरस की उम्र के मा'लूम होंगे कभी इस से ज़ियादा मा'लूम न होंगे । अदना जन्नती के लिये अस्सी हज़ार ( 80,000 ) खादिम और बहत्तर ( 72 ) बीबियां होंगी और उन को ऐसे ताज मिलेंगे कि इस में का अदना मोती मशरिक व मगरिब के दरमियान रोशन कर दे । ( बहारे शरीअत , हिस्सा अव्वल )

मेराज की रात प्यारे मुस्तफ़ा  ने जहां मुतीअ व फ़रमां बरदार बन्दों पर होने वाले इन्आमाते इलाहिय्या का मुशाहदा फ़रमाया तो वहीं नाफ़रमानों को गज़बे इलाही में गिरिफ्तार भी देखा , 
जो अपने गुनाहों की पादाश ( सजा ) में इन्तिहाई दर्दनाक अज़ाबों में मुब्तला थे । 


Azabat Me Mubtala Log अजाबात में मुब्तला लोग 

मेराज की रात सरवरे कायनात  का गुज़र कुछ ऐसे लोगों पर हुआ जिन पर कुछ अफ़राद मुकर्रर थे , इन में से बाज़ अफ़राद ने उन लोगों के जबड़े खोल रखे थे और  बाज़ दूसरे अफराद उन का गोश्त काटते और खून के साथ ही उन के मुंह में धकेल देते । प्यारे आका  ने दरयाफ्त फ़रमाया कि ऐ जिब्रील  येह कौन लोग हैं ? 
अर्ज किया : येह लोगों की गीबतें और उन की  ऐबजूई करने वाले हैं । ( मुसनदुल हारिस ,किताबुल ईमान) 

मेराज की शब नबियों के सरदार  दोज़ख में कुछ ऐसे लोग भी देखे जो आग की शाखों से लटके हुये थे । 
आप  ने दरयाफ्त फ़रमाया : ऐ जिब्रील ! येह कौन लोग हैं ? 
अर्ज किया : येह वोह लोग हैं जो दुन्या में अपने वालिदैन को गालियां देते थे । ( अज्जवाजिर किताबुन नफकात अलज जौउजात) 

उस रात सरकारे मदीना  ऐसे लोगों के पास भी तशरीफ़ लाए जिन के आगे और पीछे चीथड़े लटक रहे थे और वोह चोपायों की तरह चरते हुवे ख़ारदार घास , थोहर और जहन्नम के तपे हुवे ( गर्म ) पत्थर निगल रहे थे । 
आप  ने दरयाफ्त फ़रमाया : ऐ जिब्रील ! यह कौन लोग हैं ? अर्ज किया : येह वोह लोग हैं जो अपने मालों की ज़कात नहीं देते थे , अल्लाह ने इन पर जुल्म नहीं किया और अल्लाह , बन्दों  पर जुल्म नहीं फ़रमाता । ( अत्तरगीब वत्तरहीब किताबुससदकात ) 

जन्नत की आसाइशों और नेमतों पर नज़र रखने के साथ साथ ज़रा इन अज़ाबात पर भी गौर कीजिये ! 
कौन है जो इन हौलनाक अजाबात को सह सके , अल्लाह की कसम ! 
किसी में भी जहन्नम का अज़ाब बरदाश्त करने की ताक़त नहीं और फिर अपनी नातवानी व कमजोरी को देखिये ,  हमारी कमज़ोरी का हाल तो येह है कि 
हल्का  सा सर दर्द या बुख़ार तड़पा कर रख देता है तो फिर आखिरत के येह दर्दनाक अज़ाब क्यों कर बरदाश्त किये जा सकते हैं ? 
इस लिये अभी वक़्त है डर जाएं  और फ़ौरन से पेशतर गुनाहों से तौबा करें वरना अगर येह मौका हाँथ से निकल गया और तौबा से पहले ही मौत ने आ लिया तो फिर हलाकत ही  हलाकत है । 
याद रहे कि दुनियां की ज़िन्दगी चन्द रोज़ा है जब कि आख़िरत की ज़िन्दगी दाइमी ( या'नी हमेशा रहने वाली ) है यकीनन कामयाब वोही है जो  इस चन्द रोज़ा ज़िन्दगी में अपनी आख़िरत संवारने में लगा रहे 
और अल्लाह  और उस के रसूल  की रज़ा के काम कर के जन्नत में दाखिल हो जायें । 




अल्लाह कुरआने मजीद में पारह 4 सूरए आले इमरान , आयत नम्बर 185 में इरशाद फ़रमाता है : फमन ज़ुहजि़हा अनिन नारी वा उदखिलल जन्नता फकद फाजा़ वमा हयातुद दुनिया इल्ला मताउल गुरूर) 

तर्जमए कन्जुल ईमान : जो आग से बचा कर जन्नत में दाखिल किया गया वोह मुराद  को पहुंचा और दुन्या की ज़िन्दगी तो येही  धोके का माल है । 

आइये इस चन्द रोज़ा ज़िन्दगी को संवारने के बजाए अपनी आख़िरत को संवारें और नेक आमाल के जरीए उस जन्नत को हासिल करने की  कोशिश करें जहां कोई गम नहीं और वहां हमेशा रहना है । 
बयान का खुलासा  शबे म'राज की रात नबिय्ये मोहतरम  ने जो जन्नती मुशाहदात किये वोह आप ने पढ़ा , सरकार जब जन्नती दरवाजे पर तशरीफ़ लाए तो रिज़वाने जन्नत ने आप  का इस्तिकबाल किया , वहां आप ने जन्नती नहरों और इस के बागात और खुशनुमा परिन्दों को मुलाहज़ा फ़रमाया , नहरे कौसर को देखा 
जिस पर मोतियों के खेमे थे और इस की मिट्टी मुश्क की थी , आप  ने जन्नत में ऐसे बुलन्दो बाला महल्लात भी मुलाहज़ा फ़रमाए जिन के बारे में जिब्रीले अमीन  ने अर्ज़ की , कि येह गुस्सा  पीने वालों और लोगों से अफ्वो दर गुज़र करने वालों के लिये हैं 
नीज़ मोतियों से बने हुये गुम्बद नुमा खेमे भी देखे जिन के बारे में बताया गया कि येह आप की उम्मत के अइम्मा और मुअज्जिनीन के लिये हैं ।
आप  ने  हज़रते सय्यिदुना सिद्दीके अक्बर के लिये रेशम के पर्दो से आरास्ता किया हुवा महल भी देखा और जन्नत की सैर करते हुये हज़रते सय्यिदना बिलाल  के क़दमों की आवाज़ भी सुनी । 
जन्नत एक ऐसा मकान है जहां अहले ईमान हमेशा रहेंगे , इस में ऐसी नेमतें हैं जिन को न किसी आंख ने  देखा , न किसी कान ने सुना , न किसी आदमी के दिल में इस का ख़याल  आया । 
जन्नतुल फ़िरदौस की मीरास उन खुश नसीब अहले ईमान को मिलेगी जो अपनी नमाज़ में गिड़ गिड़ाते हैं और किसी बेहूदा बात की तरफ़ इल्तिफ़ात  ( या'नी तवज्जोह ) नहीं करते , ज़कात देते हैं , अपनी शर्मगाहों की हिफ़ाज़त करते हैं , अपनी अमानतों और अपने अहद की रिआयत करते हैं , अपनी नमाजों की निगहबानी करते हैं । 
अल्लाह हमें भी इन पाकीज़ा  सिफ़ात का पैकर बनाए और दुनियां व आख़िरत की कामयाबियों से हम कनार  फ़रमाए आमीन बिजाहि सय्यदिल मुरसलीन ।


हमारे दूसरे पोस्ट के पढने के  लिए नीचे लिस्ट लिन्क कर दी गई है 

Next post 


Best post






Best post




Next post 



New post





Next post












Shabe Meraj Jannat Ki Sair In Hindi 













Shabe Meraj Jannat Ki Sair In Hindi 




















Shabe Meraj Jannat Ki Sair In Hindi 



















Shabe Meraj Jannat Ki Sair In Hindi 

















Shabe Meraj Jannat Ki Sair In Hindi 

पोस्ट अच्छी लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करे और दूसरों की रहनुमाई करें हमारे पोस्ट को दूसरों तक पहुंचाने में शामिल हों और एक बेहतरीन जानकारी देने में हिस्सा लें
अगर आप सभी दोस्तों कों हमारी जानकारी अच्छी लगी हो तो हमारी माली मदद कर सकते हैं जिससे हम और भी अच्छे तरीके से अपने मित्रों के साथ अपनी पोस्ट  साझा करने में खुशी होगी
अगर आप हमारे पोस्ट को पढतें हैं और अगर पढने के बाद समझ में नहीं आये तो कमेन्ट करें हम जरुर उसका जवाब देगें
मदद करने के लिए इस लिंक पर जायें 
                
Donations 

https://jilanidhanpuri.blogspot.com/p/donations.html?m=1

Shabe Meraj Jannat Ki Sair In Hindi 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ