Fatiha dena jayiz hai ya nahi|Fatiha padhne (dene) ka tarika In Hindi फातिहा पढने का आसान तरीका

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अहले सुन्नत व जमात के नज्दीक फातिहा पढना मुस्तहब है!


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मुस्तहब की तारीफ़(परिभाषा) fatiha ka tarika

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fatiha dene ka tarika

किसी अमल का करना जिससे करने से सवाब हो और ना करना कोई गुनाह भी ना हो वो मुस्तहब की कटेगिरी मे आता है
अलबत्ता अहले सुन्नत वा जमात मे दस्तूरे अमल रहा है
सदियों से और ये नबी अकरम स्वललल्लाहो अलैइही वसल्लम के जमाने से चला आ रहा है
और इसे हर जगह अलग अलग नाम से जाना जाता है
इसे बहुत सी जगह मे नजर् करना भी कहा जाता है बहुत से जगहों भी इसे नेयाज के नाम से जाना जाता है बहुत सी जगह मे ईसाल भी कहा जाता है
कोई ऐसा कार्य करना जिससे समाज का इनसानियत का भला हो ये सब सवाब का काम है इसे ईसाल भी कहते हैं
जैसे कहीं पानी की उपलब्धता कम है
ऐसे जगह बोरिंग नल लगवाना अपने मरहुम के नाम से कोई भूका है उसे खाना खिला देना कोई इल्म पढाई करना चाहता है
लेकिन उसके पास इतना पैसा नहीं कि वो अपनी पढाई कर सके उसे अपने मरहूम के नाम से ₹ पैसा से मदद कर देना ये सब ईसाल है इन सब का सवाब हमारे मरहूमीन तक पहुंचता है
नबिये रहमत स्वललल्लाहो अलैही वसल्लम फरमाते हैं
 कि इनसान के मरने के बाद सारे आमाल बन्द हो जाते हैं
लेकिन कुछ आमाल ऐसे है जिससे उसे मरने के बाद भी सवाब मिलता है आगे फरमाते है उसमे से एक नेक औलाद है जो मरने के बाद अपने वालदैन के हक मे मगफिरत की दुआ करे फातिहा पढना सबसे आसान है लेकिन बहुत सारे जाहिलों की वजह से यह बहुत कठिन लगता हैै 

कुछ लोगों का कहना होता है की जब तक चारो कुल ना पढो तब तक फातिहा नहीं होती ये सब जहालत  कि वजह से ऐसा कह गुजरते हैं जबकि शरीयत मे ऐसा कोई मसला ही नहीं है
हम फातिहा का तरीका हिन्दी में लिख रहे हैं ताकि ऐसा कोई वक्त आये तो खुद से फातिहा पढ सकें fatiha ka tarika

मसला :- फातिहा मर्द और औरत दोनों पढ सकते हैं ऐसा कोई शर्त नहीं की फातिहा सिर्फ मर्द ही दे सकता है औरत नहीं दे सकती (इरफाने शरीअत हिस्सा 1 सफा नम्बर 12 )

मसला :- फातिहा पढने से पहले कुछ बेहतरीन गिजा भी शामिल करना बेहतर है जैसे बेहतरीन किस्म का खाना उसे सामने रखा जाये  (इरफाने शरीअत हिस्सा 1 सफा नम्बर 12 )

मसला :- कुर्बानी मर्द और औरत दोनो कर सकते हैं
वजाहत :- जिस तरह कुर्बानी मर्द और औरत दोनों कर सकते हैं उसी तरह फातिहा भी मर्द और औरत दोनों दे सकते हैं

बेहतर तरीका ये है कि खडे हो कर फातिहा पढे और बैठ कर भी दे सकते हैं लेकिन हो सके तो खढे हो कर दें
जिस जगह फातिहा पढनी हो वो जगह साफ पाक हो खुश्बू का एहतमाम करें बावजू होकर फातिहा पढें कोशिश करें कि जहाँ फातिहा हो रही हो सारे लोग शामिल होंं। 
बहुत सारे लोग फातिहा में शिर्कत नहीं करने की वजह से उसकी बरकतों से महरूम रह जाते हैं।
फातिहा में खाने के साथ पानी भी सामने रखें फातिहा के बाद इस पानी को खास तौर से उन लोगों को पीने को दें जो बीमार हैं या परेशान है इस पानी  की  बरकात देखने को मिलेंगे
और इसके बाद कुरान शरीफ की तिलावत करना शुरू करें आप लोगों को जितना याद हो ।

मसला :- देख कर पढें या बिना देखे पढे दोनो जायज हैै।

मसला :- कुरान की एक सूरह पढने पर  भी फातिहा हो जाती हैै

मसला:-  अगर किसी ने सिर्फ ( कुल हुवल्लाहु अहद ) पढा और इसका सवाब मुर्दों को बख्शा तब भी फातिहा हो जाती हैै

वजाहत :- फातिहा पढने के वक्त मे दुनिया के सारे मोमिनीन को शामिल करें उनके लिए दुआ ए मगफिरत करें ।

वजाहत :- जैसा कि मैने एक मुकम्मल कुरान शरीफ की तिलावत कि अब मै दुआ मे ये कहूँ ऐ अल्लाह इस कुरान शरीफ की तिलावत का सवाब दुनिया के सारे मोमिनीन के हक मे पहुँचा तो सारे मरहूमीन को एक एक कुरान कि तिलावत का सवाब पहुँचता है fatiha ka tarika

इसका ये हरगिज मतलब नही कि हम सिर्फ अपने मरहूमीन को खास सवाब पहुँचायें हो सके तो सारे मरहूमीन के हक मे दुआ करें।
इससे हमे यह फायदा होगा कि सारे मरहूमीन के गिनती के बराबर अल्लाह पाक हमारे आमाल मे नेकियाँ अता फरमाता है
सरकार ए मदीना स्वललल्लाहो अलैही वसल्लम की हदीस हमारी राहनुमाई करती है।

कि सरकारे अकदस स्वललल्लाहो अलैही वसल्लम ने फरमाया कि ऐ मेरे प्यारे सहाबा जब भी किसी मुर्दे कि मगफिरत के लिए अपने हाँथों को उठाओ तो दुनिया के सारे मोमिनीन के हक में मगफिरत मागा करो 
यानी हजरत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर कयामत कायम होने तक के मोमिनीन के लिए
सहाबा अर्ज करते हैं हुजूर हम तो उन्हें जानते भी नहीं सरकार फरमाते हैं की अल्लाह सारे मोमिनीन के गिनती के बराबर उस बन्दे के आमाल मे नेकी लिखने का फरिश्तों को हुक्म देता है
अगर किसी को कुरान शरीफ पढनी ना आती हो तो सिर्फ इन कलिमात को पढ ले चाहे एक (1) बार पढें और चाहें जितनी ज्यादा बार हो सके पढें तब भी फातिहा हो जायेगी

बुखारी शरीफ की आखरी हदीसे पाक में इसका जिक्र है

एक मर्तबा अल्लाह के महबूब स्वललल्लाहो अलैही वसल्लम फरमाते है कि
ऐ सहाबा कुछ कलिमात ऐसे हैं कि पढने मे बहुत हल्के हैं लेकिन आमाल मे सबसे बेहतरीन दर्जे के हैं
सहाबा अर्ज करते हैं कि हुजूर उन कालिमात को हम लोगों को बतला दें कि हम लोग उसका विर्द करें
अल्लाह के महबूब हजरत मुहम्मद मुस्तफा स्वललल्लाहो अलैही वसल्लम ने फरमाया वो कलिमा (सुब्हानल्लाहि वा बिहमदिही सुब्हानल्लाहिल, अजीम ) है
तो जिन लोगों को कुरआन पढना ना आता हो तो वो लोग इन कलिमात को पढ कर ईसाल (फातिहा) कर दिया करें

Fatiha dena jayiz hai ya nahi|Fatiha padhne (dene)  ka tarika In Hindi  फातिहा पढने का आसान तरीका

हमारे बुजुर्ग और उल्मा ए इस्लाम इस तरह से फातिहा पढते हैं जैसे हमने यहाँ लिखा है
अब फातिहा पढने से पहले एक गुज़ारिश है मेरे सारे दोस्तों से कि अगर इस्लामी जानकारी हिन्दी में आप लोगों को पसंद आये पूरा पढने के बाद तो जरूर अपने 10 से 50 दोस्तों तक शेयर कर देना हम सब के वजह से अगर किसी को इस्लाम कि जानकारी मिल जाए तो यह भी सदकये जारिया है 

मेरे इतना मेहनत करने का असल वजह सिर्फ और सिर्फ लोगों तक इस्लाम की जानकारी हिन्दी में पहुंचाना मकसद है
क्योंकि बहुत सारे लोग दीन की जानकारी ना होने के सबब में उल्मा से बहस बाजी करते नजर आते हैं
और जवाबन कहते हैं कि वो मौलाना तो ऐसे फातिहा पढ रहा था तुम ऐसे बता रहे हो ना जाने कितने तरीके के बकवास करते नजर आ जायेंगे 

जो उल्मा ए इस्लाम कौम का रहनुमा होता है
उनसे तक जबान दराजी करने में नहीं हिचकते जबकि वह उल्मा दीन ए इस्लाम की इल्म के खातिर 10 से 12 सालों तक अपने घरों को छोड़ कर इन सब का इल्म हासिल करते हैं

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महरबानी फरमा कर आप सभी लोग इसे इतना शेयर करें की सब लोग कम से कम अपने से फातिहा पढना सीख लें जो कि बहुत आसान है
और एक बात और की कुरआन को अरबी से ही पढें हिन्दी मे पढने मे शायद गलती हो जाए हमारी कोशिश यही रहती है कि जितना हो सके सही से लिखें


और अगर कहीं गलती  दिखे तो हमे कमेन्ट के जरिए जरूर बतायें ताकि हम उसको सुधार सकें क्यों कि मोबाइल या कम्प्यूटर से लिखने में कभी उँगली इथर उधर हो सकती है इसलिए पहले पूरा पढें
और हमारे पोस्ट को पढने के लिए गूगल मे  infomgm नाम से सर्च कर सकते हैं सर्च करने मे  ऐसा दिखे (इन्फो mgm) उसमे टच कर दें
Fatiha ka tarika In Hindi  फातिहा पढने का आसान तरीका

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Fatiha dene ya padhne ka tarika In Hindi  फातिहा पढने का आसान तरीका

Fatiha dene ya padhne ka tarika In Hindi  फातिहा पढने का आसान तरीका

सबसे पहले आप तीन बार दरूद शरीफ पढ़ें
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अल्ला हुम्मा स्वल्ले अला सय्यदना मौलाना मोहम्मदिन बारिक वसल्लम सलातँव वा सलामन अलैइका या रसूलुल्लाह स्वललल्लाहो अलैहि वसल्लम
उसके बाद एक मरतबा सूरह काफ़िरून पढ़ें
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
कुल या अय्युहल काफिरूना
ला अ अबुदु मा ताबुदूना
वला अन्तुम आ बिदूना मा अ अबुद
वला ना आबिदुम मा अबद्तुम
वला अन्तुम आबिदूना मा अअ बुद
लकुम दीनुकुम वलिय दीन
उसके बाद तीन बार सूरह अखलाक पढ़ें
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
कुल हुवल लाहु अहद
अल्लाहुस समद
लम यलिद वलम यूलद
वलम यकूल लहू कुफुवन अहद
इसके बाद कुल आऊजु बिरब्बिल फलक पढ़ें
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
कुल आऊजु बिरब्बिल फलक
मिन शररी मा ख़लक़
वामिन शररी ग़ासिकिन इज़ा वकब
वामिन शररिन नफ़ासती फ़िल उक़द
वामिन शररी हासिदिन इज़ा हसद
इसके बाद एक बार सूरह नास पढ़ें
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
कुल अऊजु बिरब बिन नास
मलिकिन नास
इलाहिन नास
मिन शररिल वसवासिल खन्नास
अल्लज़ी युवसविसु फी सुदूरिन नास
मिनल जिन्नाति वन नास
इसके बाद एक बार सूरह  फातिहा पढ़ें
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन
अर रहमा निर रहीम
मालिकि यौमिद्दीन
इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन
इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम
सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम
गैरिल मग़दूबी अलय हिम् व लद दाालीन (अमीन)

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इसके बाद एक बार अलिफ़ लाम मीम पढ़ें
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अलिफ लाम मीम  जालिकल किताबु ला रैयबा फीह हुदल लिल मुत्तकीन अल्लजीना यू मिनूना बिल गैयब व यू कीमूनस सलाता व मिम्मा रज़क़नाहुम युनफिकून वल्लजी़ना यूमिनूना बिमा उन्जि़ला इलैइका वमा उन्जि़ला मिन क़ब्लिक व बिल आखिरति हुम यूकिनून उलाइका अला हुदम मिर रब्बिहिम वा उलाइका हुमुल मुफलिहून

बाद में आप ये आयत पढ़ें इसे आयत ए खमसह कहते हैं 

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम वा इलाहुकुम इलाहु वाहिद ला इलाहा इल्ला हूवर रहमानु अर्रहीम इन्ना रहमतल्लाही क़रीबुम मिनल मुहसिनीन वमा अर्सलनका इल्ला रहमतल लिल आलमीन मा काना मुहमदुन अबा अहादिम मिररिजलीकुम वला किर रसूलअलाल्ही व ख़ात्मां नबीना वा कानल्लाहु बिकुल्ली शयिइन अलीमा इन्नल लाहा वा मलाइकतहु युसल्लूना अलन नबी या अइयुहल लजी़ना आमनू सल्लू अलैही वसल्लिमू तसलीमा

इसके बाद एक बार दरूद शरीफ पढ़ें बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम सल्लल्लाहु अलननबियल उम्मी व आलिहि सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सलातँव व सला मन अलैइका या रसूलअल्लाह ।

Fatiha ka tarika In Hindi  फातिहा पढने का आसान तरीका
इसके बाद आप एक बार ये पढ़ें
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
सुब्हान रब्बि क रब्बिल इज्जति अम्मा यसिफुन व सलामुन अलल मुर सलीन वल हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आ लमीन
फिर दुआ के लिए हाँथ उठाये और यह दुआ करे
ऐ अल्लाह मैने जो कुरआन की तिलावत कि सिन्नी खुश्बू पानी पेश किया इसके आलावा जिन लोगों ने जो पढा है (यहाँ पर अगर कोई कुरआन पढ कर दे या पारा पढ कर दे उनका भी जिक्र करें मसलन यूँ कहें ) एक कुरआन चार पारा अलग से पढा गया है इन सब पढने में जो गल्ती हो गयी हो उसे अपने फज्लो करम से माफ करके इन सब का नजर सबसे पहले सारे नबियों के सरदार अहमदे मुख्तार हजरत मुहम्मद मुस्तफा स्वललल्लाहो अलैही वसल्लम के बारगाह मे पहुँचा हमारे नबी के सदके मे उनके वालदैन आल औलाद असहाब सारे नबी सारे मोमिनीन को पहुँचा।

((1) यहाँ पर उनका नाम ले जिनके लिए फातिहा पढ रहे हैं जैसे)  बिलखुशुश हजरत गोसे आज़म के बारगाह में पहुँचा

((2) अगर किसी मरहूमीन के लिए फातिहा पढ रहे हैं तो ऐसा कहें जैसे)  बिलखुशुश मरहूम फला बिन फला के रूह को पहुँचा उनके गुनाह को माफ फरमा कब्र के अजाब से हिफाजत फरमा सारे मोमिनीन की मगफिरत फरमा हमारे दिली नेक जायज मुरादे पूरी फरमा सब बीमारियों से सब की हिफाजत फरमा।

फिर एक बार दरूद शरीफ  अल्ला हुम्मा स्वल्ले अला सय्यदना मौलाना मोहम्मदिन बारिक वसल्लम सलातँव वा सलामन अलैइका या रसूलुल्लाह स्वललल्लाहो अलैहि वसल्लम

पढ कर अपने हाथों को चेहरे पर मल लें आपकी फातिहा पूरी हो गई

Fatiha ka tarika In Hindi  फातिहा पढने का आसान तरीका

नोट :- फला बिन फला की जगह मुर्दे और उसके बाप का नाम ले जैसे किसी का नाम इकबाल है और उसके बाप का नाम रेयाज है तो यूँ कहेंग ऐ अल्लाह मरहूम इकबाल बिन रेयाज की रुह को इसका सवाब पहुँच
जो लोग फातिहा पढना सीख लें हमारे पोस्ट के जरिये वो कमेन्ट करके जरूर बताना
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