tangdasti ke asbab

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tangdasti ke asbab

tangdasti ke asbab me उन चीज़ों का बयान जिनसे मोहताजी और तंगदस्ती आती है जिसमें से हम यहाँ चन्द का जिक्र लिखते हैं

  1. गाने बजाने में दिल लगाना।
  2.  बिला वजहे शरई अपनों से तअल्लुकात ख़त्म कर लेना।
  3.  सिलए रहमी न करना।
  4. हालते जनाबत (नापाकी की हालत) में नाखुन तराशना या सर मुंडाना या मूए ज़ेरे नाफ दूर करना।
  5. ज़कातो सदकात के अदा करने में बुख़्ल (कंजूसी) करना या टाल मटोल करना।  
  6. बगैर हाजत सवाल करना।
  7. अमानत में खयानत करना। 
  8. अंधेरे में खाना खाना।
  9. माँ बप को ईज़ा (तकलीफ) देना। 
  10. कुराने पाक को बेवुजू हाथ लगाना। 
  11. गाने बजाने के आलात ढोल बाजे का घर में रखना। 
  12. रास्ते में पैशाब करना। 
  13. हमेशा बेहूदागोई, मसखरापन और दिललगी की बातों में मसरूफ रहना। 
  14. नंगे सर खाना खाना। 
  15. नंगे सर बैतुलखला में जाना। 
  16. औरतों का नंगे सर रहना
  17. सजदए तिलावत न करना या बावुजू हुए देर लगाना। 
  18. तिलावते कुरआन के दौरान आयते सजदा छोड़ कर आगे बढ़ना। 
  19. दूसरे आदमी का कंघा मांग कर इस्तेमाल करना। 
  20. हौज़ या तालाब या बहते पानी में पैशाब करना।

  •  गुस्लखाने में पैशाब करना।
  • पायजामा या तहबंद सर के नीचे रखकर सोना।
  • नमाज़ कज़ा करना।
  • मस्जिद में दुनिया की बातें करना।
  •  वुजू करते वक़्त दुनिया की बातें करना।
  •  बिला वजहे शरई किसी के तोहफे व नज़राने को रद कर देना।
  •  खाने की चीज़ रोटी वगैरह की बेहुरमती करना।
  • दरवाज़े पर बैठकर कुछ खाना पीना।
  •  उस्ताद की ताज़ीमो तौकीर में कमी करना।
  •  टूटे हुए बर्तन का इस्तेमाल करना।
  •  मेहमान को हिकारत की निगाह से देखना और उसके आने से नाख्नुश होना।
  •  बैतुलखला में बातें करना 
  • बगैर बुलाए दावत में जाना।
  •  चारपाई पर दस्तरख्वान वगैरह रखे बगैर खाना खाना।
  •  चारपाई खुद सरहाने बैठना और खाना पाऐंती रखना।
  •  दाँतों से रोटी कतरना।
  •  जुल्म करना, किसी को नाहक सताना।
  •  गुनाहों के कामों में ज़िद करना और अपनी बात पर अड़ जाना
  •  जिस बर्तन में खाना खाए उसी में हाथ धोना।
  •  कुरआन शरीफ़ घर में होते हुए न पढ़ना।
  •  माँ - बाप, उस्ताद, मुर्शिद की मर्जी के खिलाफ कोई काम करना।
  •  दरवाज़े की देहलीज़ पर तकिया लगाना या सर रख कर सोना।
  •  बिला ज़रूरत जानवर ज़िबह करने का पैशा इख्तियार करना।
  •  मुनासिब रिश्ता मिलने के बावजूद लड़कियों की शादी न करना।
 (सुनी बहिश्ती ज़ेवर पेज 448-452 ) 
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