nabi ki mohabbat ain eeman hai हुजूर की मोहब्बत ऐन ईमान है

मोहब्बतें रसूल सल्लल्लाहो ताला अलैही वसल्लम
nabi ki mohabbat ain eeman hai हुजूर की मोहब्बत ऐन ईमान है


अल्लाह की सर ता बा  कदम शान हैं ये
इन्सा नही इन्सान वो इन्सान हैं ये
कुरान तो ईमान बताता है इन्हें
ईमान ये कहता है मेरी जान हैं ये

(आला हजरत फाजिलें बरेलवी)

nabi ki mohabbat ain eeman hai हुजूर की मोहब्बत ऐन ईमान है
nabi ki mohabbat ain eeman hai हुजूर की मोहब्बत ऐन ईमान है

हजराते मोहतरम  इस फानी और जवाल पजीर दुनिया में  फना होने वाली हमारी इस फानी जिन्दगी की बका़ वा तहफ्फुज़ के लिए जिस तरह पानी और हवा वगैरह की जरूरत पड़ती है और बगैर उसके हमारी जिन्दगी बाकी भी नहीं रह सकती बिल्कुल उसी तरह हमारी ईमान की बका़ वा तहफ्फुज़ के लिए भी हुजूर पाक सरवरे कायेनात ताजदार ए अंबिया हजरत सैय्यदना मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मोहब्बत वा उल्फत उससे भी कई गुना ज्यादा जरूरी है
आप सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ईमान की जान है और यह बात तजुर्बा से साबित है
जिसको महबूब ए खुदा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मोहब्बत जितनी ज्यादा होगी 

उसी कदर उसका ईमान मजबूत और क़वी होगा और जिसका दिल मोहब्बत ए रसूल से खाली होगा उसका ईमान उतना ही कमज़ोर और बदतर होगा
इसलिए मजहबे इस्लाम ने इस अहम उनवान पर बहुत ज्यादा जोर दिया है कि मुसलमान अपने आका वा मौला हजरते मोहम्मदे मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की मोहब्बतो उल्फत में इतना सरसार हो जाए कि आपकी मोहब्बत आलम की तमाम मोहब्बत पर गा़लिब  आ जाए चुनान्चे इर्शादे बारी तअला है


क़ुल इन काना आबाउकुम वा अबना अकुम वा इखवानुकुम

Qurani aayat

 nabi ki mohabbat ain eeman hai हुजूर की मोहब्बत ऐन ईमान है

सूरह तौबा पारह नंबर 10 आयत नंबर 9
तर्जुमा :- ऐ महबूब तुम फरमाओ अगर तुम्हारे बाप और तुम्हारे बेटे और तुम्हारे भाई अब तुम्हारी औरतें तुम्हारा कुंन्बा और तुम्हारी कमाई के माल और वह सौदा जिस के नुकसान का तुम्हें डर है और तुम्हारे पसंद का मकान  अल्लाह और उसके रसूल की राह में लड़ने से ज्यादा प्यारी हो तो रास्ता देखो यहां तक कि अल्लाह अपना अजा़ब लाए  और अल्लाह फाशिकों को राह नहीं देता
आयते कुरआनी में बिल्कुल साफ और वाजेह तौर पर फरमा दिया गया  है के महबूब दुनिया वालों को यह बात बतला दो तुम्हारे बाप तुम्हारे बेटे तुम्हारी औरतें  तुम्हारे कुंबे तुम्हारे माल और वह सौदा जिस के नुकसान का तुम्हें डर है और वह तुम्हारे मकान आदि तमाम चीजें  अल्लाह तबारक व ताला और रसूले पाक सल्लल्लाहो सल्लम से ज्यादा महबूब है तो अब तुम अल्लाह के अजाब का इन्तजार करो
इससे पता चलता है कि एक मोमिन के लिए हुजूर नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मोहब्बत ना सिर्फ फर्ज है बल्कि तमाम करीबी रिश्तेदारों और तमाम कीमती मकान व सामान से ज्यादा होना चाहिए
रसूले करीम सल्लल्लाहो सल्लम का इरशाद है जिस का तर्जुमा है यानि तुम में से कोई मोमिन नहीं जब तक के उसके नजदीक उसके बाप और उसकी औलाद और तमाम लोगों से ज्यादा महबूब मैं ना हो जाऊं
इस हदीस से तो बिल्कुल साफ कर दिया कि  जिसके दिल में पैग़ंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहो सल्लम की मोहब्बत आलम  के तमाम लोगों से ज्यादा ना  हो  वो हरगिज़ मोमिन नहीं हो सकता 

बुखारी शरीफ किताब उल ईमान पर यह हदीस है सैयदना फारूक ए आजम रजि अल्लाह ताला अनहु एक मर्तबा  अर्ज करते हैं  कि ऐ  अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो सल्लम आप मुझे अपनी जान के अलावा हर चीज से ज्यादा महबूब तर हैं
इस पर अल्लाह के रसूल हुजूर सय्यद ए आलम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि
यानि तुम में से कोई भी शख्स उस वक्त तक मोमिन कामिल हो ही नहीं सकता जब तक मैं उसके जान से ज्यादा बढ़ कर उसको महबूब ना हो जाऊं 

इस फरमान का असर यह हुवा कि हजरत फारूके आजम ने कहा कि हुजूर अब मुझे आप अपनी जान से ज्यादा महबूब हैं इस पर रसूलल्लाह सल्लल्लाहु ताला वसल्लम ने फरमाया ऐ उमर अब तेरा ईमान मुकम्मल हुआ !


मोहम्मद की मोहब्बत दीने हक की शर्ते अव्वल है
इसी में हो अगर कुछ खामी तो सब कुछ ना मुकम्मल है
मोहम्मद की गुलामी है सनद आजा़द होने की
खुदा की दामने तौहीद में आबाद होने की

nabi ki mohabbat ain eeman hai हुजूर की मोहब्बत ऐन ईमान है

बुखारी शरीफ जिल्द 2 किताब उल अंबिया सफहा नंबर 390 में हजरत सैयदना अनस रदि अल्लाह तअला अन्हू एक हदीस ए पाक मे रिवायत करते है
कि एक शख्स ने   नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम  से सवाल किया  या रसूल अल्लाह कयामत कब आएगी  नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि तुमने उसके लिए क्या तैयारी कर रखा है
उसने कहा मेरे पास तो कोई अमल नहीं सिवाये इसके कि मैं अल्लाह और उसके महबूब ए पाक सल्लल्लाहु वसल्लम से मोहब्बत रखता हूं इस पर नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया तुम उनके साथ हो जिससे मोहब्बत रखते हो
हजरत अनस रदि अल्लाह तअला अन्हू फरमातें हैं की मुझे किसी फरमान से उतनी खुशी नहीं मिली जितनी खुशी इस फरमान से हुयी!
साहिबे तफ्सीरे कबीर हजरत इमाम राजी़ अलैहि र्रहमा अपने अरबी तफ्सीर की अलजुज उर राबेय सफहा नंबर 231 पर उसको तहरीर फरमाते हुए लिखते हैं वह शख्स एक आराबी था
उसने रसूले करीम सल्लल्लाहो वसल्लम से सवाल किया या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कयामत कब आएगी तू रसूलल्लाह सल्लल्लाहु वसल्लम ने फरमाया
तुमने उसके लिए क्या तैय्यारी की है उसने अर्ज किया या रसूल अल्लाह मेरे पास कयामत के लिए कोई तैय्यारी नहीं है ना मेरे पास नमाजों का जखीरा है ना ही रोजों का ना ही इबादत का जरिया है मैं अल्लाह और रसूल अल्लाह से मोहब्बत रखता हूं
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम ने फ़रमाया तू उनके साथ है जिनसे तू मोहब्बत  रखता है
मिदारिजुन्नबूवत जिल्द अव्वल सफा नंबर 521 पर सैयद उल मोहकक्कीन  हजरत ए शाह अब्दुल हक़ महाद्दिस देहलवी अलैहिररहमा हजरत अनस रजि अल्लाह ताला अन्हू से एक हदीस ए पाक नकल फरमाते हैं
नबी करीम सल्लल्लाहो वसल्लम ने इरशाद फरमाया जो मुझसे मोहब्बत रखता है वह जन्नत में मेरे साथ होगा
इन आयते करीमा और दोनों हदीसों से मालूम हुआ कि अल्लाह ताला और अल्लाह के महबूब ए हकीकी सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की मोहब्बत मां-बाप औलाद अजीजो अका़रिब दोस्त व अहबाब माल व दौलत मिस्कीन वतन खुद अपने कीमती जान की मोहब्बत से भी ज्यादा जरूरी है और लाजिम है
और अगर मां-बाप औलाद अजीजो आका़रिब दोस्त अहबाब अल्लाह और उसके रसूल मकबूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ अकीदत व मोहब्बत ना रखते हो तो उनसे दोस्ती और मोहब्बत रखना जायज नहीं
कुरआन करीम इस मजमून में बहुत सारी आयतें नाजि़ल हुयी लेकिन हम यहां  सिर्फ कुछ ही पेश कर रहे हैं जिसका एक आयते करीमा है
पारह नम्बर 28 के सूरह हश्र में जिस का तर्जुमा ये है
तुम ना पाओगे उन लोगों को जो यकीन रखते हैं अल्लाह और पिछले दिन पर के दोस्ती करें उनसे जिन्होंने अल्लाह उसके रसूल से मुखालफत कि अगर उनके बाप बेटे कुन्बे वाले हो
कनजुल ईमान सफहा नम्बर 788
इस आयते करीमा से भी यह बात बिल्कुल वाजेह तौर से  साफ हो जाती है कि एक मरदे मोमिन अल्लाह और पिछले दिन पर यकीन रखता है
अल्लाह ताला और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलेह वसल्लम से मोहब्बत रखता है और जो उनके दुश्मन हैं उनसे दूरी अख्तियार करता है
अगर चे वह उसके बाप या बेटे या कुन्बे वाले ही क्यों ना हो गर्ज कि ईमान और निजात का दारो मदार हुजूर सय्यद आलम सल्लल्लाहो वसल्लम की मोहब्बत पर है
तो जिस मोमिन के दिल में हुजूर सल्लल्लाहो सल्लम की मोहब्बत होगी उसके दिल में हर उस चीज की मोहब्बत हो गई जिसका ताल्लुक हुजूर सल्लल्लाहो सल्लम की नाम ए पाक से होगा यह कुदरती बात है इंसान जिससे  मोहब्बत रखता है उससे मोहब्बत और ताल्लुकात रखने वाली उन तमाम चीजों को भी महबूब रखता है
लिहाजा हुजूर सल्ला वसल्लम की आल औलाद और उस चीज को जिस्मानी तौर से आपका ताल्लुक है दिलों जान से महबूब रखते हैं क्योंकि उनकी मोहब्बतें मोहब्बतें रसूलल्लाह सल्लल्लाहो सल्लम की मोहब्बत है
और जो उनसे बुग्ज रखता है उनसे दूरी अख्तियार करना जरूरी है क्योंकि वह दुश्मनी हकीकत में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दुश्मनी है

nabi ki mohabbat ain eeman hai हुजूर की मोहब्बत ऐन ईमान है

जैसा की हमने वादा किया था कोई एक शख्स का नाम हम अपने अगले पोस्ट मे नाम लिखेंगें जो हमारी इस पोस्ट ज्यादा शेयर करेगा 

उनका नाम मोहम्मद इर्शाद चिश्ती है जो की कच्छी मोहल्ला धनपुरी जिला शहडोल मध्य प्रदेश के निवासी है डिजिटल कम्प्यूटर केयर वाले जिनका मोबाइल नम्बर +917869066286 है हम आपको मुबारक बाद पेश करते हैं की आप ने हमारे पोस्ट को बहुत ज्यादा शेयर किया है 

हम उम्मीद करते हैं की आगे भी ऐसा ही हमारे पोस्ट को शेयर करते रहेंगे  

अब अगली बार आप लोगों में से किसी एक का नाम शाया करेंगे 

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