ALLAH ki zaat o sifat ke bare me kaisa aqeeda hona chahiye
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ALLAH KI ZAAT AUR SIFAT KE BAARE ME AQEEDE
अल्लाह पाक के बारे में चालीस 40 अकाईद
allah ke bare mein dp |
allah ke sifton ka bayan अल्लाह की जात और उसकी सिफतों का बयान तफ्सील से पढ़
(1) अल्लाह पाक एक है उसका कोई शरीक ( हिस्सेदार ) नहीं ना जात में ना सिफात ( खूबियों ) में ना अफआल ( कामों ) में ना अहकाम में ना असमा ( नामों ) में ।
(2) अल्लाह पाक बे परवाह है किसी का मोहताज नहीं और तमाम जहाँ उसका मोहताज है ।
(3) अल्लाह पाक की ज़ात और सिफात के सिवा सब चीजें हादिस हैं , यानी पहले ना थी फिर मौजूद हुई ।
(4) अल्लाह पाक कदीम है यानी हमेशा से है , बाकी है , हमेशा रहेगा , अज़ली है ( हमेशा से है ) अबदी है ( हमेशा रहेगा ) ।
(5) अल्लाह ना किसी का बाप है , ना बेटा है , ना उसकी कोई बीवी है ।
(6) अल्लाह पाक हय्य है यानी वोह खुद से जिन्दा है और सबकी ज़िन्दगी उसके दस्ते कुदरत ( हाथ ) में है , जिसे जब चाहे जिन्दा करे जिसे जब चाहे मौत दे ।
(7) अल्लाह पाक हर मुमकिन पर कादिर है कोई भी मुमकिन उस की कुदरत से बाहर नहीं है ।
(8) अल्लाह पाक हर कमाल और खूबियों का जामेअ ( उस में मौजूद ) है , और हर वोह चीज़ जिसमें ऐब और नुकसान हो पाक है ।
(9) अल्लाह पाक हर चीज़ को देखता और सुनता है और कलाम ( बात ) फ़रमाता है , लेकिन उसका देखना आँख से नहीं , उसका सुनना कान से नहीं और कलाम करना ज़बान से नहीं है क्योंकि आँख , कान , ज़बान , यह सब अजसाम ( जिस्म ) हैं और अल्लाह पाक जिस्म से पाक हैं
(10) अल्लाह पाक का कलाम ( बात करना ) आवाज़ से पाक है ।
(11) अल्लाह पाक का इल्म हर चीज़ को मुहीत ( घेरे हुए ) है , हर शय को वह अज़ल से जानता है यानी हमेशा से जानता है और हमेशा जानेगा , उस के इल्म कि कोई इंतेहा नहीं ।
(12) अल्लाह पाक ज़ाहिर और पोशीदा ( छुपा हुआ ) सबको जानता है । इल्मे जाती ( वो इल्म जो किसी ने नहीं दिया , खुद उसका है ) उसका खास्सा ( सिर्फ उसी के लिए ) है ।
(13) अल्लाह पाक ही हर शय का खालिक ( पैदा करने वाला है ) सब उसी के पैदा किए हुए हैं ।
(14) अल्लाह पाक ही हकीकत में रोज़ी पहुँचाने वाला है , फरिश्ते वगैरह सब वसीला और ज़रिया हैं ।
(15) अल्लाह पाक ने हर भलाई और बुराई को अपने इल्मे अज़ली के मुवाफ़िक ( मुताबिक ) मुकद्दर फरमा दिया है जैसा होने वाला था और जो जैसा करने वाला था अपने इल्म से जाना और वही लिख लिया , तो यह नहीं है के जैसा उसने लिखा हम को करना पड़ता है बल्कि जैसा हम करने वाले थे वैसा उसने लिख दिया ।
(16) अल्लाह पाक ( सम्त , दिशा ) , मकान ( जगह ) , जमान ( वक्त ) , हरकत ( हिलना ) , सुकून ( ठहरा रहना ) , शक्ल व सूरत और तमाम फना होने वाली बातों से पाक है , लिहाज़ा अल्लाह पाक ऊपर है या नीचे है नहीं कह सकते ।
(17) दुनिया की ज़िन्दगी में अल्लाह पाक का दीदार नबी - ए - पाक स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम के साथ खास है और आख़िरत में हर सुन्नी मुसलमान के लिए मुमकिन बल्कि वाकेअ होगा ।
(18) अल्लाह पाक का दीदार बिला कैफ है , यानी देखेंगे लेकिन यह नहीं कह सकते कैसे देखेंगे ।
(19) अल्लाह पाक जो चाहे और जैसा चाहे करे किसी को उस पर काबू नहीं और ना कोई उसके इरादे से उसे बाज़ रखने ( रोकने ) वाला ।
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(20) अल्लाह पाक के हर काम में कसीर ( बहुत ) हिकमतें हैं चाहे हमें मालूम हों या ना हों ।
(21) अल्लाह पाक नींद और ऊँघ से पाक है उसे कभी नींद और ऊँघ नहीं आ सकती ।
(22) अल्लाह पाक ही तमाम आलम ( काएनात ) का पालने वाला
(23) अल्लाह पाक जो कुछ करता है या करेगा सब अदल व इन्साफ है , जुल्म ( अत्याचार ) से अल्लाह पाक पाको साफ है ।
(24) अल्लाह पाक की मशीयत ( चाहने ) और इरादे के बगैर कुछ भी नहीं हो सकता ।
(25) अल्लाह पाक की रहमत है के वह ऐसे काम का हुक्म नहीं फरमाता जो बन्दे की ताकत और कुदरत से बाहर हो ।
(26) अल्लाह पाक मालिक अलल इतलाक है , जो चाहे करे जो चाहे हुक्म दे ।
(27) अल्लाह पाक पर अज़ाब या सवाब देना या बन्दे से मेहरबानी वाला सुलूक करना या वोह करना जो बन्दे के हक में बेहतर हो कुछ भी वाजिब ( ज़रूरी ) नहीं है ।
(28) अल्लाह पाक के वादा और वईद बदलते नहीं हैं , यानी जिस अच्छे काम पर सवाब देने का वादा किया हो या जिस बुरे काम पर अज़ाब की वईद फरमाई हो बदलते नहीं हैं ।
(29) अल्लाह पाक थकने और उकताने से पाक है ।
(30) अल्लाह पाक ही के दस्ते कुदरत में नफा ( फाएदा ) और ज़रर ( नुकसान ) है ।
(31) अल्लाह पाक दिलों के खतरों ( खयालों ) और वस्वसों पर भी ख़बरदार है ( यानी हर खबर रखता है ) ।
(32) अल्लाह पाक वाजिबुल वुजूद हैं , यानी उसका होना ज़रूरी और ना होना मुहाल ( नामुमकिन ) है ।
(33) अल्लाह पाक ही इस बात का मुस्तहिक है और लायक है के उसकी इबादत और परसतिश ( पूजा ) की जाए ।
(34) अल्लाह पाक की ज़ात जिस तरह कदीम है यानी हमेशा से है और हमेशा रहेगी , इसी तरह अल्लाह पाक की सिफतें ( खूबियां ) भी क़दीम हैं अज़ली हैं अबदी हैं यानी हमेशा से हैं और हमेशा रहेंगी ।
(35) जो चीज़ मुहाल ( नामुमकिन ) है अल्लाह पाक इस से पाक है के उस की कुदरत उसे शामिल हो ( मुहाल उसे कहते हैं जो मौजूद ना हो सकें ) ।
(36) अल्लाह पाक की ज़ात हर उस चीज़ से भी पाक है जिस में ना कमाल हो ना नुकसान हो ।
(37) अल्लाह पाक हर पस्त से पस्त ( धीमी से धीमी ) आवाज़ को सुनता है और हर बारीक से बारीक शय ( चीज़ ) को देखता है ।
(38) अल्लाह पाक का फना ( खत्म ) होना मुमकिन नहीं है ।
(39) अल्लाह पाक की जात का इदराक ( जानना ) अकलन मुहाल हैं यानी हम अल्लाह पाक की जात को अपने अक्ल से नहीं जान सकते , अक्ल से उस की ज़ात को नहीं समझ सकते ।
(40) अल्लाह पाक की ज़ात और उसकी सिफात के अलावा बाकी सब कुछ आलम ( काएनात ) है , और जो शख्स आलम को कदीम ( यानी हमेशा से है और हमेशा रहेगा ) माने या फिर आलम के हादिस ( नया पैदा होने वाला ) होने में शक करे काफ़िर है ।
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