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दूल्हन की रुखसती का बयान
जब कोई शख्स अपनी लड़की की शादी करे तो रुख़सती के वक़्त अपनी लड़की और दामाद ( यानी दूल्हा , दुल्हन ) दोनों को अपने पास बुलवाए फिर उसके बाद एक प्याले में थोड़ा सा पानी लेकर ये दुआ पढ़े!
अल्ला हुम्मा इन्नी उ़ईजुहा बिका व जुर्रियतहा मिनश शैइत्वानिर रजीम । (Alla humma inni ouizha bika wa zurriyatha minash shaitanir razim )
तर्जुमा :- ऐ अल्लहा ! मैं तेरी पनाह में देता हूँ इस लड़की को और इसकी ( जो होगी ) औलादों को शैतान गरदूद से ।
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इस दुआ को पढ़ने के बाद प्याले में दम करे उसके बाद पहले अपनी लड़की ( दुल्हन ) को अपने सामने खड़ा करे और फिर उसके सर पर पानी के छींटे मारे ।
Dulhan ki rukhsati ki dua |
फिर सीने और उसकी पीठ पर छींटे मारें उसके बाद इसी तरह दामाद ( दूल्हे ) को भी बुलवाए और प्याले में दूसरा पानी लेकर ये दुआ पढ़े :
अल्ला हुम्मा इन्नी उ़ईज्जुहु बिका व जुर्रियतहु मिनश शैइत्वानिर रजीम । (Alla humma inni ouizzhu bika wa zurriythu minash shaitanir razim )
तर्जुमा :- ऐ अल्लाह ! मैं तेरी पनाह में देता हूँ इस लड़के को और उसकी ( जो होंगी ) औलादें उनको शैतान मरदूद से ।
पानी पर दम करने के बाद पहले की तरह दामाद के सर और सीने पर फिर पीठ पर छींटे मारे और उसके बाद रुख़सत कर दें । ( हिस्ने हसीन सफा - 163 )
हदीस :- हज़रत इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन जज़री शाफई रदि अल्लाहु अन्हु अपनी मशहूरे ज़माना किताब हिस्ने हसीन में हदीस नक़्ल फ़रमाते हैं ।
जब रसूलुल्लाह स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने हज़रत मौला अली मुशकिल कुशा कर्रमल्लाहु वसहहुल करीम का निकाह हज़रत ख़ातून जन्नत फातिमा ज़हरा रदि अल्लाहु तआला अन्हा से कर दिया तो आप उनके घर तशरीफ़ ले गए और हज़रत फ़ातिमा से फुरमायाः
थोड़ा सा पानी लाओ । चुनाँचे वह एक लकड़ी के प्याले में पानी लेकर हाज़िर हुई ।
आप ने उन से वे पानी लिया और एक घूंट पानी दहने मुबारक में लेकर प्याले में डाल दिया और इरशाद फरमायाः आगे आओ ।
हज़रत फातिमा रदि अल्लाहु तआला अन्हा सामने आ कर खड़ी हो गई तो आप ने उनके सर पर और सीने पर वे पानी छिड़का और ये दुआ फरमाई ( वह दुआ जो हम पहले लिख चुके हैं ) और उसके बाद फरमायाः
मेरी तरफ पीठ करो । हज़रत फातिमा रदि अल्लाहु तआला अन्हा उनकी तरफ पीठ कर के खड़ी हो गई तो आप ने बाक़ी पानी भी यही दुआ पढ़ कर पीठ पर छिड़क दिया । उसके बाद आप ने हज़रत अली रदि अल्लाहु तआला अन्हु की जानिब रुख कर के फरमाया : पानी लाओ ।
हज़रत अली रदि अल्लाहु तआला अन्हु कहते हैं कि मैं समझ गया जो आप चाहते हैं चुनाँचे मैंने भी प्याला भर कर पानी पेश किया ।
आप ने फरमायाः आगे आओ । मैं आगे आया
फिर हुजूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने वही कलमात पढ़ कर और प्याले में कुल्ली फरमा कर मेरे सर और सीने पर पानी के छींटे दिए और फिर वही दुआ पढ़ कर मेरे मूंढों के दरमियान छींटे दिए । उसके बाद फ़रमायाः अब अपनी दुल्हन के पास जाओ । ( हिस्ने हसीन सफा - 163 )
Dulhan ki rukhsati ki dua |
नोट :- पानी पर सिर्फ दुआ पढ़ कर दम करें , उसे कुल्ली न करें । हुजूर अकरम स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम का लुआबे दहन बाइसे बरकत है और बीमारियों से शिफा और जहन्नम की आग के हराम होने का सबब है । ( वल्लाह तआला अलम )
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