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निकाह कहाँ करें हदीस की रौशनी में जाने ?
हदीसः- उम्मुल मोमिनीन हज़रत आएशा सिद्दीका हज़रत अनस इब्ने मालिक , हज़रत अब्दुल्लाह इब्न उमर रदि अल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है कि हुजूरे अकदस स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमायाः
अपने नुतफों के लिए यानी शादी के लिए अच्छी जगह तलाश करो । कुफू मतलब बिरादरी में बियाह हो और कुफू से बियाह कर लाओ कि औरतें अपने कुंबे के मुशाबिह बच्चे पैदा करती हैं । ( बैहक़ी , हाकिम , इब्न माजा जिल्द 1 हदीस - 2038 | सफा- 549 इहयाउल ऊलूम जिल्द – 2 सफा - 76 )
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इस हदीस पाक से दो बातें मालूम हुई ।
एक तो ये कि शादी के लिए अच्छी जगह तलाश की जाए
और दूसरा ये कि अपने कुंबे ( बिरादरी ) में निकाह करना बेहतर है । अपनी बिरादरी में निकाह करने के बहुत से फाएदे हैं ।
मसलन :- औलाद अपनी बिरादरी के लोगों के तरह पैदा होगी जिसकी वजह से दूसरे लोग देखते ही पहचान जाऐंगे कि ये सय्यद है , ये पठान है , ये शैख है वगैरा वगैरा ।
दूसरा फायदा ये है
कि बिरादरी की गरीब लड़कियों की जल्द से जल्द शादी हो जाएगी ।
तीसरा फायदा ये है
कि शादी में अख़राजात कम होंगे ।
चौथा फायदा ये है
कि अपनी ही बिरादरी की लड़की हो तो वे बिरादरी के तौर तरीके घर के रहन सहन , तहज़ीब व तमद्दुन से पहले से ही वाकिफ है । लिहाजा घर में झगड़ो व नाइत्तिफाकी को माहौल पैदा नहीं होगा ।
पाँचवाँ फायदा ये है
कि बिरादरी की वह लड़कियाँ जो बहुत ज्यादा खूबसूरत नही है उनकी भी शादी हो जाएगी ।
अक्सर देखा गया है कि लोग दूसरों की बिरादरी से खूबसूरत लड़की तलाश कर के बियाह कर के ले आते हैं जबकि उनके कुंबे में लड़कियाँ कुवाँरी रह जाती हैं ।
और जब बहुत सी लड़कियों की तवील अरसे तक शादी नहीं हो पाती हैं तो बाज़ औकात वह किसी बदमाश आवारा मर्द के साथ घर से भाग जाती हैं या फिर किसी और तरह की मुख़्तलिफ़ बुराईयों में फंस जाती हैं ।
इन वुजूहात की बिना पर बिरादरी में ही शादी करने को बेहतर बताया गया है । अपनी बिरादरी में कोई नेक सीरत लड़का या लड़की न हो तो वह दूसरी बिरादरी में भी शादी कर सकते हैं ।
हदीसः- हज़रत इमाम मुहम्मद बिन इस्माईल बुखारी रदि अल्लाहु तआला अन्हु रिवायत करते हैं :
मुस्तहिब है कि अपनी नस्ल के लिए बेहतर औरत चुनें लेकिन ये वाजिब नहीं । ( बुख़ारी शरीफ जिल्द 3 बाब - 41 सफा - 56 )
हदीस :- हज़रत अनस रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि नबी करीम स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमायाः
अच्छी नस्ल में शादी करो , रगे खुफिया अपना काम करती है । ( दारे कुतनी शरीफ़ बहवालए इरादतुलअदब लिफाजिलिन्नसब अज आला हज़रत अलैहिरहमा सफ़ा- 26 )
हदीस :- और फ़रमाते हैं हमारे प्यारे आका स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम
घोड़े की हरियाली से बचो और बुरी नस्ल में खूबसूरत औरत से । ( दारे कुतनी शरीफ बहवाला इरादतुल अयब लिफाज़िलिन्नसब सफा - 26 )
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लड़की का खूबसूरत होना ही काफी नहीं बल्कि ख़ूबी तो ये है कि लड़की परदादार , नमाज़ रोज़े की पाबंद हो।
उसका ख़ानदान तहज़ीब व तमद्दुन में रहन सहन में दुरुस्त हो और बिलखुसूस सुन्नी सहीहुलअकीदा हो ।
अगर आप न इन सब बातों का ख्याल रखते हुए निकाह किया तो आपकी दुनियां व आख़िरत कामयाब है और आगे ऐसी लड़की के जरीए फरमा बरदार , मजहबी व दुनियावी खूबियों से बहरा वर एक बेहतर नस्ल जन्म लेती है ।
चुनाँचे सरकार दो आलम स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने हमें इन्हीं बातों का हुक्म दिया है । हज़रत इमाम मुहम्मद गज़ाली रदि अल्लाहु तआला अन्हु इरशाद फरमाते हैं :
औरत अच्छे नसब वाली शरीफुल नफ्स हो यानी ऐसे खानदान से तअल्लुक र रखती हो जिसमें दयानत और नेक बख़्ती पाई जाए ।
क्योंकि ऐसे ख़ानदान की औरत अपनी औलाद की तालीम व तरबीयत का एहतमाम करती है । ( इहयाउल उलूम जिल्द - 2 सफा- 76 )
हदीस :- हज़रत अबू हुरैरा हज़रत जाबिर रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि नबीए करीम हुजूरे अकरम स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमायाः
औरत से चार (4) चीजों की वजह से निकाह किया जाता है ।
- उसके माल के सबब ,
- उसके खानदान के सबब ,
- उसके हुस्न व जमाल के सबब
- और उसके दीनदार होने के सबब
इस हदीसे करीम से मालूम हुआ कि
- दीनदार औरत से निकाह करना अफ़ज़ल है ।
- दीनदार औरत शौहर की मददगार होती है।
- और थोड़ी रोज़ी पर कनाअत कर लेती है ।
- उसके ख़िलाफ़ दीन से दूर औरतें ना शुक्रगुज़ार ना फरमान और शौहर की शिकायत दूसरों के सामने बयान करने वाली होती हैं ।
- और गुनाह व मुसीबत में मुब्तिला कर देती हैं ।
आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ाँ रदि अल्लाहु तआला अन्हु " फतावा रज़विया में फरमाते है :
दीनदार लोगों में शादी करे कि बच्चे पर नाना , मामूँ की आदतों और हरकतों का असर पड़ता है । ( फतावा रज़विया जिल्द - 9 निस्फे अव्वल सफ़ा - 46 )
हदीस :- नबीए करीम स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमायाः
- औरतों से उनके हुस्न के सबब शादी न करो , हो सकता है कि उनका हुस्न तुम्हें तबाह कर दे ।
- ना उनसे माल के सबब शादी करो , हो सकता है कि उनका माल तुम्हें गुनाहों में मुबतला कर दे ।
- बल्कि दीन की वजह से निकाह किया करो ।
- काली चपटी बद सूरत लौंडी अगर दीनदार हो तो बेहतर है । ( इब्न माजा शरीफ जिल्द -- 1 बाब- 594 हदीस -1926 सफ़्हा -522+ इहयाउलउलूम जिल्द -2 सपहा - 70 )
हुज्जतुल इस्लाम हज़रत सय्यदना इमाम मुहम्मद गज़ाली रदि अल्लाहु तआला अन्हु इरशाद फरमाते हैं :
अगर कोई औरत ख़ूबसूरत तो है मगर परहेज़गार व पारसा नहीं तो बुरी बला है ।
बदमिज़ाज औरत नाशुक्र गुज़ार , ज़बान दराज़ होती है और मर्द पर बेजा हुकूमत करती है ।
ऐसी औरत के साथ ज़िन्दगी बदमज़ा हो कर रह जाती है और दीन में ख़लल पड़ता है । ( कीमियाए सआदत सफा -- 260 )
याद रखीए ! अगर आप ने सिर्फ ऐसी लड़की से निकाह किया जो माल व दौलत दहेज़ तो खूब साथ लाई और ख़ूबसूरत भी बहुत थी लेकिन दीनदार नहीं और ना ही तहज़ीब व अख़लाक़ के मुआमले में बेहतर।
तो आप उसके साथ यकीनन एक अच्छी और खुशहाल ज़िन्दगी नहीं गुज़ार सकते ।
ऐसी लड़की की वजह से घर में हमेशा ज़हनी तनाव और आए दिन घर में खाना जंगी का माहौल बना रहता है ।
नतीजा ये कि आख़िर कार माँ बाप से दूर होना पड़ जाता है ।
इसलिए जहाँ आप खूबसूरती माल व दौलत को देखते हैं , उन सब से ज़्यादा अहम है कि आप सब से पहले लड़की का अख़लाक़
उसका ख़ानदान और ख़ास कर वे दीनदार है या नहीं ये ज़रूर देखें तब ही आप एक कामयाब ज़िन्दगी के मालिक बन सकते हैं ।
अगर एक खूबसूरत लड़की में ये खूबियाँ नहीं और उसके उल्टा किसी बदसूरत लड़की में दीनदारी हो तो वह बदसूरत लड़की उस खूबसूरत लड़की से बेहतर है ।
अक्सर हमारे मुस्लिम भाई दौलतमंद , फैशन परस्त लड़की पर मरते हैं और दौलत को बहुत ज्यादा अहमियत देते हैं जबकि दौलत से ज़्यादा दीनदारी को अहमियत देनी चाहिए ।
हदीस :- हुजूर अकदस स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया
जो कोई हुस्न व जमाल या माल व दौलत की ख़ातिर किसी औरत से निकाह करेगा तो वह दोनों से महरूम रहेगा और जब दीन के लिए निकाह करेगा तो दोनों मक्सद पूरे होंगे । ( कीमियाए सआदत सफ्हा- 260 )
हदीस :- और फ़रमाया रसूल अल्लाह स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने
औरत की तलब दीन के लिए ही करनी चाहिए , जमाल के लिए नहीं ।
इसका मतलब यह है सिर्फ खूबसूरती के लिए निकाह न करें , ये कि खूबसूरती ढूंढें ही नहीं ।
अगर निकाह करने से सिर्फ औलाद हासिल करना और सुन्नत पर अमल करना ही किसी शख़्स का मक्सद है , खूबसूरती नहीं चाहता तो ये परहेज़गारी है । ( कीमियाए सआदत सफा- 260 )
अल्लाह अज्ज़ा , व जल्ला कुरान मुकद्दस में इरशाद फरमाता है : मय्य यकूनू फुकराआ युग़नि हिमुल्लाहू मिन फदलिही।
तर्जमा :- अगर वह फकीर ( ग़रीब ) हो तो अल्लाह उन्हें गनी कर देगा अपने फ़ज़ल के सबब ( तर्जमा कंजुल ईमान पारा -18 सूरह नूर रुकूअ -10 आयत - 32 )
लिहाज़ा अगर किसी लड़की में दीनदारी ज़्यादा हो , चाहे वह कितनी ही गरीब क्यों न हो , उससे शादी करना बेहतर है ।
क्या अजब कि अल्लाह तआला उससे शादी करने और उसकी बरकत से आप को भी दौलत से नवाज़ दे ।
आप को इस नेक और गरीब लड़की से खुशी और वह दिली सुकून हासिल हो सकता है जो एक दौलत मंद बद मिज़ाज , मार्डन , फैशन परस्त लड़की से नहीं हासिल हो सकता ।
हाँ ! अगर कोई लड़की दौलत मंद होने के साथ ही दीनदार , नेक सीरत खुश अखलाक परदा दार हो और ऐसी लड़की से कोई शादी करले तो ये यकीनन , बड़ी खुश नसीबी की बात है ।
बेशक अल्लाह तआला माल व दौलत और चेहरा को नहीं देखता बल्कि तक़वा व परहेज़गारी को देखता है ।
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