kina kise kahate hain

कीना नेकियों को खा जाती है |kina kise kahate hain


✍️फ़रमाने मुस्तफ़ा है: कीना और ह़सद नेकियों को इस तरह़ खा जाते हैं जैसे आग लकड़ी को खा जाती है।

📗كنز العمال، ١٨٦/٢، جزء:٣، حدیث: ٧٤٤١)

📕नेकियां बरबाद होने से बचाइये' पेज़ नं 69)

kina kise kahate hain कीना किसे कहते हैं
kina kise kahate hain


✍️कीना किसे कहते हैं:- kina kise kahate hain👇

हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सय्यिदुना इमाम मुह़म्मद बिन मुह़म्मद ग़ज़ाली रहमतुल्लाहि तआ़ला अ़लैहि' ने “इह़याउल उ़लूम” में कीने की ता’रीफ़ इन अल्फाज़ में की है: कीना येह है कि इन्सान अपने दिल में किसी को बोझ जाने, उस से दुश्मनी व बुग्ज़ रखे, नफ़रत करे और येह कैफ़िय्यत हमेशा हमेशा बाक़ी रहे।

📘احياء علوم الدين، ٣/ ٢٢٣)

📕नेकियां बरबाद होने से बचाइये' पेज़ नं 69)


✍️मसलन: कोई शख़्स ऐसा है जिस का ख़्याल आते ही आप को अपने दिल में बोझ सा मह़सूस होता है, नफ़रत की एक लहर दिलो दिमाग़ में दौड़ जाती है, वोह नज़र आ जाए तो मिलने से कतराते हैं तो समझ लीजिये कि आप उस शख़्स से कीना रखते हैं

और अगर इन में से कोई बात भी नहीं बल्कि वैसे ही किसी से मिलने को जी नहीं चाहता तो येह कीना नहीं कहलाएगा।

फ़तावा रज़विय्या' जिल्द-6, सफ़ा 526, पर है: मुसलमान से बिला वज्हे शरई़ कीना व बुग्ज़ रखना ह़राम है।

📓फ़तावा रज़विय्या' 6/526)

📕नेकियां बरबाद होने से बचाइये' पेज़ नं 69)


✍️दीगर गुनाहों का दरवाज़ा खुल जाता है:-👇

गुस्से से कीना पैदा होता है और कीने से आठ हलाकत खैज़ चीज़ें जनम लेती हैं, इन में से_

  • एक येह है कि “कीना परवर” ह़सद करेगा या’नी किसी के ग़म से शाद (या’नी ख़ुश) होगा और उस की खुशी से ग़मगीन।


  • दूसरा येह कि शुमातत करेगा या’नी किसी को कोई मुसीबत पहुंचेगी तो खुशी का इज़हार करेगा।


  • तीसरा येह कि ग़ीबत, दरोग़ गोई (या’नी झूट) और फोह़्श कलामी से उस के राज़ों को आश्कारा करेगा।


  • चौथा येह कि बात करना छोड़ देगा और सलाम का जवाब नहीं देगा।


  • पांचवां येह कि उसे ह़कारत की नज़र से देखेगा और उस पर ज़बान दराज़ी करेगा।


  • छटा येह कि उस का मज़ाक उड़ाएगा।


  • सातवां येह कि उस की हक़ तलफी करेगा और सिलए रेह़्मी नहीं करेगा या’नी अक़रिबा से मुरव्वत नहीं करेगा और रिश्तेदारों के हुक़ूक़ अदा नहीं करेगा और उन के साथ इन्साफ़ नहीं करेगा और तालिबे मुआ़फी नहीं होगा।


  • आठवां येह कि जब उस पर क़ाबू पाएगा उस को ज़रर (या’नी नुक़्सान) पहुंचाएगा और दूसरों को भी उस की ईज़ा रसानी पर उभारेगा।

अगर कोई बहुत दीनदार है और गुनाहों से भागता है तो इतना तो ज़रूर करेगा कि उस के साथ जो एह़सान करता था उस को रोक देगा 

और उस के साथ शफ़्कत से पेश नहीं आएगा और न उस के कामों में दिलसोज़ी करेगा और न उस के साथ अल्लाह तआ़ला के ज़िक्र में शरीक होगा और न उस की ता’रीफ़ करेगा और येह तमाम बातें आदमी के नुक़्सान और उस की ख़राबी का बाइ़स होती हैं।

📗کیمیائے سعادت، ٢/ ٦٠٦)

📕नेकियां बरबाद होने से बचाइये' पेज़ नं 70/71)


✍️प्यारे इस्लामी भाइयों! इस्लामी भाइयो ! देखा आप ने कि कीने की वज्ह से इन्सान दीगर गुनाहों और बुराइयों की दलदल में किस तरह फंसता चला जाता है।


✍️ह़दीस: हुज़ूर नबिय्ये करीम ﷺ का फ़रमाने इब्रत निशान है: मुसल्मान की सब चीज़ें मुसल्मान पर ह़राम हैं इस का माल, और इस की आबरू, और इस का ख़ून।

📗سنن ابوداو، ج٤، ص٤ ٣٥، حديث ٤٨٨٢)

📕ग़ीबत की तबाह कारियां, पेज़ नं 103)


✍️ह़दीस: हजरते अनस रजियल्लाहु तआला अन्हु ने कहा कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया कि कसम है उस जात की जिस के कब्जा में मेरी जान है कि बंदा उस वक़्त तक मोमिन नही होता जब तक कि अपने भाई के लिए भी वह पसंद न करे जिस को वह खुद अपने लिए पसंद करता है।

📗बुखारी व मुस्लिम शरीफ़)

📘अनवारूल हदीस' पेज़ 228)


खुश अख़लाक़ इस्लामी भाई में ये सिफ़ात होनी चाहिएं:-

बुजुर्गों ने फ़रमाया है ख़ुश अख़लाक़ वो है 

  1. जो शर्मीला, 
  2. कम गू (कम बोलने वाला), 
  3. रास्त गो (सच्चा) दूसरों की भलाई चाहने वाला, 
  4. जल्द रंजीदा न होने वाला, 
  5. बन्दगी बहुत ज़्यादा करने वाला, 
  6. कम गलती करने वाला, 
  7. और बहुत कम फ़ुज़ूल बातों में पड़ने वाला, 
  8. वो दूसरे तमाम लोगों को ख़ैर ख़्वाह, 
  9. दूसरे के हुक़ूक़ के सिलसिले में नेक किरदार, 
  10. शफीक और बा वकार होता है, 
  11. लम्बी लम्बी उम्मीदें नहीं बांधता 
  12. और उसको लालच भी बहुत कम होता है।
  13. वो सब्र करने वाला, 
  14. मतीन, 
  15. क़ानेअ़्, 
  16. शाकिर, 
  17. बुर्दबार, 
  18. रफ़ीकुल क़ल्ब कोताह सुख़न होता है न बड़ी बातें ज़बान से निकालता है 
  19. और न किसी की चुग़ली खाता है, 
  20. न किसी को गाली देता है 
  21. और न किसी पर लअ्नत भेजता है, 
  22. न किसी की ग़ीबात करता है, 
  23. उसमें उज्लत पसन्दी नहीं होती 
  24. और न वो किसी से किना व ह़सद रखता है
  25. खुश रू, कुशादा पेशानी 
  26. और खुश ज़बान होता है।
  27. उसकी दोस्ती उसकी खुशी और उसकी नाराज़गी सिर्फ अल्लाह अज्जवजल' के लिए होती है।

📓कीमियाए सआ़दत )

📗फ़ैज़ाने सुन्नत' पेज नंबर 397)

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