बिदअत और गुमराही इस्लाम के नजर में क्या है?
हदीस शरीफ़ में है।
"कुल्लू बिद्दअतीन ज़लाला व कुल्लू ज़ला लतिन फिन्नार"
दीन में हर नई चीज़ बिदअत है और हर बिदअत गुमराही है और हर गुमराही जहन्नम में ले जाने वाली है।
[सुनन निसई हदीस : 1579]
नबी ﷺ सहाबा इकराम से मुख़ातिब होकर कहा : मैंने दीन पहुंचा दिया शहादत की उंगली उठा के कहा सहाबा ने हामी भरी।
2741 बुखारी:
Bidat aour gumrahi keya hai|बिदअत गुमराही क्या है? |
ऐ ईमान वालो! इस्लाम में पूरे-पूरे दाख़िल हो जाओ, और शैतान के क़दमों पर मत चलो, वह तुम्हारा खुला हुआ दुश्मन है।
अल-क़ुरआन सुरह 2 बकराह अयात : 208
नबी ﷺ ने फ़रमाया कि: मैं दो चीज़ें छोड़कर जा रहा हू उसको कभी नहीं छोड़ना, कभी गुमराह नहीं होंगे, अल्लाह का क़ुरआन और मेरी सुन्नत (सहीह हदीस)
सही मुस्लिम : 397
रसूल अल्लाह ﷺ ने फ़रमाया जो हमारे इस दिन में कोई ऐसी नई बात पैदा करे, जो कोई ऐसा काम करे जो हमारे तरीक़ के ख़िलाफ़ हो तो वह मरदूद है।
अबू दाऊद 4606
जब कोई क़ौम अपने दींन में कोई बिदअत इजाद करती है तो अल्लाह उसके मिस्ल उनकी सुन्नत छीन लेता है, फ़िर वो उसे क़यामत तक उनकी तरफ़ नहीं लौटाता।
(मिश्कात हदीस 188)
अल्लाह का फ़रमान है
Surat No 13 : سورة الرعد - Ayat No 11
हक़ीक़त ये है कि अल्लाह किसी क़ौम के हाल को नहीं बदलता जब तक वो ख़ुद अपने आप को नहीं बदल देती।
अहले बिदअत के लिए?
खुराफ़ात, बिदअत, खेल तमाशा, जब 'सवाब, समझ कर किया जाऐ तो फिर तौबा का तसव्वुर भी दिल से नही गुजरता है।
अल्लाह त'आला हम सबको दीन की सही समझ दे, हिदायत दे और सिरात-अल-मुस्तक़ीम पर चलने की तौफीक़ दे। हम सबको दीन में इजाद की गई हर तरह की बिद्दत से बचाए।
आमीन या रब्बी
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