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अल्लाह अपने बन्दे की तौबा पर कितना खुश होता है ?

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया "यकीनन अल्लाह तआला को अपने किसी बन्दे की तौबा पर इससे ज्यादा खुशी होती है  कि जितनी खुशी तुम में से किसी शख्स को अपना गुमशुदा ऊंट मिल जाने पर होती है जिसे उसने किसी बयाबान जमीन में गुम कर दिया था। (सहीह बुखारी)


अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया 

जब कोई बन्दा तौबा करता है तो अल्लाह तआला को अपने बन्दे की तौबा पर इस से ज़ियादा खुशी होती है कि जिस क़दर तुम में से उस शख़्स को होती है जो किसी बयाबान ज़मीन में अपनी सवारी पर जाए और सवारी उस के हाथ से निकल जाए ।

और उस पर उस के खाने पीने की चीजें भी हों तो वोह उसे न पा कर किसी दरख़्त के पास चला जाए और अपनी सवारी की वापसी से ना-उम्मीद हो कर उस के साए में लैट जाए ।

फिर अचानक वोह सवारी उस के पास खड़ी हो वोह उस की मुहार पकड़ ले , फिर खुशी की शिद्दत से कहे कि ऐ अल्लाह तआला !

 तू मेरा बन्दा है और मैं तेरा रब हूं , या'नी शिद्दते मसर्रत की वजह से अल्फ़ाज़ उलट हो जाएं । (सहीह मुस्लिम)


 हर इन्सान गुनहगार है कोई छोटा तो कोई बड़ा, अक़्लमंद वो है जो तौबा करे और बुरे काम छोड़कर अच्छे काम में लग जाये और अल्लाह को राजी कर लें ।

अब  दो (2) हदीसे मुबारका भी पढ़ लीजिए।


अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया तमाम बनी आदम खताकार है और बेहतरीन खताकार तौबा करने वाले है। (जामेअ तिरमिज़ी)

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अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया "जिस ने अपनी बक़िय्या ज़िन्दगी में नेक आ'माल किये तो उस की उन ख़ताओं को बख़्श दिया जाएगा 

जो माज़ी (पहले) में हो चुकीं और जिस ने अपनी बक़िय्या ज़िन्दगी में बुरे आ'माल किये तो उस की गुज़श्ता ख़ताओं और आयिन्दा ज़िन्दगी में होने वाली ख़ताओं पर भी मुआ-ख़ज़ा होगा(पकड़ होगी)।

(मोअज़मूल औसत /अज़्ज़वाज़िर अनिकतिराफिल कबाइर - इमाम इब्ने हज़र मक्की हैतमी)


तौबा सच्ची होनी चाहिए सिर्फ चेहरे पर मारने का नाम तौबा नहीं है बल्कि अल्लाह की बारगाह में अपने गुनाह का एतराफ़ करे और माने और पक्का अहद करें कि या अल्लाह यह गुनाह आइन्दा नहीं करूंगा मैं तौबा करता हूं या तौबा करती हूं। 

रो रो कर तौबा करे और अगर रोना नह आये तो रोने जैसी शक्ल बनाए। और बुरे कामों को छोड़कर नेक कामों में लग जाये। बेशक अल्लाह माफ करने वाला मेहरबान है।

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