BIOGRAPHY Huzur Muhammad Rasoolullahe Sallallahu Alaihi Wasallam

हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जीवनी संक्षिप्त जीवनी |  BIOGRAPHY Huzur Muhammad Rasoolullahe Sallallahu Alaihi Wasallam

जश्ने ईद मिलादुन्नबी के मौके पर हुज़ूर मुहम्मद रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का परिचय 

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम - सबसे दयालु सबसे कृपालु अल्लाह के नाम पर

 

अल्हम्दुलिल्लाहि रब्बिल आलमीन व अस्सलातु वस्सलामु अलैका या सैय्यदुल मुर्सलीन।

 सबसे पहले यह याद रखें की हमारे नबी हुजूर मोहम्मद मुस्तफा स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया।

अल्लाह पाक ने सबसे पहले मेरे नूर को पैदा फ़रमाया फिर उस नूर से कायनात बनाई गई है और मैं आसमान में अहमद बन कर रहा फिर जमीन में मोहम्मद बन कर आया। 

हजरत मोहम्मद मुस्तफा हुजूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम की ज़मीन पर आने की तारीख 

सोमवार 09/12 रब्बियुल अव्वल (20 अप्रैल 571 ईस्वी)

हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जीवनी संक्षिप्त जीवनी |  BIOGRAPHY Huzur Muhammad Rasoolullahe Sallallahu Alaihi Wasallam
Hazrat Mohammad Mustafa 


नाम और शजरा ए नसब हजरत मोहम्मद मुस्तफा स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम 

 

  • हुजूर मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम,
  • बिन अब्दुल्ला , 
  • बिन अब्दुल मुत्तलिब ,
  •  बिन हाशिम , 
  • बिन अब्दे मनाफ , 
  • बिन कुसई , 
  • बिन किलाब , 
  • बिन मुर्राह, 
  • बिन कआब , 
  • बिन लुव्वई , 
  • बिन गालिब , 
  • बिन फेहर, 
  • बिन मालिक 
  • बिन नदर, 
  • बिन किनानाह , 
  • बिन हुजीमा , 
  • बिन मुदरका, 
  • बिन इलियास, 
  • बिन मदार, 
  • बिन नजर , 
  • बिन सईद , 
  • बिन अदनान ।

 हज़रत अदनान हज़रत इब्राहीम खलीलुल्लाह अलैहिस्सलाम के बेटे हज़रत इस्माईल जबीहुल्लाह अलैहिस्सलाम के वें पोते थे। 

इस्लाम से पहले औरतों का हाल पढ़ें किलिक करें।

मां के तरफ से हुजूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम का शजरा ए नसब यूं है।

माता का नाम हज़रत-ए-आमना पुत्री वहब, बिन अब्दे मुनाफ़, बिन ज़र्राह, बिन किलाब, बिन मुर्राह से आगे जाकर कुरैशी खानदान में जा मिलता है।


हुजूर मोहम्मद मुस्तफा स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम का जन्म स्थान?

हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का जन्म सोमवार 12 रबीउल अव्वल 53 बीएच, भारतीय कैलेंडर 01-04 जेठ 628 के अनुसार, अंग्रेजी कैलेंडर 20 अप्रैल 571 एसी के अनुसार मक्का में हुआ था।

 अरब देशों (मक्का-ए-मुक्कर्रमा) द्वारा उपयोग की जाने वाली सूर्य घड़ी के अनुसार समय सुबह 09:55 बजे था। और वर्तमान घड़ी के अनुसार समय सूर्योदय 04:20 बजे से पहले था।

उनका जन्म आम्मुल फील की घटना के 55 दिन बाद जन्म हुआ था।


हुज़ूर मुहम्मद-उर-रसूलुल्लाहे सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के जन्म से 55 दिन पहले तक्किसरा टूट गया 

हुज़ूर मुहम्मद-उर-रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का पालन-पोषण किसने किया?

हुज़ूर मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम को दाई हलीमा रदिअल्लाहु अन्हा से पालन-पोषण मिला।

 

हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम के और किन किन नाम से मशहूर हैं? 

  • हुज़ूर मुहम्मद स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर अहमद स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर हामिद स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर मुस्तुफ़ा स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर मुर्तुज़ा स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम 
  • हुज़ूर वहीद स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर ताहिर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर रसूले करीम स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर यासीन स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम  , 
  • हुज़ूर बशीर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  •  हुज़ूर नज़ीर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर मुजम्मिल स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर नूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर सिराज स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर मुतवक्कल स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुजूर खातिमुन 'नबीयीन स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम,
  • हुज़ूर शफ़ीउल मुज़न्नबीन स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर रहमतुल्लिल आलमीन स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर रुहुल कुद्दूस स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम 
  • हुज़ूर साहिब-ए-ताज स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर दुर्रे यतीम स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर मिस्कीन स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम 
  • हुज़ूर साहिब-ए-मेअराज सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम।
  • हुज़ूर मुजम्मिल स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर मुदस्सिर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर दाफिउल बला स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर मालिके जन्नत स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 
  • हुज़ूर कासिमे नेअमत स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम, 

 और भी बहुत से नामों से याद किया जाता है 

हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम के जन्म से लेकर उनकी पैग़म्बरी तक सरल दृश्य में;

 

  1. जब वह 6 वर्ष के हुए तो उनकी पूजनीय माता हज़रत-ए-आमीना रदियल्लाहु अन्हा का 576 ई.पू. में इस दुनिया से निधन हो गया।
  2. जब वह 8 वर्ष के हुए तो उनके दादा हज़रत अब्दुल मुत्तलिब 578 ईस्वी. में इस दुनिया से चल बसे।
  3. जब वह 582 ईस्वी में 12 वर्ष की आयु तक पहुंचे तो उन्होंने एक व्यापारी के रूप में शाम के लिए पहली बार यात्रा की।
  4. जब वह 595 ईस्वी में 25 वर्ष की आयु तक पहुँचे तो उन्होंने हज़रत-ए-ख़ातिजात-उल-कुबरा रदिअल्लाहु अन्हा से शादी हुई।
  5. जब वह 600 ईस्वी में 30 वर्ष की आयु तक पहुँचे, तो उन्होंने एक व्यापारी के रूप में अपना जीवन यापन किया और अपने लोगों द्वारा अल-सादिक (सच्चे-ईमानदार) और अल-अमीन (भरोसेमंद व्यक्ति) के रूप में उपाधि प्राप्त की। 
  6. जब वह ईस्वी 605 ईस्वी में 35 वर्ष की आयु तक पहुँचे तो उन्हें मक्का की सभी जनजातियों से हकीम-ए-सादिक के रूप में उपाधि मिली।
  7. उसी वर्ष कुरैश खानदान के लोग अल्लाह के घर, काबा का नवीनीकरण कर रही थी। उन्होंने आपस में इस बात पर विवाद किया कि पवित्र काले पत्थर (हजर-उल-असवद) को उसके स्थान पर कौन रखे। 

आख़िरकार वे इस समझौते पर पहुंचे कि सबसे भरोसेमंद व्यक्ति को इसकी जगह लेनी चाहिए, और वह व्यक्ति पैगंबर हुज़ूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम थे।

  • जब वह 607 ईस्वी में 37 वर्ष की आयु तक पहुँचे तो वह इबादत (प्रार्थना) के लिए गारे हेरा (हिरा का पर्वत) पर गए।
  •  हुज़ूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम हमेशा आध्यात्मिक दृष्टि और अंतर्दृष्टि की स्थिति में थे, लेकिन हुज़ूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम इसके बारे में बोलने के लिए अधिकृत नहीं थे। 
  • हुज़ूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम अकेले रहना पसंद करते थे और चिंतन और मनन के लिए अल-हिरा नामक पहाड़ की गुफा का इस्तेमाल करते थे।
  •  हुज़ूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने सर्वशक्तिमान और महान अल्लाह कुर्ब तक पहुंचने के साधन के रूप में एकांत की तलाश की।
  •  हुजूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने हर तरह के लगाव से परहेज किया, यहां तक कि अपने परिवार के साथ भी। 


  •  हमेशा ध्यान और चिंतन में रहते थे, दिल के धिक्कार के सागर पर तैरते थे। उसने खुद को हर चीज से पूरी तरह से अलग कर लिया, जब तक कि सर्वशक्तिमान और महान अल्लाह का नूर उसके सामने प्रकट नहीं हो गया।

  हमारे नबी की इख्तियार पढ़ें।

जिसने उन्हें पूर्ण आत्मीयता और खुशी की स्थिति प्रदान की। उस अंतरंगता ने रहस्योद्घाटन के दर्पण को पवित्रता और चमक में वृद्धि करने की अनुमति दी, जब तक कि वह पूर्णता की उच्चतम स्थिति तक नहीं पहुंच गया, जहां उसने एक नई रचना की शुरुआत देखी। 

सुंदरता के आदिम चिह्न ब्रह्मांड को फैलाने और सजाने के लिए चमक उठे। 

पेड़, पत्थर, धरती, तारे, सूरज, चाँद, बादल, हवा, बारिश और जानवर अरबी भाषा में उनका स्वागत करेंगे और कहेंगे, "अस-सलाम अलैका या रसूल-अल्लाह" - "आप पर शांति हो, हे अल्लाह के पैगंबर।

 गारेह हेरा (हिरा का पहाड़) 

जब 40 वर्ष की आयु तक पहुँचे, तो गुरुवार 18 वें रमजान 13 बीएच, 13 अगस्त 610 एसी हुज़ूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम को हेरा पर्वत पर खड़े होकर, क्षितिज पर एक आकृति दिखाई दी जिसे हुज़ूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम नहीं पहचानते थे, 

जिसे हुज़ूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम से कहा, "हे मुहम्मद स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम मैं जिब्राईल (अलैहिस्सलाम) हूं ।

और आप अल्लाह के पैगंबर हैं जिन्हें उन्होंने इस दुनियां में भेजा है।" फिर मुख्य फ़रिश्ते हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने हुज़ूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम को रेशम का एक टुकड़ा सौंपा जो गहनों से सजाया गया था।

हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने उसे अपने हाथ में रख लिया और उनसे कहा- हुज़ूर, "पढ़ो।

 उन्होंने पूछा, "मुझे क्या पढ़ना है?" हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने पैग़म्बर हुज़ूर (स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम) को गले लगाया और उनसे कहा- हुज़ूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम "पढ़ो।" 

हुज़ूर (स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फिर कहा, "मैं क्या पढ़ूंगा?" हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने फिर हुज़ूर को गले लगाया और कहा, "पढ़ो,

(1) पढ़ो, अपने अल्लाह के नाम पर,

जिसने बनाया,

(2) खून के थक्के से मनुष्य को बनाया,

(3) पढ़ो, और तुम्हारा अल्लाह सबसे उदार है

(4) जिसने कलम से सिखाया है,

(5) ) मनुष्य को वह सिखाया जो वह नहीं जानता था!

[96:1-5] 

मुख्य फ़रिश्ते हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम पहली बार उनके पास आये - 


पहली मदरसा-शैक्षणिक अकादमी 

सफा के दार अल-अरकम-पर्वत में स्थापित की गई, जिसमें पूजा करने और 613 ए.सी. तक तीन साल तक छिपने की सुविधा थी। 


हुज़ूर मोहम्मद मुस्तुफ़ा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को सबसे पहले अपने (स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम) परिवार को इस्लाम के बारे में निर्देश देने का आदेश दिया गया था, 

जिसमें उनकी प्रिय पत्नी हज़रत-ए-ख़दीजतुल कुबरा रज़ियल्लाहु अन्हु भी शामिल थीं, लेकिन अंततः उन्हें पता चला कि उन्हें इस्लाम प्रदान करना शुरू करना चाहिए।

 समस्त मानव जाति के लिए संदेश. अपने जीवन के अगले 23 वर्षों में , उन्होंने अपने लोगों को अल्लाह का संदेश सुनाया , और एक उदाहरण स्थापित किया कि प्रत्येक इंसान को अपना जीवन कैसे जीना चाहिए। 

यह विशेष रूप से मूल्यवान है क्योंकि हुज़ूर मोहम्मद मुस्तुफ़ा सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम अल्लाह के अंतिम पैगंबर हैं।


 हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम की कुल पत्नीयां जिनके नाम इस प्रकार हैं;

अज्वाजे मुतहहरात की तादाद और उन के निकाहों की तरतीब के बारे में मुअरिखीन का क़दरे इख़्तिलाफ़ है ।

मगर ग्यारह उम्महातुल मोमिनीन के बारे में किसी का भी इख़्तिलाफ़ नहीं इन में से हज़रते ख़दीजा और हज़रते ज़ैनब बिन्ते खुज़ैमा का तो हुजूर के सामने ही इनतिकाल (देहान्त) हो गया था।

 मगर नौ(9) बीवियां हुजूर की वफाते अक्दस के वक्त मौजूद थीं।

इन ग्यारह उम्मत की माओं में से छे (6) खानदाने कुरैश के ऊंचे घरानों की चश्मो चराग़ थीं जिन के अस्माए मुबारका येह हैं :


(1) खदीजा बिन्ते खुवैलद 

(2) आइशा बिन्ते अबू बक्र सिद्दीक़

(3) हफ्सा बिन्ते उमर फारूक़ 

(4) उम्मे हबीबा बिन्ते अबू सुफ्यान 

(5)उम्मे सलमह बिन्ते अबू उमय्या

(6) सौदह बिन्ते जम्आ


और चार (4) अज़्वाजे मुतहहरात खानदाने कुरैश से नहीं थीं बल्कि अरब के दूसरे क़बीले से तअल्लुक रखती थीं वोह येह हैं :


(1) ज़ैनब बिन्ते जहुश 

(2) मैमूना बिन्ते हारिस 

(3 ज़ैनब बिन्ते खुज़ैमा "उम्मुल मसाकीन" 

(4) जुवैरिया बिन्ते हारिस 

और एक बीवी या 'नी सफ़िय्या बिन्ते हुयैय येह अरबिय्युन्नस्ल नहीं थीं बल्कि खानदाने बनी इस्राईल की एक शरीफुन्नसब रईस ज़ादी थीं ।



 हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम के कितने बच्चे हैं?

हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम के सात बच्चे हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं;

 

01. हज़रत कासिम रदिअल्लाहु अन्हु, (जब वह 17 महीने या 2 वर्ष की आयु तक पहुँचे तो इस दुनिया से चले गए)

02. हज़रत अब्दुल्लाह (तैयब - ताहिर) रदिअल्लाहु अन्हु, (जब वह 1 वर्ष 6 महीने की आयु तक पहुँचे तो उनका निधन हो गया) इस दुनिया से)

03. हज़रत-ए-ज़ैनब रदिअल्लाहु अन्हा,

04. हज़रत-ए-रुक़य्याह रदिअल्लाहु अन्हा,

05. हज़रत-ए-उम्मे कुलसुम रदिअल्लाहु अन्हा,

06. हज़रत-ए-फतेमहतुज़ ज़ुहरा रदिअल्लाहु अन्हा हज़रत-ए- से ख़तिजतुल कुबरा रदिअल्लाहु अन्हु.  

07. हज़रत इब्राहीम ।


हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम के कुल ख़लीफ़ा दस हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं;

 

01. हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़-ए-आज़म रदिअल्लाहु अन्हु,

02. हज़रत उमर फ़ारूक़-ए-आज़म रदिअल्लाहु अन्हु,

03. हज़रत उस्मान गनी-ए-आज़म रदिअल्लाहु अन्हु,

04. हज़रत अली मुश्किल कुशा-ए-आज़म करमुल्लाहु वज़ू,

05. हज़रत अब्दुर रहमान पुत्र हज़रत औफ रदिअल्लाहु अन्हु,

06. हज़रत साद पुत्र वकास रदिअल्लाहु अन्हु,

07. हज़रत तलहा रदिअल्लाहु अन्हु,

08. हज़रत सईद पुत्र जुबेर रदिअल्लाहु अन्हु,

09. हज़रत अबू उबेदा पुत्र अल- जिरह रदिअल्लाहु अन्हु और

10. हज़रत ज़ुबेर रदिअल्लाहु अन्हु.

 


हुज़ूर मोहम्मद मुस्तुफ़ा सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम का सोमवार 12 रब्बियुल अव्वल 11 तारीख को 63 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।

 (06 / 08 जून 632 एसी) चाश्त की नमाज़ का समय और हज़रत-ए-आयशा के हुजरा में दफनाया गया। 


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