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अहले बैत की कितनी किस्में हैं ?

अहले बैत की तीन किस्में बताई गई हैं ।

 ( 1 ) पहली किस्म अस्ले अहले बैत , इन में तेरह नफर हैं , नौ अज़वाजे मुतहिहरात और चार साहिब ज़ादियां ।

 ( 2) दूसरी किस्म दाखिले अहले बैत यह तीन नफ़र हैं । सय्यिदुना मौला अली मुर्तज़ा , सय्यिदुना इमाम हसन और सय्यिदुना इमाम हुसैन रिज़वानुल्लाहि तआला अलैहिम अजमईन ।

 ( 3 ) तीसरी किस्म लाहिके़ अहले बैत । यानी वह लोग जिन को अल्लाह तआला ने नापाकियों और गुनाहों से कुल्ली तौर पर पाक कर दिया है और उन को कमाले तकवा और पाकीज़गी इनायत फरमाई है चाहे वह सादात हों या सादात के अलावा जैसे हज़रत सलमाने फारसी रज़ियल्लाहु अन्हु । ( शमए सनाबिल शरीफ )

प्यारे नबी की प्यारी बातें पढ़ें 

 रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की आल दो किस्म की है 

(1 ) एक नसबी जैसे हज़रत जअफर और अकील बिन अबी तालिब की औलाद और अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु की औलाद और हारिस बिन अब्दुल मुत्तलिब और अलीये मुर्तज़ा और आप की औलाद , रज़ियल्ला अन्हुम ।

 ( 2 ) दूसरी सबबी कि हर मुत्तकी मुसलमान रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की आल में शामिल है । ( शमए सनाबिल शरीफ )

 रसूले खुदा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम खुद अपनी प्यारी बीबी हज़रत आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु अन्हा से उन को खुश करने की ख़ातिर और सहाबा को तालीम देने की गर्ज से दौड़ में मुकाबला करते थे । ( तफसीरे नईमी )



 हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया हसन और हुसैन ,

 दोनों अर्श की तलवारें हैं । ( तफसीरे नईमी )

  जब इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु अपने नाना जान हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम गोद में उठा लेते और फरमाते ऐसे को मरहबा जिस पर मैं ने अपना बेटा कुरबान किया है।


  उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु अन्हा रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के विसाल के बाद 47 साल ज़िंदा रहीं ।


  हज़रत उम्मे सलमा रज़ियल्लाहु अन्हा अज़वाजे मुतहिहरात में से हैं । उन का नाम रमलह था ।

 उन्हीं को हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने करबला की ख़ाक दी थी जो हज़रत सय्यदुना इमाम हुसैन की शहादत के वक्त सुर्ख हो गई थी । विसाल के वक्त 84 साल की उम्र थी ।


 हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु ने जनाज़े की नमाज़ पढ़ाई । जन्नतुल बकीअ में दफ्न हुई । इन से 378 हदीसें मरवी हैं । ( नुज्हतुल कारी )

 पर्दे का हुक्म इस्लाम में किस सन् हिजरी मे नाजिल किया गया?

 पर्दे के हुक्म की आयत हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर हज़रत उम्मे सलमा से निकाह के बाद नाज़िल हुई । ( तफसीरे नईमी )

मोहर्रम महीने की जानकारी पढ़ें

 हज़रत उम्मुल मोमीनीन सय्यदा आयशा सिद्दीका रदि अल्लाहु अन्हा पर बोहतान यानी इल्ज़ाम लगाने वाले का नाम क्या है?

  वाक़ए इफ़क में हज़रत आयशा ' सिद्दीका रज़ियल्लाहु अन्हा पर बोहतान लगाने वाला मलऊन अब्दुल्लाह बिन उबई था । ( तफ़सीरे नईमी )

 क्या हज़रत बीबी फातिमा रज़ियल्लाहु अन्हा की फातिहा का खाना सिर्फ औरत ही खा सकती हैं मर्द नहीं खा सकते हैं क्या?

 हज़रत बीबी फातिमा रज़ियल्लाहु अन्हा की फातिहा का खाना मर्द खा सकते हैं , इस की शरीअत में कोई मुमानिअत नहीं है ।


 हज़रत उम्मे फज्ल रज़ियल्लाहु अन्हा ने ख्वाब में देखा कि उन की गोद में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बदने पाक का एक टुकड़ा डाला गया है ।

 हुजूरे अकदस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस की ताबीर यह फरमाई कि फ़ातिमा के लड़का पैदा होगा और तुम उसे दूध पिलाओगी ।

 ऐसा ही हुआ कि सय्यिदुना इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु पैदा हुए और हज़रत उम्मे फज्ल ने उन्हें दूध पिलाया । ( तफसीरे नईमी )

 हज़रत मुहम्मद बिन हनफ़िया रज़ियल्लाहु अन्हु कौन है?

 हज़रत मुहम्मद बिन हनफ़िया रज़ियल्लाहु अन्हु हज़रत मौला अली मुर्तज़ा ' कर्रमल्लाहु तआला वजहहुल करीम के बेटे थे । हज़रत अली अपने दौरे खिलाफत में मुहम्मद बिन हनफिया को फौज का सिपह सालार बना कर अक्सर जंगों में भेजते थे ।


 किसी ने मुहम्मद बिन हनफिया से कहा तुम्हारे बाप हज़रत अली हज़रत इमाम ए हसन या हज़रत इमाम ए हुसैन को किसी लड़ाई पर नहीं भेजतें , ' तुम को ही हमेशा मौत के मुंह में धकेल देते हैं ।

  मुहम्मद बिन हनफिया ने फरमायाः हज़रत इमाम हसन और हज़रत इमाम  हुसैन मेरे बाप के वालिद की आँखें हैं और मैं उन का बाजू । आँख का काम अलग है और बाजू का काम अलग ।

 हज़रत मुहम्मद बिन हनफिया रज़ियल्लाहु अन्हु की वालिदा खूला बिन्ते जअफर है और हनफिया कहलाती हैं ।

 इस की वजह यह है यमामा के मशहूर कबीले बनी हनीफ की चश्मो चराग़ थी ।

 हज़रत मुहम्मद बिन  हनफिया की कुन्नियत क्या है ?

 हज़रत मुहम्मद बिन  हनफिया की कुन्नियत अबुल कासिम है ।

 हुजूरे अकदस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लग ने मौला अली को उन की बशारत दी थी और अपना नामे नामी और कुत्रियत भी अता की थी । राफज़ियों का एक फिर्का कसीसानिया है जो उन्हें इमामे बरहक़ मानता है ।

 उन का अक़ीदा है कि वह ज़िंदा हैं और जबले रिज़या में अपने चालीस मुख़लिस असहाब के साथ छुपे हुए हैं और यही वह मेहदी है जिन का दुनिया को इन्तिज़ार कर रही है । ( तफसीरे नईमी व गुल्दस्तए तरीकत )

 हज़रत बीबी फातिमा ज़हरा रज़ियल्लाहु अन्हा को कब्र में उतारते वक्त हज़रत अबू ज़र गिफारी रज़ियल्लाहु तआल अन्हु ने जोशे गम में कहा ऐ क़ब्र , तुझे कुछ ख़बर भी है , यह बेटी हैं रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की , यह बीवी हैं अलीयुल मुर्तजा की , यह माँ हैं हसन और हुसैन की ।

 यह फ़ातिमा ज़हरा हैं , जन्नत की बीबियों की सरदार ।

 कब्र से आवाज़ आई : ऐ अबू ज़र , क़ब्र हसब नसब बयान करने की जगह नहीं है । यहाँ तो नेक आमाल का ज़िक्र करो ।

 यहाँ तो वही आराम पाएगा जिस के आमाल नेक हों और जिस का दिल मुसलमान हो । ( मिश्कातुल अनवार , गुल्दस्तए तरीकत )

 हज़रत अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब रज़ियल्लाअहुअ तआला अन्हु हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सगे चचा हैं । इस्लाम पहले ला चुके थे ।

बद्र में मजबूरन कुफ़्फ़ार के साथ आए थे । अपनी हिजरत के दिन इस्लाम जाहिर किया । आप आख़िरी मुहाजिर हैं । ( तफ़सीरे नईमी )

यौमे आशूरा के दिन की दुआ रोज़ा और नफिल इबादतों का बयान पढ़ने के लिए किलिक करें

  अबू तालिब हुज़रू सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की हक्का़नियत के का़इल थे । उन्हों ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बड़ी खिदमत की है ।

 उन के ईमान के बारे में मुख्तलिफ कौ़ल हैं । कुछ उलमा कहते हैं कि चूंकि उन्हों ने ज़बान से कलिमा नहीं पढ़ा था इस लिये शरअन उन्हें मुसलमान नहीं कहा जा सकता । ( तफसीरे नईमी )


 हज़रत मौला अली मुर्तजा रज़ियल्लाहु अन्हु की कितनी बीवियां हुईं हैं और उनके नाम क्या हैं?

 हज़रत मौला अली मुर्तजा रज़ियल्लाहु अन्हु की नौ बीवियां हुईं । और उनके नाम यह है।

 (1) सय्यिदा फ़ातिमा ज़हरा ,

 (2) उम्मुल बनीन ,

 (3) लैला बिन्ते उम्मे सऊद ,

 (4) अस्मा बिन्ते अमीस ,

 (5) उनानह बिन्ते अबिल आस ,

 (6) खौला बिन्ते जअफर ,

 (7) सहबा बिन्ते रबीअह ,

 (8) उम्मे- सईद बिन्ते अर्वह ,

 (9) महया बिन्ते इमराउल कैसा

 इन बीवियों से बारह बेटे और नौ बेटियां हुई जिन में से हज़राते हसनैन , सय्यदा जैनब , सय्यिदा उम्मे कुल्सूम हज़रत फातिमा ज़हरा से हैं । ( तफसीरे नईमी )

  हज़रत आयशा सिद्दीका रदियल्लाहु अन्हा गुम्बदे ख़ज़रा में हज़रत फारूके आज़म रज़ियल्लाहु अन्हु के दफ़्न होने के बाद पर्दे के साथ जाती थीं और फरमाती थीं मैं उमर से हया करती हूँ । ( तफसीरे नईमी )

 किस सहाबी को हुजूर नबी ए करीम स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने अपना बेटा बना लिया था ?

 हज़रत जै़द बिन हारिसा रज़ियल्लाहु अन्हु को हुजूरे अकदस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आज़ाद करके अपना बेटा बना लिया था ।

 आप हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बड़े चहीते थे यहाँ तक कि आप का शुमार अहले बैत में होता है । ( तफसीरे नईमी )


 हुजूरे अकदस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत बीबी फ़ातिमा ज़हरा रज़ियल्लाहु अन्हा को हाथी दांत के कंगन पहनाए । ( तफसीरे नईमी )

 हज़रत आमिना ख़ातून को बारहवीं ज़िलहज्ज को मिना में हमल ठहरा कि हज़रत अब्दुल्लाह शैतानों को कंकरियां मार के आए और बीबी आमिना के साथ सोये ।

 मगर दर हकीक़त वह रजब का महीना था जिसे कुफ्फार ने उस साल ज़िलहज्ज करार देकर हज कर लिया था । इस हिसाब से रबीउल अब्बल तक नौ माह होते हैं । ( तफ़सीरे नईमी )


 हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की अज़्दवाज यानी नबी ए करीम स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपनी बीवियों का महेर कितना होता था?

  हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की अज़वाज का मेहर पांच सौ दिरहम था जो आज के हिसाब से तकरीबन साढ़े चार हजार रुपये होता है । ( तफसीरे नईमी )


 हज़रत फातिमा ज़हरा रदिअल्लाहु अन्हा का मेहर कितना था ?

  हज़रत फातिमा ज़हरा रज़ियल्लाहु अन्हा का मेहर चार सौ मिस्काल यानी डेढ़ सौ तोला या 1800 ग्राम चांदी था जिस की कीमत आज के भाव से तकरीबन बयासी हज़ार रुपये होती है । ( तफसीरे नईमी )


  नबीये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बीबी ख़दीजतुल कुबरा की तरफ़ से उन के इन्तिका़ल के बाद कु़रबानी कराते थे और उस का गोश्त बीबी साहिबा की सहेलियों को भेजते थे । ( तफसीरे नईमी )


 किस सहाबी ए रसूल की जनाजा़ की नमाज़ हमारे नबी ए रहमत स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने 70 बार पढ़ी ?

 हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सय्यिदुश शुहदा हज़रत अमीर हमज़ा रज़ियल्लाहु अन्हु पर (70) सत्तर बार नामज़े जनाज़ा पढ़ी कि हर शहीद के जनाजे के साथ उन पर नमाज़ पढ़ी । ( तफसीरे नईमी )


 शहीदे करबला हज़रत इमामे हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की विलादत किस सन हिजरी में हुई थी?

 शहीदे करबला इमामे हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की विलादत शअबान सन चार हिजरी की पांचवीं तारीख मंगल के दिन मदीना ए मुनव्वरा में हुई ।

 कुछ ने शअबान सन तीन हिजरी की तीसरी तारीख़ बुध का दिन भी लिखा है । ( तफसीरे नईमी )


जनाबे इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु (6) छः महीने में पैदा हुए । किसी और को यह शर्फ सिर्फ हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के सिवा नहीं मिला । ( तफसीरे नईमी )


 सरकार शहीदे करबला इमामे हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु हर रात एक हज़ार रकअत नमाज़ पढ़ा करते थे । 

इसे आप के साहिब जादे हज़रत इमाम जैनुल आबिदीन रज़ियल्लाहु अन्हु ने रिवायत किया है । ( तफसीरे नईमी )


  सरकार इमामे हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु ने अपनी तमाम उम्र में (25) पच्चीस हज अदा किये और सब पैदल । ( मक्तले इमाम अबू इस्हाक अस्फहानी )


 जनाबे इमामे हसन रज़ियल्लाहु अन्हु के बीस बेटों में से सात बेटे करबला की जंग में शरीक थे इन में से पांच ने मैदाने करबला में शहादत पाई । ( मक्तले इमाम अबू इस्हाक अस्फरायनी )


 मअरक ए करबला में हज़रत इमामे आली मकाम सय्यिदुना इमामे हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु और यज़ीद पलीद की फौजों का अनुपात क्रमशः बहत्तर और तीस हज़ार था । ( मक्तले इमाम अबू इस्हाक अस्फहानी )

  सय्यिदुना इमामे हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु के घोड़े का नाम मैमून या और वह जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के घोड़ों में सब से अच्छा था ।

इमामे आली मकाम की शहादत के बाद फुरात में डूब कर मर गया । ( मक्तले इमाम अबू इस्हाक अस्फरायनी )


 हज़रत इमामे हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु के शाइर यहया बिन हकम और दरवाजे के निगहबान असअद हिजरी थे । ( मक्तले इमाम अबू इस्हाक अस्फरायनी )


  हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की शहादत जुम्आ दस मुहर्रम सन 61 हिजरी निस्फुन्नहार के बाद हुई । शहादत के वक्त उम्रे शरीफ 56 बरस पांच माह पांच दिन थी । ( मक्तले इमाम अबू इस्हाक अस्फरायनी )


  अबू लहब की लौंड़ी सुवैबा ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अलावा आप के चचा सय्यिदुना हमज़ा रज़ियल्लाहु अन्हु को भी दूध पिलाया था । ( नुज्हतुल कारी )


 हज़रत इमाम जैनुल आबिदीन रज़ियल्लाहु अन्हु वाकए करबला के वक़्त 24 साल के थे । मशहूर है कि ईरान के आखिरी ताजदार यज्दुजर्द की बेटी हज़रत शहर बानो के बल से हैं । ( मक्तले इमाम अबू इस्हाक अस्फरायनी )


 अहले सुन्नत के उलमा मुहक्किकीन जैसे कि इमाम जलालुद्दीन सियूती , अल्लामा इब्ने हजर हीतमी , इमाम कर्तबी , हाफिज़ शम्सुद्दीन दमिश्की , काज़ी अबू बक्र इब्नुल अरबी मालिकी , शैख़ अब्दुल हक मुहद्दिस देहलवी , मौलाना अब्दुल हक मुहाजिर मदनी रहमतुल्लहि अलैहिम का यही अकीदा कौ़ल है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के माँ बाप दोनों यकी़नन बिला मोमिन हैं ।

 इमाम क़र्तबी ने अपनी किताब तज़किरा में लिखा है कि हज़रत आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु अन्हा ने फरमाया कि हुजूर सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम जब हज्जतुल वदाअ में हम लोगों को साथ लेकर चले और की घाटी पर गुज़रे तो रंज और गम में डूबे हुए रोने लगे और हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को रोता देख कर मैं भी रोने लगी ।

  फिर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपनी ऊंटनी से उतर पड़े और कुछ देर बाद मेरे पास वापस तशरीफ़ लाए तो खुश खुश मुस्कुराते हुए तशरीफ़ लाए ।

 मैं ने पूछा या रसूलल्लाह ! आप पर मेरे माँ बाप कुरबान हों , क्या बात है कि आप रंज और गम में डूबे हुए ऊंटनी से उतरे और वापस लौटे तो खुश खुश मुस्कुराते हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः मैं अपनी माँ हज़रत आमिना की क़ब्र की जियारत के लिये गया था और मैं ने अल्लाह तआला से सवाल किया कि वह उन्हें ज़िंदा फरमा दे तो अल्लाह तआला ने उन्हें जिंदा फ़रमा दिया और वह ईमान ले आई । ( मदारिकुत तन्जील , जिल्द 2 )


 अमीरुल मोमिनीन सय्यदुना इमामें हसन रज़ियल्लाहु अन्हु इब्ने सय्यिदुना मौला अली कर्रमल्लाहु तआला वजहहुल करीम को कितना बार ज़हर दिया गया था?

  अमीरुल मोमिनीन सय्यदुना इमामें हसन रज़ियल्लाहु अन्हु इब्ने सय्यिदुना मौला अली कर्रमल्लाहु तआला वजहहुल करीम को पांच बार ज़हर दिया गया मगर असर न किया ।

 छटी बार के ज़हर ने आप के जिगर को टुकड़े टुकड़े कर दिया । ( समए सनाबिल शरीफ )

  एक रिवायत में है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने माँ बाप की क़ब्रों के पास बहुत रोए और एक खुश्क दरख़्त जमीन में बो दिया और तो फ़रमाया अगर यह दरख्त हरा हो गया तो यह इस बात की निशानी होगी कि इन दोनों का ईमान लाना मुमकिन है । चुनान्चे वह दरख्त हरा हो गया ।

  फिर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दुआ की बरकत से वह दोनों अपनी कब्रों से निकल कर इस्लाम लाए और फिर अपनी अपनी कब्रों में चले गए । ( सीरतुल मुस्तफा )

  एक दिन हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने देखा कि उम्मुल मोमिनीन हज़रत सफिय्या रज़ियल्लाहु अन्हा रो रही हैं । आप ने रोने का सबब पूछा ।

 उन्हों ने कहाः या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमा हज़रत आयशा और हज़रत हफ़सा ने यह कहा है कि हम दोनों तुम से बारगाहे रिसालत में ज़्यादा इज्ज़तदार हैं क्योंकि हमारा ख़ानदान हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मिलता यह सुन कर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः ऐ सफिय्या तुम ने उन दोनों से यह क्यों न कह दिया कि तुम दोनों मुझ से बेहतर कैसे हो हो  सकती हो जब कि हज़रत हारून अलैहिस्सलाम मेरे बाप हैं और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम मेरे चचा हैं और मुहम्मदुर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ) मेरे शौहर हैं । ( जुरका़नी , जिल्द 2 )


 जनाबे इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की करबला की आख़िरी नमाज । जो ख़न्जर तले अदा हुई वह ख़ास कअबे में लाखों नमाज़ों से अफ़ज़ल है । ( मक्तले इमाम अबू इस्हाक अस्फरायनी )


 हज़रत मौला अली रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि हज़रत हसन सीने में लेकर सर तक रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से बहुत ज़्यादा हम शक्ल 

 हैं और हज़रत हुसैन नीचे के बदन में हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मुशावह है यानी हमशक्ल। ( मक्तले इमाम अबू इस्हाक अस्फहानी )


  रसूले पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशादे गिरामी है : अल्लाह से मुहब्बत करो क्योंकि वह तुम्हें नेअमतें देकर परवरिश करता है और इस मुहब्बत की वजह से मुझ से मुहब्बत करो और मेरी मुहब्बत की वजह से मेरे अहले बैत से भी । ( तफ़सीरे नईमी )

  हज़रत अबू ज़र गिफारी रज़ियल्लाहु अन्हु कअबे का हल्का पकड़े कह रहे थेः मैं ने हुजूरे अक़दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सुना है आप फ़रमा रहे थे कि मेरे अहले बैत की मिसाल ऐसी है जैसे हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की कश्ती , जो शख्स इस में सवार हो गया वह डूबने से बच गया और जो रह गया वह डूब गया । ( नुज्हतुल का़री )

  हज़रत आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु अन्हा का बयान है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मैं ने तुम को ख़्वाब में तीन बार देखा । तुम को एक रेशम के टुकड़े में रख कर एक फरिश्ता लाया करता। मैं दिल में कहता कि अगर यह अल्लाह की तरफ से है तो पूरा हो कर रहेगा । ( बुख़ारी शरीफ )


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ahale bait kee kitanee kismen hain ?

ahale bait kee teen kismen bataee gaee hain . 

( 1 ) pahalee kism asle ahale bait , in mein terah naphar hain , nau azavaaje mutahiharaat aur chaar saahib zaadiyaan .

( 2) doosaree kism daakhile ahale baita yah teen nafar hain . sayyiduna maula alee murtaza , sayyiduna imaam hasan aur sayyiduna imaam husain rizavaanullaahi taaala alaihim ajameen . 

( 3 ) teesaree kism laahike ahale bait . yaanee vah log jin ko allaah taaala ne naapaakiyon aur gunaahon se kullee taur par paak kar diya hai aur un ko kamaale takava aur paakeezagee inaayat pharamaee hai chaahe vah saadaat hon ya saadaat ke alaava jaise hazarat salamaane phaarasee raziyallaahu anhu . ( shame sanaabil shareeph ) 


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( 2 ) doosaree sababee ki har muttakee musalamaan rasoolullaah sallallaahu alaihi vasallam kee aal mein shaamil hai . ( shame sanaabil shareeph )

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hujoor sallallaahu alaihi vasallam ne pharamaaya hasan aur husain , 

donon arsh kee talavaaren hain . ( taphaseere naeemee )



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parde ka hukm islaam mein kis san hijaree me naajil kiya gaya?

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kya hazarat beebee phaatima raziyallaahu anha kee phaatiha ka khaana sirph aurat hee kha sakatee hain mard nahin kha sakate hain kya?

hazarat beebee phaatima raziyallaahu anha kee phaatiha ka khaana mard kha sakate hain , is kee shareeat mein koee mumaaniat nahin hai . 


hazarat umme phajl raziyallaahu anha ne khvaab mein dekha ki un kee god mein rasoolullaah sallallaahu alaihi vasallam ke badane paak ka ek tukada daala gaya hai . 

hujoore akadas sallallaahu alaihi vasallam ne is kee taabeer yah pharamaee ki faatima ke ladaka paida hoga aur tum use doodh pilaogee . 

aisa hee hua ki sayyiduna imaam husain raziyallaahu anhu paida hue aur hazarat umme phajl ne unhen doodh pilaaya . ( taphaseere naeemee ) 

hazarat muhammad bin hanafiya raziyallaahu anhu kaun hai?

hazarat muhammad bin hanafiya raziyallaahu anhu hazarat maula alee murtaza karramallaahu taaala vajahahul kareem ke bete the . hazarat alee apane daure khilaaphat mein muhammad bin hanaphiya ko phauj ka sipah saalaar bana kar aksar jangon mein bhejate the . 


kisee ne muhammad bin hanaphiya se kaha tumhaare baap alee hasan ya husain ko kisee ladaee par nahin bhejaten , tum ko hee hamesha maut ke munh mein dhakel dete hain .

 muhammad bin hanaphiya ne pharamaayaah hasan aur husain mere ka baap ke vaalid kee aankhen hain aur main un ka baajoo . aankh ka kaam alag hai aur baajoo ka kaam alag . 

hazarat muhammad bin hanaphiya raziyallaahu anhu kee vaalida khoola binte jaaphar hai aur hanaphiya kahalaatee hain . 

is kee vajah yah hai yamaama ke mashahoor kabeele banee haneeph kee chashmo charaag thee . 

hazarat muhammad bin ! hanaphiya kee kunniyat kya hai ?

hazarat muhammad bin ! hanaphiya kee kunniyat abul kaasim hai . hujoore akadas sallallaahu alaihi vasallag ne maula alee ko un kee bashaarat dee thee aur apana naame naamee aur kutriyat bhee ata kee thee . raaphaziyon ka ek phirka kaseesaaniya hai jo unhen imaame barahak maanata hai . 

un ka aqeeda hai ki vah zinda hain aur jabale rizaya mein apane chaalees mukhalis asahaab ke saath chhupe hue hain aur yahee vah mehadee hai jin ka duniya ko intizaar kar rahee hai . ( taphaseere naeemee va guldaste tareekat ) 

hazarat beebee phaatima zahara raziyallaahu anha ko kabr mein utaarate vakt hazarat aboo zar giphaaree raziyallaahu taaal anhu ne joshe gam mein kaha ai kabr , tujhe kuchh khabar bhee hai , yah betee hain rasoolullaah sallallaahu alaihi vasallam kee , yah beevee hain aleeyul murtaja kee , yah maan hain hasan aur husain kee . 

yah faatima zahara hain , jannat kee beebiyon kee saradaar . kabr se aavaaz aaee : ai aboo zar , kabr hasab nasab bayaan karane kee jagah nahin hai . yahaan to nek aamaal ka zikr karo . 

yahaan to vahee aaraam paega jis ke aamaal nek hon aur jis ka dil musalamaan ho . ( mishkaatul anavaar , guldaste tareekat ) 

hazarat abbaas bin abdul muttalib raziyallaahu taaala anhu hujoor sallallaahu alaihi vasallam ke sage chacha hain . islaam pahale la chuke the .badr mein majabooran kuffaar ke saath aae the . apanee hijarat ke din islaam jaahir kiya . aap aakhiree muhaajir hain . ( tafaseere naeemee )


 aboo taalib huzaroo sallallaahu alaihi vasallam kee hakkaniyat ke kail the . unhon ne hujoor sallallaahu alaihi vasallam kee badee khidamat kee hai . 

un ke eemaan ke baare mein mukhtaliph kaula hain . kuchh ulama kahate hain ki choonki unhon ne zabaan se kalima nahin padha tha is liye sharan unhen musalamaan nahin kaha ja sakata . ( taphaseere naeemee ) 


hazarat maula alee murtaja raziyallaahu anhu kee kitanee beeviyaan hueen hain aur unake naam kya hain?

hazarat maula alee murtaja raziyallaahu anhu kee nau beeviyaan hueen . aur unake naam yah hai.

(1) sayyida faatima zahara , 

(2) ummul baneen , 

(3) laila binte umme saood , 

(4) asma binte amees , 

(5) unaanah binte abil aas , 

(6) khaula binte jaaphar , 

(7) sahaba binte rabeeah , 

(8) umme- saeed binte arvah , 

(9) mahaya binte imaraul kaisa 

in beeviyon se baarah bete aur nau betiyaan huee jin mein se hazaraate hasanain , sayyada jainab , sayyida umme kulsoom hazarat phaatima zahara se hain . ( taphaseere naeemee ) 

 hazarat aayasha siddeeka radiyallaahu anha gumbade khazara mein hazarat phaarooke aazam raziyallaahu anhu ke dafn hone ke baad parde ke saath jaatee theen aur pharamaatee theen main umar se haya karatee hoon . ( taphaseere naeemee ) 

kis sahaabee ko hujoor nabee e kareem svalallaaho alaihi vasallam ne apana beta bana liya tha ?

hazarat jaida bin haarisa raziyallaahu anhu ko hujoore akadas sallallaahu alaihi vasallam ne aazaad karake apana beta bana liya tha . 

aap hujoor sallallaahu alaihi vasallam ke bade chaheete the yahaan tak ki aap ka shumaar ahale bait mein hota hai . ( taphaseere naeemee ) 


hujoore akadas sallallaahu alaihi vasallam ne hazarat beebee faatima zahara raziyallaahu anha ko haathee daant ke kangan pahanae . ( taphaseere naeemee ) 

hazarat aamina khaatoon ko baarahaveen zilahajj ko mina mein hamal thahara ki hazarat abdullaah shaitaanon ko kankariyaan maar ke aae aur beebee aamina ke saath soye . 

magar dar hakeekat vah rajab ka maheena tha jise kuphphaar ne us saal zilahajj karaar dekar haj kar liya tha . is hisaab se rabeeul abbal tak nau maah hote hain . ( tafaseere naeemee ) 


hujoor sallallaahu alaihi vasallam kee azdavaaj yaanee nabee e kareem svallallaahu alaihi vasallam apanee beeviyon ka maher kitana hota tha?

 hujoor sallallaahu alaihi vasallam kee azavaaj ka mehar paanch sau diraham tha jo aaj ke hisaab se takareeban saadhe chaar hajaar rupaye hota hai . ( taphaseere naeemee ) 


hazarat phaatima zahara radiallaahu anha ka mehar kitana tha ?

 hazarat phaatima zahara raziyallaahu anha ka mehar chaar sau miskaal yaanee dedh sau tola ya 1800 graam chaandee tha jis kee keemat aaj ke bhaav se takareeban bayaasee hazaar rupaye hotee hai . ( taphaseere naeemee ) 


 nabeeye kareem sallallaahu alaihi vasallam beebee khadeejatul kubara kee taraf se un ke intikala ke baad kurabaanee karaate the aur us ka gosht beebee saahiba kee saheliyon ko bhejate the . ( taphaseere naeemee ) 


kis sahaabee e rasool kee janaaja kee namaaz hamaare nabee e rahamat svalallaaho alaihi vasallam ne 70 baar padhee ?

hujoore akaram sallallaahu alaihi vasallam ne sayyidush shuhada hazarat ameer hamaza raziyallaahu anhu par (70) sattar baar naamaze janaaza padhee ki har shaheed ke janaaje ke saath un par namaaz padhee . ( taphaseere naeemee ) 


shaheede karabala hazarat imaame husain raziyallaahu anhu kee vilaadat kis san hijaree mein huee thee?

shaheede karabala imaame husain raziyallaahu anhu kee vilaadat shabaan san chaar hijaree kee paanchaveen taareekh mangal ke din madeene munavvara mein huee .

 kuchh ne shabaan san teen hijaree kee teesaree taareekh budh ka din bhee likha hai . ( taphaseere naeemee ) 


janaabe imaam husain raziyallaahu anhu chhah maheene mein paida hue .

 kisee aur ko yah sharph sirph hazarat eesa alaihissalaam ke siva nahin mila . ( taphaseere naeemee ) 


sarakaar shaheede karabala imaame husain raziyallaahu anhu har raat ek hazaar rakat namaaz padha karate the .

 ise aap ke saahib jaade hazarat imaam jainul aabideen raziyallaahu anhu ne rivaayat kiya hai . ( taphaseere naeemee ) 


 sarakaar imaame husain raziyallaahu anhu ne apanee tamaam umr mein pachchees haj ada kiye aur sab paidal . ( maktale imaam aboo ishaak asphahaanee )


janaabe imaame hasan raziyallaahu anhu ke bees beton mein se saat bete karabala kee jang mein shareek the in mein se paanch ne maidaane karabala mein shahaadat paee . ( maktale imaam aboo ishaak aspharaayanee ) 


maarak e karabala mein hazarat imaame aalee makaam sayyiduna imaame husain raziyallaahu anhu aur yazeed paleed kee phaujon ka anupaat kramashah bahattar aur tees hazaar tha . ( maktale imaam aboo ishaak asphahaanee )


 sayyiduna imaame husain raziyallaahu anhu ke ghode ka naam maimoon ya aur vah janaabe rasoolullaah sallallaahu alaihi vasallam ke ghodon mein sab se achchha tha . imaame aalee makaam kee shahaadat ke baad phuraat mein doob kar mar gaya . ( maktale imaam aboo ishaak aspharaayanee ) 


hazarat imaame husain raziyallaahu anhu ke shair yahaya bin hakam aur daravaaje ke nigahabaan asad hijaree the . ( maktale imaam aboo ishaak aspharaayanee ) 


 hazarat imaam husain raziyallaahu anhu kee shahaadat juma das muharram san 61 hijaree nisphunnahaar ke baad huee . shahaadat ke vakt umre shareeph 56 baras paanch maah paanch din thee . ( maktale imaam aboo ishaak aspharaayanee ) 


 aboo lahab kee laundee suvaiba ne hujoor sallallaahu alaihi vasallam ke alaava aap ke chacha sayyiduna hamaza raziyallaahu anhu ko bhee doodh pilaaya tha . ( nujhatul kaaree ) 


hazarat imaam jainul aabideen raziyallaahu anhu vaake karabala ke vaqt 24 saal ke the . mashahoor hai ki eeraan ke aakhiree taajadaar yajdujard kee betee hazarat shahar baano ke bal se hain . ( maktale imaam aboo ishaak aspharaayanee ) 


ahale sunnat ke ulama muhakkikeen jaise ki imaam jalaaluddeen siyootee , allaama ibne hajar heetamee , imaam kartabee , haaphiz shamsuddeen damishkee , kaazee aboo bakr ibnul arabee maalikee , 

shaikh abdul hak muhaddis dehalavee , maulaana abdul hak muhaajir madanee rahamatullahi alaihim ka yahee akeeda kaul hai ki hujoor sallallaahu alaihi vasallam ke maan baap donon yakeenan bila momin hain . 

imaam kartabee ne apanee kitaab tajakira mein likha hai ki hazarat aayasha siddeeka raziyallaahu anha ne pharamaaya ki hujoor sallallaah alaihi vasallam jab hajjatul vada mein ham logon ko saath lekar chale aur kee ghaatee par guzare to ranj aur gam mein doobe hue rone lage aur hujoor sallallaahu alaihi vasallam ko rota dekh kar main bhee rone lagee .

 phir hujoor sallallaahu alaihi vasallam apanee oontanee se utar pade aur kuchh der baad mere paas vaapas tashareef lae to khush khush muskuraate hue tashareef lae . 

main ne poochha ya rasoolallaah ! aap par mere maan baap kurabaan hon , kya baat hai ki aap ranj aur gam mein doobe hue oontanee se utare aur vaapas laute to khush khush muskuraate hujoor sallallaahu alaihi vasallam ne pharamaayaah main apanee maan hazarat aamina kee kabr kee jiyaarat ke liye gaya tha aur main ne allaah taaala se savaal kiya ki vah unhen zinda pharama de to allaah taaala ne unhen jinda farama diya aur vah eemaan le aaee . ( madaarikut tanjeel , jild 2 ) 


ameerul momineen sayyaduna imaamen hasan raziyallaahu anhu ibne sayyiduna maula alee karramallaahu taaala vajahahul kareem ko kitana baar zahar diya gaya tha?

 ameerul momineen sayyaduna imaamen hasan raziyallaahu anhu ibne sayyiduna maula alee karramallaahu taaala vajahahul kareem ko paanch baar zahar diya gaya magar asar na kiya . 

chhatee baar ke zahar ne aap ke jigar ko tukade tukade kar diya . ( same sanaabil shareeph ) 

 ek rivaayat mein hai ki hujoor sallallaahu alaihi vasallam apane maan baap kee kabron ke paas bahut roe aur ek khushk darakht jameen mein bo diya aur to faramaaya agar yah darakht hara ho gaya to yah is baat kee nishaanee hogee ki in donon ka eemaan laana mumakin hai . chunaanche vah darakht hara ho gaya .

 phir hujoor sallallaahu alaihi vasallam kee dua kee barakat se vah donon apanee kabron se nikal kar islaam lae aur phir apanee apanee kabron mein chale gae . ( seeratul mustapha ) 

 ek din hujoor sallallaahu alaihi vasallam ne dekha ki ummul momineen hazarat saphiyya raziyallaahu anha ro rahee hain . aap ne rone ka sabab poochha . 

unhon ne kahaah ya rasoolallaah sallallaahu alaihi vasallama hazarat aayasha aur hazarat hafasa ne yah kaha hai ki ham donon tum se baaragaahe rasaalat mein zyaada ijzatadaar hain kyonki hamaara khaanadaan hujoor sallallaahu alaihi vasallam se milata yah sun kar hujoor sallallaahu alaihi vasallam ne pharamaayaah ai saphiyya tum ne un donon se yah kyon na kah diya ki tum donon mujh se behatar kaise ho ho  sakatee ho jab ki hazarat haaroon alaihissalaam mere baap hain aur hazarat moosa alaihissalaam mere chacha hain aur muhammadur rasoolullaah sallallaahu alaihi vasallam ) mere shauhar hain . ( jurakaanee , jild 2 ) 


janaabe imaam husain raziyallaahu anhu kee karabala kee aakhiree namaaj . jo khanjar tale ada huee vah khaas kaabe mein laakhon namaazon se afazal hai . ( maktale imaam aboo ishaak aspharaayanee ) 


hazarat maula alee raziyallaahu anhu pharamaate hain ki hazarat hasan seene mein lekar sar tak rasoolullaah sallallaahu alaihi vasallam se bahut zyaada ham shakl | 

hain aur hazarat husain neeche ke badan mein hujoor sallallaahu alaihi vasallam se mushaavah hai yaanee hamashakl. ( maktale imaam aboo ishaak asphahaanee ) 


 rasoole paak sallallaahu alaihi vasallam ka irashaade giraamee hai : allaah se muhabbat karo kyonki vah tumhen neamaten dekar paravarish karata hai aur is muhabbat kee vajah se mujh se muhabbat karo aur meree muhabbat kee vajah se mere ahale bait se bhee . ( tafaseere naeemee ) 

 hazarat aboo zar giphaaree raziyallaahu anhu kaabe ka halka pakade kah rahe theh main ne hujoore aqadas sallallaahu alaihi vasallam se suna hai aap farama rahe the ki mere ahale bait kee misaal aisee hai jaise hazarat nooh alaihissalaam kee kashtee , jo shakhs is mein savaar ho gaya vah doobane se bach gaya aur jo rah gaya vah doob gaya . ( nujhatul karee ) 

 hazarat aayasha siddeeka raziyallaahu anha ka bayaan hai ki rasoolullaah sallallaahu alaihi vasallam ne pharamaaya main ne tum ko khvaab mein teen baar dekha .

 tum ko ek resham ke tukade mein rakh kar ek pharishta laaya karata aur kahata yah aap kee jeeja hain . main dil mein kahata ki agar yah allaah kee taraph se hai to poora ho kar rahega . ( bukhaaree shareeph )

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How many varieties of Ahle Bait are there?

 Three types of Ahle Bait have been described.

 (1) The first variety, Asle Ahle Bait, consists of thirteen nafars, nine azwaje mutahihrat and four sahib zadian.

 (2) The second type of admission is Ahle Baita, these are three nefars. Sayyiduna Maula Ali Murtaza, Sayyiduna Imam Hassan and Sayyiduna Imam Hussain Rizwanullahi Ta'ala Alahim Ajmain.

 (3) The third variety is Lahike Ahle Bait. That is, those people whom Allah Ta'ala has completely cleansed from impurity and sins and has bestowed upon them great taqwa and purity, whether they are Sadat or other than Sadat like Hazrat Salman, the Persian Raziyallahu Anhu. (Shamay Sanabil Sharif)


 Rasulullah sallallaahu 'alaihi wa sallam has two types of Aal. (1) One Nasabi such as the children of Hazrat Zafar and Aqeel bin Abi Talib and the children of Abbas Raziallahu Anhu and Haris bin Abdul Muttalib and Aliye Murtaza and the children of you, Razialla Anhum.

 (2) The second subbi that every Muttaki Muslim is included in the prayer of Rasulullah Sallallahu Alaihi Wasallam. (Shamay Sanabil Sharif)

 Rasool khuda sallallahu alayhi wa sallam himself used to compete with his beloved wife Hazrat Ayesha Siddiqa Raziallahu Anha in a race to please them and to train the Sahaba. (Tafseer Naimi)


 Huzur sallallahu 'alaihi wa sallam said Hasan and Husain,

 Both are swords of Arsh. (Tafseer Naimi)


  When Imam Hussein Raziallahu Anhu would pick up his maternal grandfather, huzoor sallallahu 'alaihi wa sallam in his arms and say, "Death to the one on whom I have sacrificed my son."


  Ummul Mominen lived 47 years after the death of Hazrat Ayesha Siddiqa Raziallahu Anha Rasool Kareem Sallallahu Alaihi Wasallam.


  Hazrat umme salma radiallahu anha azwaje is one of the mutahihrat. His name was Ramlah.

 Huzur sallallahu 'alaihi wa sallam had bestowed upon him the sky of Karbala, which had become prominent during the martyrdom of Hazrat Sayyiduna Imam Hussein. At the time of Visal, he was 84 years old.


 Hazrat Abu Huraira Raziallahu Anhu performed the funeral prayer. He was buried in Jannatul Bakia. There are 378 hadiths from these. (Nuzhatul Qari)


 In which year Hijri was the ruling of the curtain revealed in Islam?

 The verse of the purdah was revealed on Huzur Sallallahu Alaihi Wasallam after the marriage of Hazrat Umm Salma. (Tafseer Naimi)


 What is the name of the one who accuses Hazrat Ummul Momineen Sayyida Ayesha Siddiqa Radi Allahu Anha?

  In fact, the one who imposed a burden on Hazrat Ayesha Siddiqa Raziallahu Anha was Malun Abdullah bin Ubai. (Tafseer Naimi)

 Can only women eat the food of Hazrat Bibi Fatima Raziallahu Anha's Fatiha, cannot men eat it?


 Men can eat the food of Fatiha of Hazrat Bibi Fatima Raziallahu Anha, there is no belief in this Shariat.


 Hazrat Umm Fazl Raziallahu Anha saw in a dream that a piece of Pak was placed in his lap in the form of Rasulullah Sallallahu Alaihi Wasallam.

 Huzoor Akdas sallallahu 'alaihi wa sallam said that Fatima's son will be born and you will give him milk.

 It so happened that Sayyiduna Imam Hussain Raziallahu Anhu was born and Hazrat Umm Fazl gave him milk. (Tafseer Naimi)

 Who is Hazrat Muhammad bin Hanfia Raziallahu Anhu?

 Hazrat Muhammad bin Hanfia Raziallahu Anhu was the son of Hazrat Maula Ali Murtaza 'Karramallahu Ta'ala Wahahul Karim. Hazrat Ali used to send Muhammad bin Hanfia to wars in his tour of the caliphate, making him a soldier of the army.


 Someone said to Muhammad bin Hanfia that your father does not send Ali Hasan or Hussein on a fight, 'You always push yourself to death.

  Muhammad bin Hanfia said: Hassan and Hussain are the eyes of my father's father and I am by his side. The work of the eye is different and the work of the side is different.

 The father of Hazrat Muhammad bin Hanafia Raziallahu Anhu is Khula binte Zafar and is called Hanafia.

 The reason for this is that Hanif, the famous clan of Yamama, had the spectacles of the lamp.

 Hazrat Muhammad bin What is the virtue of Hanafia?

 Hazrat Muhammad bin Abul Qasim is the Kuniyat of Hanfia. Huzoor Akdas sallallahu 'alaihi wasallag had given his blessings to Maula Ali and had also given his name, fame and character. There is a firqa of the Rafazis who consider them to be Imam Barhak.

 They believe that he is alive and hidden in Jabal Rizay with his forty chiefs, Ashab, and this is the Mehdi the world is waiting for. (Tafseer Naimi and Guldaste Method)

 When Hazrat Bibi Fatima Zahra Raziallahu Anha was being brought down in the grave, Hazrat Abu Zar Gifari Raziallahu Ta'al Anhu said in Joshe Gham, O grave, you have some news too, this is the daughter of Rasulullah Sallallahu Alaihi Wasallam, this mother is the wife of Aliyul Murtaza Hassan and Hussain.

 This is Fatima Zahra, the chieftain of the wives of paradise.

 A voice came from the grave: O Abu Zar, the grave is not a place to narrate Hasab Nasab. Here, mention the good deeds.

 Here only one will find comfort whose actions are righteous and whose heart is Muslim. (Mishkatul Anwar, Guldastai Tarikat)

 Hazrat Abbas bin Abdul Muttalib Raziallaahu Ta'ala Anhu is a close uncle of Huzur Sallallahu Alaihi Wasallam. Islam had been brought earlier. In Badr, they were forced to come with Kuffar. Revealed Islam on the day of his Hijrat. You are the last servant. (Tafseer Naimi)


  Abu Talib was a supporter of the Haqqaniyya of Huzru sallallahu 'alaihi wa sallam. He has done great service to Huzoor sallallahu 'alaihi wa sallam.

 There is a lot of knowledge about their faith. Some Ulama say that since they did not read the Kalima with their tongue, they cannot be called a Muslim. (Tafseer Naimi)


 How many wives did Hazrat Maula Ali Murtaza Raziallahu Anhu have and what are their names?

 Hazrat Maula Ali Murtaza Raziallahu Anhu had nine wives. And this is his name.

 (1) Sayyida Fatima Zahra,

 (2) Ummul Bunin,

 (3) Laila binte Umme Saud,

 (4) Asma binte Amis,

 (5) Unanah binte Abil Aas,

 (6) Khaula binte Zafar,

 (7) Sahaba binte Rabiyah,

 (8) Umm-Saeed binte Arwah,

 (9) Mahaya Binte Imraul Kaisa

 Twelve sons and nine daughters were born to these wives, of whom Hazrat Hasnain, Sayyida Zainab, Sayyida Umm Kulsoom were from Hazrat Fatima Zahra. (Tafseer Naimi)

  Hazrat Ayesha Siddiqa Radiyallahu Anha Gumbade used to go to Khazra after the burial of Hazrat Farooq Azam Raziallahu Anhu with a curtain and used to say that I am sorry for Umar. (Tafseer Naimi)

 Which sahabi was adopted by Huzoor Nabi-e-Kareem swallallaho 'alaihi wa sallam as his son?

 Hazrat Zaid bin Harisa Raziallahu Anhu was freed by Huzoor Akdas Sallallahu Alaihi Wasallam as his son.

 You were a great favorite of Huzur Sallallahu Alaihi Wasallam, even you are included in Ahle Bait. (Tafseer Naimi)


 Huzoor Aqdas Sallallahu Alaihi Wasallam donning ivory bracelets to Hazrat Bibi Fatima Zahra Raziallahu Anha. (Tafseer Naimi)

 Hazrat Amina Khatoon was attacked in Mina on the twelfth Zilhajj that Hazrat Abdullah came after pelting the devils with stones and slept with Bibi Amina.

 But in reality it was the month of Rajab, which Kuffar had performed Hajj that year by calling it Zilhajj. Accordingly, there are nine months till Rabi-ul-Abbal. (Tafseer Naimi)


 Huzoor sallallahu alayhi wa sallam ki azdwaz i.e. Nabi-e-Kareem sallallahu alayhi wa sallam How much was the favor of his wives?

  The Mehr of the prayer of Huzur Sallallahu Alaihi Wasallam was five hundred dirhams, which according to today is about four and a half thousand rupees. (Tafseer Naimi)


 How much was the mercy of Hazrat Fatima Zahra Radiallahu Anha?

  The Mehr of Hazrat Fatima Zahra Raziallahu Anha was four hundred miskal i.e. one and a half hundred tolas or 1800 grams of silver, which is worth about eighty two thousand rupees from today's price. (Tafseer Naimi)


  Prophet Kareem sallallaahu 'alaihi wa sallam used to make sacrifices on behalf of Bibi Khadijatul Kubra after his death and sent his meat to the friends of Bibi Sahiba. (Tafseer Naimi)


 Which Sahabi-e-Rasool's funeral prayer was recited 70 times by our prophet-e-rehmat swallallaho alayhi wa sallam?

 Huzoor Akram sallallahu 'alaihi wa sallam recited prayers on Sayyidush Shuhda Hazrat Amir Hamza Raziallahu Anhu (70) seventy times that he offered prayers on him with each martyr's funeral. (Tafseer Naimi)


 In which year Hijri did the martyrdom of Karbala Hazrat Imam Hussain Raziallahu Anhu take place?

 The death of Shaheed Karbala Imam Hussain Raziallahu Anhu took place on the fifth day of Sha'ban Sun 4 Hijri in Medinae Munawwara on a Tuesday.

 Some have even written the third date of Sha'ban Sun three Hijri as the day of Mercury. (Tafseer Naimi)


 Janabe Imam Hussain Raziallahu Anhu was born in six months. No one else got this sharf except Hazrat Isa Alaihis Salam. (Tafseer Naimi)


 Sarkar Shaheed Karbala Imam Hussain Raziallahu Anhu used to offer one thousand rak'at prayers every night. This is narrated by your Sahib Jade Hazrat Imam Zainul Abidin Raziallahu Anhu. (Tafseer Naimi)



  Sarkar Imam Hussain Raziallahu Anhu performed twenty-five Hajj in his entire age and all on foot. (Maktale Imam Abu Ishaq Asfahani)


 Out of twenty sons of Janabe Imam Hasan Raziallahu Anhu, seven were involved in the battle of Karbala, out of which five attained martyrdom in the plain of Karbala. (Maktale Imam Abu Ishaq Asfrayani)


 The proportions of the forces of Imam Ali Maqam Sayyiduna Imam Husain Raziallahu Anhu and Yazid Palid in Marak-e-Karbala were seventy two and thirty thousand respectively. (Maktale Imam Abu Ishaq Asfahani)


  The name of the horse of Sayyiduna Imam Hussain Raziallahu Anhu was Maimoon and he was the best among the horses of Janabe Rasulullah Sallallahu Alaihi Wasallam. After the martyrdom of Imam Ali Maqam, he died by drowning in the fury. (Maktale Imam Abu Ishaq Asfrayani)


 The poet of Hazrat Imam Hussain Raziallahu Anhu was Yahya bin Hakam and Asad Hijri, the watchman of the door. (Maktale Imam Abu Ishaq Asfrayani)


  The martyrdom of Hazrat Imam Hussain Raziallahu Anhu took place after Jummah ten Muharram in 61 Hijri Nisfunnahar. At the time of martyrdom, the age of Sharif was 56 years five months and five days. (Maktale Imam Abu Ishaq Asfrayani)


  Abu Lahab's maid Suwaiba gave milk to Huzur Sallallahu Alaihi Wasallam and your uncle Sayyiduna Hamza Raziallahu Anhu. (Nuzhatul Qari)


 Hazrat Imam Zainul Abidin Raziallahu Anhu was 24 years old at the time of Karbala. It is famous that the daughter of the last crown prince of Iran, Hazrat Shahar Bano, is from the force. (Maktale Imam Abu Ishaq Asfrayani)


 Ulama Muhaqqikin of Ahle Sunnah such as Imam Jalaluddin Syuti, Allama ibn Hajar Hitami, Imam Qartabi, Hafiz Shamsuddin Damishqi, Qazi Abu Bakr Ibnul Arabi Maliki, Shaykh Abdul Haq Muhaddis Dehlvi, Maulana Abdul Haq Muhajir Yahi Madani Rahmatullah 

It is said that both the parents of Huzoor Sallallahu Alaihi Wasallam are definitely true believers.

 Imam Qartabi has written in his book Tajkira that Hazrat Ayesha Siddiqa Raziallahu Anha said that when Huzur Sallalla Alaihi Wasallam took us with us in Hajjatul Wadaa and passed through the valley of Ki, he started crying in tears and sorrow and Huzur Sallallahu Alaihi Seeing Vasallam crying, I also started crying.

  Then Huzoor sallallahu 'alaihi wa sallam got down from his camel and after sometime brought back the tasreef to me and then brought the tashreef smiling happy.

 I asked or Rasulullah! May my parents be sacrificed on you, what is the matter that you came down from the camel soaked in pimple and sorrow and returned, smiling happy and happy, Huzur Sallallahu Alaihi Wasallam said: I had gone to the grave of my mother Hazrat Amina and I asked Allah Ta'ala to make her alive, then Allah Ta'ala made her alive and she came to believe. ( Madarikut Tanzil , Volume 2 )


 Amirul Mominen Sayyiduna Imam Hasan Raziallahu Anhu Ibn Sayyiduna Maula Ali Karramallahu Ta'ala Wahahul Kareem How many times was poisoned?

  Amirul Mominen Sayyiduna Imam Hasan Raziallahu Anhu Ibn Sayyiduna Maula Ali Karramallahu Ta'ala Wahahul Karim was poisoned five times but to no avail.

 The poison of the sixth time broke your liver into pieces. (Same Sanabil Sharif)

  There is a narration that Huzoor sallallahu 'alaihi wa sallam cried a lot near the graves of his parents and sowed a dry tree in the ground and said that if this tree turns green, it will be a sign that it is possible for both of them to believe. . Thus the tree turned green.

  Then with the blessings of Huzur Sallallahu Alaihi Wasallam, both of them came out of their graves and brought Islam and then went to their respective graves. (Siratul Mustafa)

  One day Huzoor sallallahu 'alaihi wa sallam saw that Ummul Momineen Hazrat Safiyya Raziallahu Anha was crying. You asked the reason for crying.

 They said: Ya Rasulullah sallallahu 'alaihi wa sallam, Hazrat Ayesha and Hazrat Hafsa have said that both of us are more respected in Bargah Rasalat than you because on hearing that our family meets Huzur sallallahu alayhi wa sallam, 

Huzoor sallallahu alayhi wa sallam said: Why didn't you tell both of them that how can you both be better than me when Hazrat Haroon Alaihis Salam is my father and Hazrat Musa Alaihis Salam is my uncle and Muhammadur Rasulullah Sallallahu Alaihi Wasallam) is my husband. (Jurkani, Volume 2)


 Last prayer of Karbala of Janabe Imam Hussain Raziallahu Anhu. That which is paid under the dagger is better than the lakhs of prayers offered in the special Qaaba. (Maktale Imam Abu Ishaq Asfrayani)


 Hazrat Maula Ali Raziallahu Anhu says that Hazrat Hasan from chest to head is much more than Rasulullah Sallallahu Alaihi Wasallam.

 and Hazrat Hussain is in the lower body with Huzoor sallallahu alayhi wa sallam, i.e., lookalike. (Maktale Imam Abu Ishaq Asfahani)


  Rasool Pak sallallahu 'alaihi wasallam's message is: Love Allah because He blesses you and brings you up and love me because of this love, and because of my love you also love me. (Tafseer Naimi)

  Hazrat Abu Zar Gifari (Raziallahu 'anhu) was saying: I have heard from Huzoor Aqdas (peace and blessings of Allaah be upon him) that you were saying that the example of my Ahle Bait is like the boat of Hazrat Noah Alaihis Salam, the person who boarded it Survived the drowning and what remained was drowned. (Nuzhatul Qari)

  Hazrat Ayesha Siddiqa Raziallahu Anha narrates that Rasulullah sallallahu alayhi wa sallam said I saw you thrice in a dream. Putting you in a piece of silk, an angel would bring you and say this is your brother-in-law. I would say in my heart that if it is from Allah, it will be fulfilled. (Bukhari Sharif)

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