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आशूरा की फ़ज़ीलत, Ashura Ke Din Ki Fazilat Hindi Mein, Youme Ashura Ki Fazilat Wa Masail
Ashura Ki dua in hindi ashura आशूरा की दुआ इन हिन्दी
आशूरा के दिन खैरात की फजीलत
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बिस्मिल्ला हिर्रहमानिर्रहीम।
- या काबिलुत तौबति आदमा यउमा आशूराआ ,
- या फारिजा करबि जिन्नूनी यउमा आशूराआ ,
- या जामिया शमलि यअकू़बा यउमा आशूराआ ,
- या सामिआ़ दअ़वति मूसा व हारूना यउमा आशूराआ ,
- या मुगी़सा इब्राहीमा मिनन नारी यउमा आशूराआ ,
- या राफिआ़ इदरीसा इलस समाई यउमा आशूराआ ,
- या मुजीबा दअवति स्वालिहिन फिन नाक़ति यउमा आशूराआ ,
- या नासिरा सय्यदना मोहम्मदिन स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम यउमा आशूराआ , या रहमानुद दुनिया वल आखिरति या रहीमुहुमा स्वल्ले अला सय्यदना मोहम्मदिंव व अला आली सय्यदना मोहम्मदिंव स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम
- व स्वल्ले अला जमीइल अम्बियाई वल मुरसलीना वक़दि हाजातिना फिद दुनिया वल आखिरति व अतिल उमरना फी ताअतिका व मोहब्बतिका व रिदाका व अहयिना हयातन त्वय्यिबतन व तवफ्फना अलल ईमानी वल इस्लामी बिरहमतिका या अरहमर राहमीन ।
- अल्ला हुम्मा बिइज्जिल हसनी व अखीही व उम्मिही व अबीही व जद्दिही व बनीही फर्रिज अ़न्ना मा नहनू फीह।
फिर सात (7) बार यह दुआ पढ़ें। ashura ki dua
सुब्हानल्लाहि मिल अल मीजा़नी व मुन्तहल इल्मी
व मबलगर रिदा व जी़नतल अरशी ला मलजाआ
वला मनजाआ मिनल लाही इल्ला इलैही सुब्हानल्लाहि
अद दश शफई वल वितरी व अद दा कलिमातिल लाहीत ताम्मती
कुल्लिहा नसअलुकस सलामता बिरहमतिका या अरहमर राहमीन
वहुवा हसबुना व निअमल वकीली निअमल मौला व निअमन नसीर ।
वला हौला वला कुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलीय्यिल अजीम
व स्वलल्लाहो तआला अलैहि व अला आलिही व अस्हाबिही व अलल मोमिनीना वल मोमिनात
वल मुस्लीमीना वल मुस्लिमाती अददा ज़र्रातिल वुजुदी
व अददा मअलूमातिल लाही वल हम्दु लिल्लाही रब्बिल आलमीन।
Ashura Ki dua in Arabic
Ashura Ki dua in Arabic |
Aashura ki dua Arabic |
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bismilla hirrahamaanirraheem.
ya kaabilut taubati aadama yauma aashooraa ,
ya phaarija karabi jinnoonee yauma aashooraa ,
ya jaamiya shamali yaakooba yauma aashooraa ,
ya saamia davati moosa va haaroona yauma aashooraa ,
ya mugeesa ibraaheema minan naaree yauma aashooraa ,
ya raaphia idareesa ilas samaee yauma aashooraa ,
ya mujeeba daavati svaalihin phin naaqati yauma aashooraa ,
ya naasira sayyadana mohammadin svalallaaho alaihi vasallam yauma aashooraa ,
ya rahamaanud duniya val aakhirati ya raheemuhuma svalle ala sayyadana mohammadinv va ala aalee sayyadana mohammadinv svalallaaho alaihi vasallam va svalle ala
jameeil ambiyaee val murasaleena vaqadi haajaatina phid duniya
val aakhirati va atil umarana phee taatika va mohabbatika va ridaaka va ahayina hayaatan
tvayyibatan va tavaphphana alal eemaanee val islaamee birahamatika ya arahamar raahameen .
alla humma biijjil hasanee va akheehee va ummihee va abeehee
va jaddihee va baneehee pharrij anna ma nahanoo pheeh.
phir saat (7) baar yah dua padhen.
subhaanallaahi mil al meejanee va muntahal ilmee va mabalagar rida
va jeenatal arashee la malajaa vala manajaa minal laahee
illa ilaihee subhaanallaahi adadash shaphee val vitaree va adada kalimaatil laaheet taammatee
kulliha nasalukas salaamata birahamatika ya arahamar raahameen vahuva hasabuna va niamal vakeelee
niamal maula va niaman naseer . vala haula vala kuvvata illa billaahil aleeyyil ajeem va svalallaaho
taaala alaihi va ala aalihee va ashaabihee
va alal momineena val mominaat val musleemeena val muslimaatee adada zarraatil vujudee
va adada maaloomaatil laahee val hamdu lillaahee rabbil aalameen.
dua ashura in hindi full image HD Photos
dua ashura in hindi full image HD Photos |
10 muharram ko kiske naam se fatiha hota hai uska name
kya 10 muharram ko hi shahadat hui
Han 10 muharram ko hi shahadat hui thi jisme tharikhe tibri wa digar moarrkhin aour khud Imam zainul abedin ka kahna hai isse bada saboot aour Koi nahin hai ki khud imam e husain ke sahbzade ye kahe to shaq ki koi gunjaish nahi bachti
What is the start and time for Youm e Ashura namaz?
After namaz e fazar start time for
Youm e Ashura namaz?
And Ashura namaz after Zuhr
यौमे आशुरा' किस दिन को कहा जाता है।
इस्लामी महीने का पहला महीने के दस मोहर्रम के दिन को 'यौमे आशुरा' कहा जाता है।
आशूरा ( 10 वीं मोहर्रम ) का दिन अल्लाह के पसन्दीदा दिनों में से एक दिन है ।
इस दिन किए जाने वाले नेक आमाल व सदका - खैरात मकबूल होते हैं ।
इसीलिए सूफियाए किराम फरमाते हैं -
- जो आज के दिन किसी फ़कीर को सदका दे गोया उसने सारे फकीरों को सदका दिया ।
- जो आज के दिन किसी भूले - भटके की रहनुमाई करे , अल्लाह पाक उसके दिल को ईमान के नूर से रौशन फरमा देगा ।
- जो आज के दिन गुस्सा बर्दाशत कर ले , अल्लाह उसे अपने राजी ब रजा बन्दों में शामिल फरमाएगा ।
- जो आज के दिन किसी मिस्कीन की इज्जत अफजाई करे , अल्लाह पाक उसे कब्र में इज्जत व करामत से सरफराज़ फ़रमाएगा ।
- इसीलिए अल्लाह के रसूल स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया - जो आज के दिन यानी यौमे आशूरा के दिन अपने बाल - बच्चों पर खुले दिल से खर्च करे , अल्लाह पाक साल भर तक उसकी रोजी में बरकतें अता फरमाएगा ।
- बैहकी ने हज़रत सुफयान बिन ओयैना रदियल्लाहो अन्हो फरमाते हैं - हमने 50 साल तक इसका तजर्बा किया है ,यानी यौमे आशूरा के दिन अल्लाह के करम से हर साल रोजी में तरक्की पाई है ।
- जो आदमी आज के दिन यानी यौमे आशूरा के दिन इबादत की नियत से गुस्ल करे , मौत की बीमारी के अलावा कोई और बीमारी न पाए । जो सवाब की नियत से आज के दिन आंखों में सुर्मा लगाए , साल भर तक उसकी आंखों में कोई तकलीफ न हो ।
- जो आदमी आशूरा की रात इबादत में गुजारे और दिन में रोजा रखे , गोया उसने पूरे साल रोजा रखा ।
- जो आदमी आज के दिन किसी यतीम के सर पर शफकत व महब्बत से हाथ फेरे , उसकी ज़रूरत पूरी करे , अल्लाह पाक उसके हर बाल के बदले जन्नत में उसका दर्जा बलन्द फरमाएगा ।
- जो आज के दिन अपने रिश्तेदारों वगैरा से अच्छा बर्ताव करे वह जन्नत में हजरत यहया और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के साथ होगा । नुज्हतुल मजालिस
खुशनसीब हैं वह लोग जो इस महीने और दिन की कद्र करते हैं , खुराफात से ' बचते और इबादत व सदका - खैरात करते हैं ।
याद रखिए - ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं ।
आने वाला दुनिया में अपनी किस्मत साथ ले के आता है लेकिन जब जाता है तो आमाल के अलावा उसके साथ कुछ नहीं होता ।
अगर दुनिया से नेक आमाल का तोशा साथ लेकर जांएगे तो कब्र भी रौशन , हश्र में मुंह उजाला होगा वर्ना कब्र में अंधेरा और हश्र में मुंह काला होगा ।
इसलिए ताजियादारी की खुराफात से बचिए और नेक आमाल से , जिन का बयान हदीसों में आया है , अपने आमाल नामे को चमकाने की कोशिश कीजिए ।
इस दिन के रोजे के बारे में कहीं - कहीं , कुछ इलाकों में सुना जाता है कि आशूरा के दिन रोजा नहीं रखना चाहिए क्योंकि इस दिन यजीद की मां ने रोज़ा रखा था , यह बे बुनियाद बात है ।
अरे , इस दिन रोजा रखने की ताकीद तो हमारे प्यारे रसूल ने फ़रमाई , फिर किसी के रोज़ा रखने - ना रखने की बात ही क्या ? बल्कि हमारे आका ने तो मोहर्रम की 9 और 10 दोनों तारीखों में रोजा रखने की नसीहत फरमाई है ।
मौलाए ' करीम हमें अपने प्यारे रसूल के फरमान की रौशनी में आशूरा का रोज़ा रखने की तौफीक दे।आमीन
Youme Ashura Ki Fazilat Wa Masail
ashura ke roze ki fazilat हदीस शरीफ में आशूरा का रोजा रखने की फजी़लत
रखो और इसमें यहुदियों की मुखालिफत करो
इससे कब्ल या बाद में 1 दिन का
रोजा राखो
(मुसनद-इमाम-अहमद; जिल्द नम्बर1 सफा नम्बर 518)
हदीस: "मुझे अल्लाह पर यकीन है की"
यौमे आशूरा यानी (10 वीं मुहर्रम) का रोज़ा एक साल कब्ल (पहले) के गुनाह मिटा देता है"(मुस्लिम शरीफ हदीस नम्बर-1162)
गुजरिश: 9 और 10 मुहर्रम को ज़्यादा से ज़्यादा नेक काम करके इमामे हसन और इमामे हुसैन रदिअल्लाहु अन्हु को खिराजे अकीदत पेश करें
sunni 10 muharram ko roza kyu rakhte h
हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फरमाया आशूरा का रोज़ा रखना और उसके साथ 9 या 11 तारीख का रोज़ा रख लो और यहूदियों से मुशबिहत (उनके जैसा) ना करो (मुस्लिम शरीफ)
हुज़ूर पाक स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया जिसे आशूरा (10 मुहर्रम) के दिन रोजा रखा उससे दोजाख की आग टच न करेगा।(अनीसुल वाइज़ीन 221)
जो आशुरा के दिन गुस्ल करेगा इंशा अल्लाह वो तमाम साल बीमारियों से महफूज रहेगा(रुहुल बयान)
नोट: 10 मुहर्रम को यौमे आशूरा कहते हैं,
(1.) 10 मुहर्रमु आशूरा के दिन हज़रत
अय्यूब अलैहिस्सलाम की तकलीफ दूर की गयी
(2.) और 10 मुहर्रमु आशूरा के दिन हज़रत हज़रत युसुफ अलैहिस्सलाम गहरे कुंवे"से निकले गए" (मुक़ाशिफ़ातुल क़ुलूब)
(3.) 10 मुहर्रम आशूरा के दिन हज़रत यूनुस अलैहिस सलाम मछली के पेट"से निकाले गए"
(4.) 10 मुहर्रम आशूरा के दिन हज़रत याकूब अलैहिस्सलाम की बीनाई का जुआफ दूर हुआ। (मुक़ाशिफ़ातुल क़ुलूब)
आशूरा की फ़ज़ीलत :
आशूरा के मुबारक दिनों में अल्लाह ताअला की क़ुदरत और नेअमत की बहुत सी बड़ी बड़ी निशानिया ज़ाहिर हुई।
- यौमे आशूरा के दिन अर्श और कुरशी, लौह और कलम, आसमान और ज़मीन, चाँद और सूरज, और सितारे और जन्नत बनाए गए।
- यौमे आशूरा के दिन सब से पहली आसमान से ज़मीन पर बारिश हुई।
- यौमे आशूरा के दिन हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की तौबा क़बूल हुई।
- यौमे आशूरा के दिन हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम आसमान पर उठाये गए।
- यौमे आशूरा के दिन हज़रत नूह अलैहिस सलाम की कश्ती तूफ़ान के बाद सलामती के साथ जूदी पहाड़ पर पहुंची।
- यौमे आशूरा के दिन हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की विलादत हुई।
- यौमे आशूरा के दिन हज़रत याकूब अलैहिस्सलाम के अपने बेटे हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम से मुलक़ात हुई।
- यौमे आशूरा के दिन हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम मछली के पेट से निजा़त मिली।
- यौमे आशूरा के दिन हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम की तक़लीफ दूर की गई।
- यौमे आशूरा के दिन हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम गहरे कुवें से निकले गए।
- यौमे आशूरा के दिन हजरत मूसा अलैहिस्सलाम को फिरौन से निजा़त मिली और फिरऔन अपने लश्कर समेत दरिया में ग़र्क हो गया।
- यौमे आशूरा के दिन हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम की लग्ज़िश मुआफ़ हुई।
- यौमे आशूरा के दिन हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम को जिन्न वा इंसान पर हुकूमत अता हुई।
- यौमे आशूरा के दिन हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की विलादत हुई और इसी दिन आसमान पर उठाये गए।)
- यौमे आशूरा के दिन हज़रत इमाम हुसैन इब्न अली रदीअल्लाहु तआला अन्हु और आप के रूफ़का-ए-किराम ने मैदान कर्बला में ३ दिन के भूंके प्यासे रह कर इस्लाम की बक़ा वा तहफ़्फुज के लिए श़हादत का जाम नोश फ़रमाये।)
- यौमे आशूरा के दिन कयामत आएगी।)
- आशूरा के मुबारक दिन में मोमिन की इबादत क़ुबूल होती है, तौबा क़ुबूल होती है, दुआ क़ुबूल होती है।
इस लिए हम चाहते हैं के आशूरा के दिन को सही तरीक़े से इबादते इलाही करने में गुजरे और सच्चे तौबा करें और तमाम मोमिनो के लिए दुआ ए खैर करें।
हदीस ए नबवी से यौमे आशूरा की फजी़लत :- ashura ke din ki fazilat
- जो शख्स आशूरा के दिन ग़ुस्ल करे तो किसी मरज़ (बीमारी) में मुब्ताला न होगा सिवा ए मर्ज़ ए मौत के।
- जो शख्स आशूरा के रोज़ अस्मद का सुरमा आंखों में लगाये तो उसकी आंखें कभी नहीं दुखेगी।
- जो कोई आशूरा के दिन अपने अहलो अयाल पर नफ्का में वुसअत करेगा तो अल्लाह तआला उस पर पूरा साल वुसअत फरमायेगा।
- जो शख्स आशूरा के दिन यतीम के सर पर हाथ फेरेगा तो अल्लाह तआला उस के लिए यतीम के सर के हर बाल के बदले एक दरजा जन्नत में बुलंद फरमाएगा।
- आशूरा के दिन ग़ुस्ल करना, आँखों में सुरमा लगाना और अच्छा खाना पकाने खाना और क़सरत से ख़ैरात करना और मिस्किनों और यतीमो ख़्याल रखना सुन्नत है।
योमे आशूरा की कितनी रकात नमाज है?
आशूरा की नमाज कैसे पढ़ी जाए?
आशूरा की नमाज का सही तरीका और दुवा
शबे आशूरा की इबादत यानी 9 मोहर्रम की मगरिब के बाद की इबादत :-
(नम्बर 1) 2 रकअत नमाज पढ़ें।
हर रकात में सूरह अल-फातिहा के बाद 3 मरतबा सूरह अल-इखलास पढें।
इन्शा अल्लाह तआला उस नमाज़ को पढ़ने वाले की क़ब्र को क़यामत तक रोशन फरमाएगा।
(नम्बर 2) 4 रकअत नमाज़ एक सलाम से पढें।
हर रकात में सूरह अल-फातिहा के बाद 50 मरतबा सूरह अल-इखलास पढें।
(नम्बर 3) 4 रकअत नमाज़ एक सलाम से पढें।
हर रकात में सूरह अल-फातिहा के बाद 1 मरतबा आयतुल कुर्सी और 3 मरतबा सूरह अल-इखलास पढें।
नमाज के बाद बैठ कर 100 मरतबा सूरह अल-इखलास पढ़ें।
(नम्बर 4) 8 रकअत नमाज़ 2-2 रकात करके पढें।
हर रकात में सूरह अल-फातिहा के बाद 25 मरतबा सूरह अल-इखलास पढें।
फिर बैठ कर 70 बार 'अस्तगफार' और 70 बार दुरूद शरीफ पढें।
ashura ke din kya padhna chahiye |ashura ke din ki namaz | यौमे आशूरा की इबादत :
(नम्बर 1) 2 रकअत नफ़िल नमाज़ तहिय्यतुल वुज़ू पढें।
पहली रकात में सूरह फातिहा के बाद 3 बार सूरह अल-काफिरुन और दुसरी रकात में सूरह फातिहा के बाद 3 बार सूरह इखलास पढ़ें ।
(नम्बर 2) 4 रकअत नमाज़ एक सलाम से पढें।
पहली रकात में सूरह फातिहा के बाद सूरह अद-दुहा पढें, दूसरी रकात में सूरह आलम नशराह पढें, तीसरी रकात में सूरह अल-जिलजाल पढें और छोटी में सूरह अल-इखलास पढें।
इसे हुज़ूर नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को इसाले सवाब करें।
इस के बाद वही पर बैठ कर 41 मरतबा आयते करीमा पढें।
'ला इलाहा इल्ला अन्ता सुभहानका इन्नि कुन्तू मिनज़ ज़्वालिमीन।'
फिर सजदे में सर रख कर अल्लाह तआला से ईमान की सलामती की दुआ करें।
(नम्बर 3) 4 रकअत नमाज़ एक सलाम से पढें।
पहली रकात में सूरह फातिहा के बाद सूरह अल-काफिरुन पढें,
दुसरी रकात में सूरह अल-इखलास पढें, तीसरी रकअत में सूरह अल-फलक पढें और छोटी में सूरह अल-नास पढें।
इसे चारो ख़ुल्फ़ा ए राशिदीन रदिअल्लाहु तआला अन्हुमा को इसाले सवाब करें।
फ़िर बैठ कर 70 मरतबा 'हसबुनल्लाहु वा निअमल वकील निअमल मौला वा निअमन नसीर' पढें।
(नम्बर 4) 2 रकअत नमाज पढें।
हर रकात में सूरह अल-फातिहा के बाद 3 मरतबा सूरह अल-इखलास पढें।
इसे सैय्यदा फ़ातिमा ज़हरा रदिअल्लाहु तआला अन्हा को इसाले सवाब करें।
(नम्बर 5) 4 रकअत नमाज़ एक सलाम से पढें।
पहली रकात में सूरह फातिहा के बाद आयतुल कुर्सी पढें, दूसरी रकात में सूरह अल-तकासुर पढें, तीसरी रकात में सूरह अल- काफिरुन पढें और चौथी रकात में सूरह अल-इखलास पढें।
इसे इमामे हसन और इमाम हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हुमा की अरवाहे पाक को इसाले सवाब करें।
(नम्बर 6) 4 रकअत नमाज़ एक सलाम से पढें।
हर रकात में सूरह फातिहा के बाद 3 मरतबा सूरह अल-इखलास पढें।
इसे शोहदा ए कर्बला रदिअल्लाहु तआला अन्हुमा की अरवाहे पाक को इसाले सवाब करें।
(नम्बर 7) 4 रकअत नमाज़ एक सलाम से पढें।
हर रकात में सूरह अल-फातिहा के बाद 1 बार आयतुल कुर्सी और 3 मरतबा सूरह अल-इखलास पढें।
इसे अपने वालिदैन को इसाले सवाब करें।
इस के बाद 100 बार अस्तगफ़र और 100 बार दुरूद शरीफ़ पढें।
फिर 3 मरतबा ये दुआ पढें :-
अल्लाहुम्मा इनी असलुका बिहक़किल हसनी वा अखीही वा उम्मिही वा अबीही वा जद्दिही वा बनीही फरिज हम्मी मां आना फीही बिरहमतिका या अरहमर रहीमीन।
(नम्बर 8) 2 रकअत नमाज पढें।
हर रकात में सूरह अल-फातिहा के बाद 3 मरतबा सूरह अल-इखलास पढें।
इसे खुद अपना रूह को इसाले सवाब करें।
नमाज में अगर दूसरी सूरह याद न हो तो उसके बदले सूरह अल-फातिहा के बाद सूरह अल-इखलास या और कोई सूरह याद हो वो पढें।
किसी वजह से तमाम नमाज़ न पढ़ सके तो जितनी पढ़ सकते हैं उतनी ही पढें और फिर तिलावते कुरान, कलमा, ज़िक्र या दुरूद शरीफ पढ़ते रहे।
और अपने लिए और तमाम उम्मते मुस्तफा के लिए दुआ ए खैर और अपने आबा वा अजदाद और तमाम मरहूमीन के लिए दुआ ए मग़फिरत करें।
जिन की नमाज़ क़ज़ा हो गई हैं वो पहले जितनी मुमकिन हो उतनी क़ज़ा नमाज पढ़ने ले और कजा़ नमाज़ से बरिउज़ ज़िम्मा हो जाए।
कजा़ नमाज़ पढ़ने का तरीका जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करके कजा़ नमाज़ पढ़ने का तरीका जान सकते हैं।
और तौबा करके ये पक्का अहद करें के आइन्दा सब नमाज़ वक्त पर अदा करने की कोशिश करेंगे और नमाज़ के फुयूजो बरकात हासिल करते रहेंगे।
इस के बाद दुआ ए आशूरा जरूर पढें।
दुआ को पढ़ने वाला है इन्शा अल्लाह पूरा साल मौत से महफूज रहेगा।
ये दुआ है डाउनलोड करें इस लिंक से
दुआ ए आशूरा Dua e Ashura pdf free डाउनलोड
ashura ke roze ki fazilat आशूरा का रोजा हदीस शरीफ़ की नज़र में :-
हदीस ए नबवी :-
जो मुसलमान आशूरा के दिन रोजा रखेंगे उसके पूरा साल के गुनाह अल्लाह तआला मुआफ फरमायेगा।
बेहतर है के 2 दिन रोज रखे, 9 और 10 या 10 और 11.
मसला :- मोहर्रम के महीने में दो रोजा रखना सुन्नत है ।
अल्लाह तआला उसके हबीब (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)
और इमामे हुसैन रदिअल्लाहु तआला अन्हु और शोहदा ए कर्बला और अहले बैत के वसीले से
सब को मुकममल इश्के रसूल और फिर सब के ईमान की हिफाजत फरमाए और सब को नेक अमल करने की तौफीक और फिर आशूरा में सही तरीके़ से इबादत करने की तौफीक़
अता फरमाये और हर बुरी बिदअत और गुनाह से बचने की तौफीक़ अता फरमाए।
मैं और
सब को दुनिया वा आखिरत में कामयाबी और फिर सब की नेक जायज मुरादो को पूरी फरमाए।
आमीन।
Muharram month rule in Hindi
ashura ki dua in hindi shura surah ashura ki namaz ashura meaning in hindi ashura god ashura ki dua ashura 2021 आशूरा की दुआ इन हिंदी ashura ke roze ki fazilat ashura ke din ki fazilat ashura ke din kya padhna chahiye ashura ke din ashura ke din kya karna chahie ashura ke amal ashura ke din ki namaz ashura ke din ki dua
aashoora ( 10 veen moharram ) ka din allaah ke pasandeeda dinon mein se ek din hai .
is din yaani Ashura ke din kie jaane vaale nek aamaal va sadaka - khairaat makabool hote hain .
iseelie soophiyae kiraam pharamaate hain -
jo aaj ke din matlab Ashura ke din kisee fakeer ko sadaka de goya usane saare phakeeron ko sadaka diya .
jo aaj ke din matlab Ashura ke din kisee bhoole - bhatake kee rahanumaee kare ,
allaah paak usake dil ko eemaan ke noor se raushan pharama dega .
jo aaj ke din matlab Ashura ke din gussa bardaashat kar le , allaah use apane raajee ba raja bandon mein shaamil pharamaega .
jo aaj ke din matlab Ashura ke din kisee miskeen kee ijjat aphajaee kare , allaah paak use kabr mein ijjat va karaamat se sarapharaaz faramaega .
iseelie allaah ke rasool ne faramaaya - jo aaj ke din matlab Ashura ke din apane baal - bachchon par khule dil se kharch kare , allaah paak saal bhar tak usakee rojee mein barakaten ata pharamaega .
baihakee hazarat suphayaan bin oyaina radiyallaaho anho pharamaate hain - hamane 50 saal tak isaka tajarba kiya hai , allaah ke karam se har saal rojee mein tarakkee paee hai .
jo aadami aaj ke din matlab Ashura ke din ibaadat kee niyat se gusl kare , maut kee beemaaree ke alaava koee aur beemaaree na pae .
jo savaab kee niyat se aaj ke din matlab Ashura ke din aankhon mein surma lagae , saal bhar tak usakee aankhon mein koee takaleeph na ho .
jo aadamee aashoora ki raat ibaadat mein gujaare aur din mein roja rakhe , goya usane poore saal roza rakha .
jo aadamee aaj ke din matlab Ashura ke din kisee yateem ke sar par shaphakat va mahabbat se haath phere , usakee zaroorat pooree kare , allaah paak usake har baal ke badale jannat mein usaka darja baland pharamaega .
jo aaj ke din matlab Ashura ke din apane rishtedaaron vagaira se achchha bartaav kare vah jannat mein hajarat yahaya aur hazarat eesa alaihissalaam ke saath hoga . nujhatul majaalis
khushanaseeb hain vah log jo is maheene aur din matlab Ashura ke din kee kadr karate hain , khuraaphaat se bachate aur ibaadat va sadaka - khairaat karate hain . yaad rakhie - zindagee ka koee bharosa nahin .
aane vaala duniya mein apanee kismat saath le ke aata hai lekin jab jaata hai to aamaal ke alaava usake saath kuchh nahin hota .
agar duniya se nek aamaal ka tosha saath lekar jaayege to kabr bhee raushan , hashr mein munh ujaala hoga varna kabr mein andhera aur hashr mein munh kaala hoga .
isalie taajiyaa daaree ki khuraafaat se bachie aur nek aamaal se , jin ka bayaan hadeeson mein aaya hai , apane aamaal naame ko chamakaane kee koshish keejie .
is din ke roze ke baare mein kaheen - kaheen , kuchh ilaakon mein suna jaata hai ki aashoora ke din roza nahin rakhana chaahie kyonki is din yajeed kee maan ne roza rakha tha , yah be buniyaad baat hai .
is din roza rakhane kee taakeed to hamaare pyaare rasool ne faramaee , phir kisee ke roza rakhane - na rakhane kee baat hee kya ?
balki hamaare aaka ne to moharram kee 9 aur 10 donon taareekhon mein roja rakhane kee naseehat pharamaee hai .
maulae kareem hamen apane pyaare rasool ke pharamaan kee raushanee mein aashoora ka roza rakhane kee taufeek de.aameen
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Yaum E Ashura (10 Muharram) Ki Fazilat - Day of Ashura Importance
The day of Ashura (10th Muharram) is one of Allah's favorite days. The good deeds and good deeds performed on this day are Maqbool.
That's why Sufia Kiram says -
Whoever gives sadka to a fakir on this day, he has given sadka to all fakirs. Whoever leads a forgotten person on this day, Allah Pak will illuminate his heart with the light of faith.
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Whoever tolerates anger on this day, Allah will allow him to be included among his slaves. Whoever gives respect to a miskin on this day, Allah Pak will bless him with respect and grace in the grave.
That is why the Messenger of Allah said - Whoever spends this day with an open heart on his children, Allah will bless him for a whole year.
Baihaki Hazrat Sufyan bin Oyaina Radiyallaho Anho says - We have experienced this for 50 years, by the grace of Allah, we have been able to increase our livelihood every year.
The person who performs Ghusl on this day with the intention of worship, will not get any disease other than the disease of death.
Whoever applies surma in the eyes on this day with the intention of reward, there should be no problem in his eyes for a whole year.
The man who spent the night of Ashura in worship and fasted during the day, went
He fasted for the whole year. Whoever lays his hand on the head of an orphan on this day, fulfilling his need, Allah Pak will raise his status in Paradise for every hair of his.
who today Behave well with relatives etc.
He will be with Hazrat Yahya and Hazrat Isa Alaihis Salaam in Paradise. Nuzhatul Majalis
Blessed are those who value this month and day, 'avoiding food' and doing worship and charity.
Remember - life has no confidence. The one who comes in the world brings his luck with him, but when he leaves, nothing happens to him except the good.
If you take the gift of good deeds from the world with you, then the grave will also be illuminated, the face will be light in the face, otherwise the grave will be dark and the face will be black in the face.
Therefore, avoid treason and try to shine your name with good deeds, whose statement has come in the hadiths.
Somewhere, in some areas, it is heard about fasting on this day that fasting should not be done on Ashura day because Yazid's mother had fasted on this day, this is baseless.
Oh, on this day, our beloved Messenger has ordered to fast on this day, then what is the point of fasting or not fasting someone?
Rather, our master has advised to fast on both the 9th and 10th of Muharram. Maulaye 'Kareem, give us the ability to fast Ashura in the light of the decree of your beloved Messenger.Amen
On the day of Ashura,
it is written at Nuzhatul Majalis 1-147 that a man made seven dirhams of bail on the day of Ashura and waited for his return for a year but got nothing.
In the second year, on the day of Ashura, I heard that whoever donates one dirham, Allah Pak will give him one thousand dirhams in return for that one dirham.
On hearing this, he said - this is wrong, I am not ready to accept it. Last year on the day of Ashura, I did a seven dirham bailout,
but even after a whole year has passed, I have not received anything till date. When night came,
a man came to his house with seven thousand dirhams and said - Abbesbre man! take hold of it.
It would have been better for you if you had sun till the doom, everything could not have happened to you. Allah surely grants you. When?
It's his wish. sorry you
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