namaz e gausiya ka tarika

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Ya gaous paak almadad

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AAP padh rahe hain Islami knowledge in hindi

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नमाज ए गौसिया का तरीका, namaz e gausiya ka tarika, namaz e ghousia, namaz e gausiya, namaz e ghousia, namaz e ghousia ka tarika, namaz e gausiya ka tarika,

हज़रत गौसे पाक रदि अल्लाहु अन्हु का फ़रमान है कि किसी हाजत में अल्लाह सुब्हानहू  तआला की बारगाह में मेरा वसीला ( तवस्सुल ) करे तो उसकी वो हाजत पूरी हो जाती है ।

और जो शख़्स कुर्बे इलाही के लिए अपनी हाजत के वास्ते बाद नमाज़ मगरिब की सुन्नत के तोहफा पेश करने के लिए दो (2) रकात नमाज़ नफ़्ल पढ़ें जिसमें सूरह फ़ातिहा के बाद दोनों रकातों में सूरह इख्लास 11 बार पढ़े ( यानी कुल हुवल्लाहु अहद वाली सूरह पढ़ें ) 

फ़िर सलाम फेरने के बाद क़िब्ला के तरफ खड़े होकर 

एक बार (1) सूरह फ़ातिहा , 

एक बार (1) आयतुल कुर्सी 

और सात बार (7) दरूदे गौसिया पढ़ें ।

फ़िर मदीना शरीफ़ की तरफ़ मुँह करके (11) ग्यारह बार यह कहें। 

या रसूलल्लाही या नबीयल्लाही अगिस्नी वम दुदनी फ़ी क़दाई हाजति या काजि़यल कजाह ।

फिर ईराक़ की तरफ़ (11) ग्यारह क़दम चलें और हर कदम पर यह कहता जाए ।

या रसूलल्लाही या नबीयल्लाही अगिस्नी वम दुद्नी फ़ी क़दाई हाजति या काजि़यल कजाह ।

दरूदे गौसिया |Darude gausiya

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम : अल्लाहुम्मा स्वल्ले अला सैय्यदिना व मौलाना मोहम्मदिम् माअदनिल जूदी वल करम वा अला आलिही व अस्हाबिही व बारिक वसल्लिम . 

अस्माए गौसुल आज़म दस्तगीर क़द्दुस सिर्रुहू | asma e gausul aazam dastgir

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम : 

( 1 ) अल्लाहुम्मा स्वल्ले अला सैयदना मोहम्मदिन बिजमालिका वजमाली हबीबिका व नबीय्यिका व शफ़ीय्यिका सैय्यदना मोहम्मदिंव व अला आलेहि व अस्हाबिही व बारिक वसल्लम . अल्लाहुम्मा बइज़्ज़ति व हुरमति कुतबुल अकताब गौसुस सकलैन गौसुल आज़म हज़रत अल हस नीयू वल हुसैनी कुत्बे रब्बानी गौसुस समदानी महबूबे हक्कानी सर चश्मए सुल्तानी सुल्तान सैय्यद मुहिय्युद्दीन अब्दुल कादीर जीलानी कुत्बुल जिन्नी वल इन्सी वल मलाइकती कुद्दुस सिर्रहुल लाहुल अज़ीज़ि ।

( 2 ) इलाही बइज़्ज़ति व हुरमति कुतबुल अकताब गौसुस सकलैन गौसुल आज़म हज़रत शाह मोहिय्युद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी शैख़ुल जिन्न वल इन्स वल मलाइकती क़ुद्दुस सिरर्हुल अज़ीज़ । 

(3) इलाही बइज़्ज़ति व हुरमति कुतबुल अकताब गौसुस सकलैन गौसुल आज़म हज़रत शाह मोहिय्युद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी कुत्बुल बरीं वल बहरि क़ुद्दुस सिरर्हुल अज़ीज़ । 

(4 ) इलाही बइज़्ज़ति व हुरमति कुतबुल अकताब गौसुस सकलैन गौसुल आज़म हज़रत शाह मोहिय्युद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी कुत्बुल जुनूब वश्शिमाल क़ुद्दुस सिरर्हुल अज़ीज़ । 

( 5 ) इलाही बइज़्ज़ति व हुरमति कुतबुल अकताब गौसुस सकलैन गौसुल आज़म हज़रत शाह मौलाना मोहिय्युद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी कुत्बुल मशरिकैनि वल मगरिबैनि क़ुद्दुस सिरर्हुल अज़ीज़ । 

( 6 ) इलाही बइज़्ज़ति व हुरमति कुतबुल अकताब गौसुस सकलैन गौसुल आज़म हज़रत सय्यद शाह मोहिय्युद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी कुत्बुन्नुजूमि वश्शहावे क़ुद्दुस सिरर्हुल अज़ीज़ । 

( 7 ) इलाही बइज़्ज़ति व हुरमति कुतबुल अकताब गौसुस सकलैन गौसुल आज़म हज़रत औलिया ए शाह मोहिय्युद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी कुत्बुल अरदि वस्समा वाति क़ुद्दुस सिरर्हुल अज़ीज़ । 

( 8 ) इलाही बइज़्ज़ति व हुरमति कुतबुल अकताब गौसुस सकलैन गौसुल आज़म हज़रत ख़्वाजा मोहिय्युद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी कुत्बुल अरशी वल कुरसीय्यू क़ुद्दुस सिरर्हुल अज़ीज़ । 

( 9 ) इलाही बइज़्ज़ति व हुरमति कुतबुल अकताब गौसुस सकलैन गौसुल आज़म हज़रत दरवेश शाह मोहिय्युद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी कुत्बुल लौहि वल कलम क़ुद्दुस सिरर्हुल अज़ीज़ । 

( 10 ) इलाही बइज़्ज़ति व हुरमति कुतबुल अकताब गौसुस सकलैन गौसुल आज़म हज़रत फकीर वली शाह मोहिय्युद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी कुत्बुल फौकि वल अरदि व तह्तुस सरा क़ुद्दुस सिरर्हुल अज़ीज़ ।  

( 11 ) इलाही बइज़्ज़ति व हुरमति कुतबुल अकताब गौसुस सकलैन गौसुल आज़म हज़रत गरीबे मिस्कीनुम शाह मोहिय्युद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी राकिबुल मलाइकति साहिबुल मेरजी तॉबेउन्नबीय्यू स्वल्लल्लाहो अलैहे व अला आलेही व असहाबेही वसल्लम या हमाइलू , या लौमाइलू या त्वनाइलू बिहक्की या शैख़ अब्दुल्कादिर जीलानी शैइअन लिल्लाही या मोहम्मद इफ़्तहिल अब्वाबि अखबिरनी बिहक्की या बुद्दूहू- या बुद्दूहू अला इन्ना औलिया अल्लाहि ला खौफुन अलैहिम वला हुम यहज़नून बिरहमतिका या अरहमर राहमीन ला इलाहा इल्लल्लाहु मोहम्मदुर रसूलल्लाह।

गौसे आज़म सय्यद सरकार शैख मुहिय्युद्दीन अब्दुल कादीर जीलानी बग़दादी को नज्राना ए अकी़दत पेश करने के लिए इन अस्माँये मुबारक को पढ़ना चाहिए । इसके पढ़ने से आप रहमतुल्लाहि अलैह बेहद खुश होते हैं और बिन माँगे भी सब - कुछ दे देते हैं । 

या गौ़सुस सकलैन या करीमुत तरफैन अग़िसनी वा अमिदनी फी कजा़यी हाजती या का़दियल हाजात।

फिर (1) एक बार यह पढ़ें 

या बदीउस समावाती वल अर्दी या जुलज़लाली वल इकरामी बिजा़ही सय्यदिल मुरसलीन वा बिजाहिब्नी हाजहिस सय्यदिल करीमी गौसुसकलैन गौसुल आज़म रदि अल्लाहु अन्हु . 

फिर अपनी हाजत या मुराद या ज़रूरत की फरियाद अपनी परेशानियों का जिक्र करें।

फिर तीन (3) बार दरूद शरीफ़ पढ़ें। और आखिर में 

अस्सलातो वस्सलामु अला खातिमिन नबीय्यना वलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन ।

कह कर अपने हाथों को मुंह पर फेर लें इन्शाल्लाह बहुत जल्द काम बनते नज़र आंयेगे। इंशाल्लाहुल् अजीज मुराद पूरी होगी ही . आमीन ) 


सलातुल गौसिया के ताल्लुक से आलाहजरत का ईरशाद

सलातुल गौसिया आलाहजरत का आजमाया हुआ अमल अमल है जिससे फायदा भी हुआ हैं। जैसे कि उनके शेर से ज़ाहिर हैं।

आलाहजरत अलैहिरहमा फरमाते है:

इस आजीज़ बंदे का पसंदीदा है कि जिस शख़्स को कोई हाजत पेश हो चाहे वो दीनी हो या दुनियावी तो मगरिब की नमाज़ के बाद सुन्नतों के साथ 2 रकात “सलातुल असरार” की नियत से अल्लाह पाक की कुरबत और हुज़ूर गौस ए आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की रूह को इसाले सवाब के लिए पढ़े और उसके लिए नया वुजू करे तो नूर होगा ।

यानी वूजू रहने के बाद भी फिर से वूजू करना और फरमाते हैं। मुझे ये पसंद है कि सलातुल असरार पढ़ने से पहले कोई सदका़ करें क्यूं की ये अमल कामयाबी लाता है ।

और मुसीबतों के दरवाजे को खूब बंद कर देता है, और फिर मुझ बंदे को दुरुद गौसिया जो आपसे मरवी है पसंदीदा है और दु रुद ये है

अल्लाहुम्मा सल्ली अला मोहम्मदिम मदीनिल जूदी वल करामी वा अलैहि वसल्लम।

और फरमाते है आलाहजरत बग़दाद शरीफ़ की तरफ़ 11 कदम आदत के मुताबिक़ दरमियानी चलें (यानी नॉर्मल जिस तरह चला जाता है वैसे 11 कदम) बाज़ अव्वाम 3,4 अंगुस्त आगे बढ़ते है जबकि ये कदम का फासला नहीं बल्कि दरमियानी यानी आम तौर पर जैसा चला जाता है वैसे चले अगर जगह तंग यानी कम है तब छोटे छोटे कदम से 11 कदम करले और चलते वक़्त खुशु व कुजु, अदब और हैबत की कैफियत होनी चाहिए।

नमाज़ ए गौसिया अज़ आलाहजरत

वज़ीफ - ए - गौसिया 

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम : 

(1) रब्बी इन्नी मगलूबुन फन्तशिर ।

( 2 ) वजबुर क़लबियल मुनकसिर - वजमअ शम्लियल मुन्दस्विर ।

 ( 3 ) इन्नका अन्तर्रहमानुल मुक्तदिरु ।

( 4 ) इकफ़िनी या काफ़ियुहा वल् अब्दुल मुफ़्तकिर ।

( 5 ) ) वा क़फा बिल्लाहि वलीय्यंव वा कफ़ा बिल्लाहि नस्वीरा ।

( 6 ) इन्नश शिर्रका लजुल मुन् अज्वीम ।

( 7 ) व मल्लाहु यरीदु जुल्मल लिलइबादि । 

( 8 ) फकु़तिआ दाबिरूल कौमिल्लज़ीना ज्वलमू वल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल् आलमीन । 

( 9 ) अलमुही तुरंब्बवउश शहीदुल् हसीबुल फ़आलुल ख़ालिकुल बारिउल मुसव्विरु ।

( 10 ) या अल्लाहु - या रहमानू - या रहीमु - या हय्यू - या कय्यूम . 

नोट - हर वजीफे को आगे - पीछे यानी अव्वल आखिर दरूद शरीफ के साथ 11-11 बार पढ़ें ।

 दुआ ए गौसिया 

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम : 

वल हम्दु लिल्लाही बिस्मिल्लाही व शकूरल्लाह -

बिस्मिल्लाही वलमिन्नतुल्लाह -

बिस्मिल्लाहे वल मुल्कुल्लाह - 

बिस्मिल्लाही वल कुदरतुल्लाह - 

बिस्मिल्लाही वल अज़्मतुल्लाह - 

बिस्मिल्लाही वल सुल्तानुल्लाह - 

बिस्मिल्लाही वल बुरहानुल्लाह - 

बिस्मिल्लाही वल कह्हारुल्लाह - 

बिस्मिल्लाही वल नेअमतुल्लाह - 

बिस्मिल्लाही वल मजदिल्लाह - 

बिस्मिल्लाही वल अताउअल्लाह - 

बिस्मिल्लाही वल सनाउल्लाह - 

बिस्मिल्लाही व बिल्लाही वला हौला वला कुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलीय्यिल अज़्वीम बिरहमतिका या अरहमर्राहिमीन बिहक्कि सैय्यदना मोहम्मदिंव वा अला आलिही वा अस्हाबिही अजमईन 

अमल - ए - गौसिया ( हाजत के लिए ) 

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम : 

अल्ला हुम्मल का़फ़ी व तसद्दल का़फ़ी वा वज्जा दतुल का़फ़ी व लिकु़ल्ली का़फ़ी वा कफ्फ़ल का़फ़ी नेअमल का़फ़ी वा हुवल का़फ़ी व लिल्लाहिल हम्द । 

हर दीन व दुनियावी जरूरत और हाजत के लिए मुश्किलों के हल के लिए बाद नमाज़े  इशा सच्चे नियत और यकी़न के साथ दिल को सिर्फ अमल की तरफ रुजूअ करके 11-11 बार अव्वल - आखिर दरूद - ए - गौसिया पढ़ें ।

फिरर दरूद शरीफ के बीच में 41 इकतालीस बार इस अमल को पढ़ें ( ऊपर लिखे ) खत्म होने पर दुआ माँगें इसी तरीके से (11) ग्यारह दिन तक पढे़ं अगर (11) ग्यारह दिन में कामयाबी नहीं मिलती तो (41)इकतालीस दिन तक पढे़ं इंशा अल्लाह तआला अमल खाली नहीं जाएगा । आमीन । 

नोट :- पहले रोज़ अमल शुरू करने से पहले 3-3 बार आगे - पीछे दरूद पढ़ें । बीच में 3 बार सूरह अख्लास और एक बार सूरह फ़ातिहा पढ़कर नज़राना गौस पाक को पेश करें । फिर अमल शुरू करें । 

मुक़दमें में फ़तह के लिए

बिस्मिल्ला हिर्रहमानिर्रहीम : अस्सलातो वस्सलामो अलैइका या रसूलल्लाही अगिस्ना या गौसुस्सकलैनी अन्ता हक्कू़ मुनीबुल्लाही । 

जो किसी सख़्त मुक़दमें में फँस गया हो तो अगर वह ये दरूदे पाक को ज्यादा से ज्यादा विर्द करे तो इंशाल्लाह तआला फ़तह होगी । आमीन । )

सेहर व बला से निजात 

बिस्मिल्ला हिर्रहमानिर्रहीम 

अल्लाह स्वदरत इख़्वहिल्जिन्नी वल इन्सी व शायात्वीन व सहरति व इल्ला बिस्सति मिनल जिन्नी वल इन्सी व शयात्वीन व यलूज़िबिहिम बिल्लाहिल अजीज़िल अइज्ज़े व बिल्लाहिल कबीरिल अक्बरि बिरहमतिका या अरहमर्राहिमीन बिहक्की मोहम्मदिवं व आलेही वा असहाबिही अज्मईन । 

 हर नमाज़ के बाद 3 बार पढ़ कर दम करें । हर तरह की बला व सेहर से निजात मिल जाएगी । 

 हाजत के लिए मुजर्रब अमल | इस्तिखारा करने का तरीका

जब कोई मुश्किल दीनी या दुनियांवी पेश आए तो इशा की नमाज़ के बाद यह अमल मुबारक तिलावत करें । 

इसकी बरकत से इन्शा अल्लाह जल्द ही दिली मक़ासिद में कामयाबी मिलेगी । 

अमल मुबारक यह है  अव्वल व आख़िर 11-11 बार दरूद शरीफ बीच में 101 बार अमल शरीफ़ की तिलावत करें । 

 “ या शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी शैअन लिल्लाह "

इसके बाद हज़रत पीराने पीर दस्तगीर रदि अल्लाहु अन्हु.के वसीले से अल्लाह की बारगाह में अपने मक़सद की कामयाबी के लिए दुआ करें । इन्शाअल्लाह यह दुआ ज़रूर कुबूल होगी । अजमाया हुवा है । 

कठिनाई और तबाही का इलाज 

 जब कोई शख्स कठिनाई और तबाही के भंवर में फंस जाये तो इशा की नमाज़ के बाद यह वज़ीफ़ा सच्चे दिल से पढ़े एक सौ ग्यारह (111) बार पढ़ें । पहले और आखिर में ग्यारह - ग्यारह (11-11) बार दरूद शरीफ पढ़ें । 

" फहुक्मे नाफिजुन फी कुल्ली हालिन क़ौल है तेरा ।

 बदल दे मेरा हाले आर या महबूबे सुब्हानी । " 

इन्शाल्लाह तआला ग्यारह दिन के अन्दर मक़सद पूरा होगा । आमदनी के मुताबिक ग्यारह रुपया ग्यारह आना का पैसों की मिठाई पर हजरत गौस पाक रदि अल्लाहु अन्हु की नियाज़ फातिहा दिलाये और छोटे बच्चों को बाँट दै ।  

तोशा - ए - हुजूर सैय्यदना गौसे आज़म रदि अल्लाहु अन्हु सारे मक़ासिद के लिए मुफीद अमल 

यह तोशा अगर मुम्किन हो तो आधा पहले करे और आधा मकसद हासिल होने के बाद ।

मैदा , गेहूं , चीनी , घी , बादाम , पिस्ता , किश्मिश , नारियल , लौंग , इलायची , दालचीनी इन सब चीजों को हल्वे में शामिल करें ।

और फ़ातेहा देकर परहेज़गार लोगों को खिलाए और सब बावजू एहतियात के साथ खायें और बाद में मक़सद के लिए दुआ कराएं । 

इस्तिख़ारा - ए - गौसिया 

जब कोई मुहिम दरपेश हो और यह ना मालूम हो सके कि क्या किया जाये या ये मालूम करना हो कि फलां मक़सद पूरा होगा या नहीं ।

तो इसके लिये पहले वुजू करें फिर दो रकात नफ़िल नमाज़े इस्तिख़ारा पढ़ें 

फिर सलाम फेरने के बाद सूरह फ़ातिहा पढ़ें बिस्मिल्लाह शरीफ को हर बार पहले पढ़ें मतलब हर बार पहले बिस्मिल्ला हिर्रहमानिर रहीम पढ़ें फिर अलहमदु लिल्लाही रब्बिल आलमीन यानी सूरह फातिहा पूरा पढ़ें ।

फिर (11) ग्यारह बार सूरह इख्लास , और (11) ग्यारह बार कल्मा ए तम्जीद यानी सुब्हानल्लाही वल्हम्दु लिल्लाही वला इलाहा इल्लल्लाहू वल्लाहु अकबर वला हउला वला कूव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलीय्यिल अज्वी़म पढ़ें ।

फिर (11) ग्यारह बार या शैख़ अब्दुल कादिर अग़िस्नी पढ़ें फिर (2) दो रकअत नफ़िल इस तरह पढ़ें कि ।

पहली रकात में सूरह फ़ातिहा अलहम्दु लिल्लाही रब्बिल आलमीन अर्रहमानिर रहीम मालिकि यउमिद दीन इय्याका नअबुदू वा इय्याका नस्तईन तक पढ़कर आँखें बन्द कर लें और बदन को ढीला करके इहदिनस सिरातल मुस्तकी़म इतनी बार पढ़ता रहे कि चेहरा खुद ब - ख़ुद दाहिनी तरफ़ या बाएं तरफ़ घूम या फिर जाए ।

जब चेहरा दांये या बांये तरफ घूम जाये तो सूरह फ़ातिहा पूरी करें फिर और इसके बाद (10) दस बार सूरह फ़ातिहा  और पढ़कर (11) ग्यारह की तादाद पूरी करके सूरह इख्लास (11) ग्यारह बार पढ़ें , फिर रुकूअ करे और सज्दा करें । 

पहली रकात पूरी करके दूसरी रकात में सूरह फ़ातिहा (11) ग्यारह बार , सूरह इख्लास (11) ग्यारह बार , मामूली तौर पर पढ़कर रूकू व सज्दे और क़ायदा करके नमाज़ पूरी करें।

अगर इहदिनस सिरातल मुस्तकीम पढ़ते वक्त चेहरा दाहिनी तरफ घूम जाये तो काम हो जाएगा ।

और अगर बाएं तरफ़ घूम जाये तो ना होगा । 

ऐसी सूरत में मुसलसल ये अमल तीन दिन तक करने से चेहरा दाहिनी (दायां Right) तरफ़ फिर जाता है और काम हो जाता यह इस्तिखारा मुजर्रब और आज़माया हुआ है । ) 

अमल ए ख़ास बराए दूर होने मुश्किलात के  ruhani amal pareshani se nijat pane ka tarika

सख्त मुश्किल को दूर करने के लिए नीचे लिखे आस्माए मुबारक तिलावत करें । इन्शाल्लाह तआला जल्द ही वह मुश्किल आसान हो जाएगी ।

आस्माए मुबारक ये हैं 

इलाही बिहुर्मति सय्यद मुहिय्युद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी रदि अल्लाहु अन्हु।

इलाही बिहुर्मति शैख़ मुहिय्युद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी रदि अल्लाहु अन्हु।

 इलाही बिहुर्मति सुल्तान मुहिय्युद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी रदि अल्लाहु अन्हु। . 

इलाही बिहुर्मति कुतुब मुहिय्युद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी रदि अल्लाहु अन्हु। . 

इलाही बिहुर्मति गौस मुहिय्युद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी रदि अल्लाहु अन्हु। . 

इलाही बिहुर्मति मख़दूम मुहिय्युद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी रदि अल्लाहु अन्हु। .

 इलाही बिहुर्मति ख्वाजा मुहिय्युद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी रदि अल्लाहु अन्हु। .

 इलाही बिहुर्मति दर्वेश मुहिय्युद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी रदि अल्लाहु अन्हु। . 

इलाही बिहुर्मति गरीब मुहिय्युद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी रदि अल्लाहु अन्हु। . 

इलाही बिहुर्मति वली मुहिय्युद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी रदि अल्लाहु अन्हु। . 

इलाही बिहुर्मति खलील मुहिय्युद्दीन अब्दुल कादिर जीलानी रदि अल्लाहु अन्हु। .

तरकीब - नमाज़ मग़रिब के फर्ज अदा करने के बाद अव्वल आख़िर 11-11 बार दरूद शरीफ के बाद इन अस्मा ए मुबारक की 11 बार तिलावत करें । 

यह अमल जुमेरात से शुरू करें जब तक अपने मक़सद में कामयाबी न हो तब तक पढ़ते रहें । 

तिलावत के बाद मगरिब की सुन्नत अदा करें और रब्बे कदीर से अपनी हाजत गौस पाक के तुफैल पूरी करने की दुआ करें । इंशाल्लाह पूरी होगी ही - आमीन । ) 

हज़रत गौसुल आज़म के (11)  ग्यारह मुबारक नाम | gaus paak ke 11 name in hindi

(1) या सय्यिद मुहिय्युद्दीन अमीरूल्लाही।

(2) या शैख़ मुहिय्युद्दीन फ़ज़लुल्लाही।

(3) या औलियाऊ मुहिय्युद्दीन अमानुल्लाही।

(4) या मौलाना मुहिय्युद्दीन नूरूल्लाही ।

(5) या गौस मुहिय्युद्दीन कुतुबुल्लाही ।

(6) या सुल्तानु मुहिय्युद्दीन सैफुल्लाही ।

(7) या ख़्वाजा मुहिय्युद्दीन फरमानुल्लाही।

(8) या मख़्दूम मुहिय्युद्दीन बुरहानुल्लाही।

(9) या दरवेश मुहिय्युद्दीन सुल्तानुल्लाही।

(10) या मिस्कीनु मुहिय्युद्दीन कुदसुल्लाही।

(11) या फकीरू मुहिय्युद्दीन शाहिदुल्लाही कुद्दुस सिर्रहुल अज़ीज़ रदि अल्लाहु अन्हुम अजमईन।

इन नामों को पढ़ने से पहले ग्यारह बार दुरूद शरीफ़ और बाद पढ़ने के भी ग्यारह बार दुरूद शरीफ़ के इशाअल्लाह तआला हर

 आयते गौस 

 बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम : मोहम्मदुर्रसूलुल्लाह वल्लज़ीना माअहु अशिद्दाउ अलल् कुफ्फारी रुहमाउ बैइनहुम तराहुम रुक्कअन सुज्जदन यब्तगूना फ़द्वलम मिनल्लाहि व रिद्ववाना सीमाहुम फी वुजूहिहिम मिन असरिस सुजूद जा़लिका मसालुहुम फित तउराती वा मसालुहुम फिल इन्जीली कजर इन अखरजा शतअहू फअजरहू फसतग़लजा़ फस्तवा अला सूकिही युअज्ज़िबुज़ जुर्राआ लियग़ीज़ा बिहिमुल कुफ़्फ़ारा . व अदल्लाहुल्लज़ीना आमनू अमेलुस्स्वालिहाती मिन्हुम् मगफ़िरतंव व अज्रन अजी़मा

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इन सब सवालों का अर्थ और मतलब ये है कि जब हमे कोई जानकारी चाहिए मिसाल के तौर पर कोई रिश्ता मेरे लिए आया वो भी अन्जान जगह से अब मुझे पता करना है कि क्या यह रिश्ता सही है कि नहीं वो भी किसी से पूंछे बगैर अब इसके लिए जो तरीका अपनाया जाता है।

 जैसे मै नमाज़ पढ़ कर अपने रब से मदद मांगू की ये रिश्ता मेरे हक में सही है या नहीं तो ख्वाब के जरिये या किसी के जरिए पता चल जाएगा की ये रिश्ता आपके लिए सही है या नहीं मतलब हम भविष्य और वर्तमान यानी फ्यूचर और प्रजेन्ट वक्त में जाकर देख सकते हैं

नमाज़ के साथ जिक्र औराद वजीफे पढ़ना होता है जिसका तरीका हमारे पोस्ट में मिल जायेगा या इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ें

वजीफा क्या होता है अमल क्या होता है

जो जानकारी लेनी होती है (1) एक दिन या (3) तीन दिन या (7) सात दिन में मिल जाती है ख्वाब के जरिये इसे ही इस्तिखारा कहते हैं।

इस्लाम में इस्तिखारा की बहुत फजीलत आयी है।

जैसे सरकार अकदस स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि जब तुम्हें कोई चीज का इल्म ना हो की अच्छी है या बुरी या कोई काम करना चाहता हूं कामयाबी हासिल होगी की नहीं तो इस्तिखारा कर लिया करो तुमहारा रब तुम को बेहतर राह दिखायेगा।

इस्लाम में पास्ट प्रजेन्ट फ्यूचर यानी गुजरा हुवा समय और आने वाला समय में जाकर उसकी जानकारी ले सकता है ये इस्लाम इसे दुनियां वालों को बहुत पहले इस्तिखारा की शक्ल में तोहफा दे चुका है ।

लेकिन लोग इस इस्लाम के मानने वालों को पागल समझा करते थे लेकिन आज तो वैज्ञानिक साइन्स का ज़माना है साइंस ने भी स्वीकार कर लिया है कि इन्सान चाहे तो वो अपने फ्यूचर पास्ट में जा सकता है। अब शायद मालूम हो गया होगा कि इस्तिखारा का अर्थ मतलब जान गये होंगे आप लोगों को infomgm की पोस्ट कैसी लगी कमेन्ट करके बता सकते हैं और इस्लाम से रिलेटेड आर्टिकल्स जानकारी पढ़ने के लिए infomgm पर विजिट करते रहे हम नमाज़ रोज़ा हज जकात वजू गुस्ल वजीफा रूहानी अमलियात वा दीनी जानकारी infomgm पर पोस्ट करते रहते हैं।

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