Qayamat kis tarah aayegi | क़यामत कब आयेगी
क़यामत एक दम अचानक और बिल्कुल ही नागहाँ आयेगी लोगों को इसका कोई ख्याल ही नहीं रहेगा और रोज़ाना के मुताबिक लोग अपने अपने कामों में मशगूल होंगे कि दफ़्अतन अल्लाह तआला हज़रते इसराफ़ील अलैहिस्सलाम को सूर फूंकने का हुक्म देगा ।
सूर क्या है?
सूर बिगुल की तरह एक चीज़ है!
जिसको हज़रते इसराफ़ील अलैहिस्सलाम अपने हाथ में लिये हुये आस्मान पर अल्लाह तआला के हुक्म के इन्तेज़ार में खड़े हुये हैं।
शुरू शुरू में सूर की आवाज़ बहुत ही बारीक और सुरीली होगी मगर रफ्ता रफ़्ता यह आवाज़ बुलन्द और भयानक होती जायेगी।
Qayamat kab aayegi |
यहां तक कि लोग कान लगाकर उस आवाज़ को सुनेंगे और बेहोश व बदहवास होकर गिरते और मरते चले जायेंगे।
- आस्मान टूट फूट कर और टूकड़े टूकड़े होकर गिर पड़ेगा।
- ज़मीन में इतना ज़बरदस्त भौंचाल आ जायेगा कि ज़मीन ज़ोर ज़ोर से हिलने और कांपने लगेगी।
- यहां तक कि रेज़ा रेज़ा होकर बिखर जायेगी बल्कि गर्द व गुबार बनकर उड़ने लगेगी।
- छोटे बड़े पहाड़ चक्नाचूर होकर धुने हुये ऊन की तरह इधर - उधर उड़ते फिरेंगे।
- चाँद सूरज और सितारे बेनूर होकर झड़ जायेंगे।
- और हर तरफ ऐसी आफ़त व हिलाकत और तबाही व बरबादी फैल जायेगी कि तमाम जान्दार ।
- और बेजान सब छोटी बड़ी चीजें यहाँ तक कि खुद हज़रते इसराफ़ील अलैहिस्सलाम और उनका सूर सभी फ़ना हो जायेंगे।
- और अल्लाह के सिवा कोई भी मौजूद व बाकी नहीं रहेगा।
- उस वक़्त ख़ुदा वन्दे कुद्स अपनी जलाली शान के साथ यह एलान फ़रमायेगा।
लिमनिल_मुल्कुल_यौम आज किसकी बादशाही है ?
कहां हैं आज ज़ोर व ज़बरदस्ती करने वाले ?
किधर हैं आज घमन्ड व तकब्बुर करने वाले ?
मगर वहां कोई मौजूद ही नहीं होगा जो जवाब दे फिर खुद ही अपनी अज़मत व किब्रियाई के साथ इर्शाद फ़रमायेगा लिल्लाहिल_वाहिदिल_कहहार आज सिर्फ़ अल्लाह ही की सल्तनत है ।
जो एक है और निहायत ही ग़ल्बा वाला है : फिर जब अल्लाह ताआला चाहेगा हज़रते इस्राफ़ील अलैहिस्सलाम को ज़िन्दा फ़रमायेगा - और सूर को पैदा करके दुबारा सूर फूंक ने का हुक्म देगा अब्की मरतबा हज़रते इसराफ़ील अलैहिस्सलाम जूं ही सूर फूंकेंगे सब अगले पिछले इन्सान - व जिन्न और फ़रिश्ते और तमाम जानदार मख्लूक जिन्दा होकर मौजूद हो जायेंगे।
और तमाम मुर्दे अपनी अपनी कब्रों और मरघटों से या जहां जहां भी उनकी लाशों के ज़र्रात पड़ें होंगे सब अपनी अपनी जगहों से जिन्दा होकर निकल पड़ेंगे।
सबसे पहले हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसस्लम अपनी कब्रे अनवर से इस शान के साथ बाहर तशरीफ़ लायेंगे कि आपके दाहिने मुक़द्दस हाथ में हज़रते अबू बकर रज़ियल्लाहु अन्हु का हाथ होगा।
और बाएं मुबारक हाथ में हज़रते उमर रज़ियल्लाहु अन्हु का हाथ होगा -
फिर मक्का मुकर्रमा और मदीना मुनौव्वरा के मुबारक कब्रिस्तानों में जो मुसल्मान दफ़्न हैं उन सब को अपने हमराह लेकर मैदाने महशर में तशरीफ़ ले जाएगे।
तमाम दुनियां भर के अगले और पिछले इन्सान व जिन्न वगैरह सबके सब उसी मैदाने महशर में जमा होंगे जहां सब के अच्छे और बुरे आमाल का वज़न और हिसाब होगा
क़यामत कब आयेगी सफा नं • 15/16
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