Antra sharif shahdol dargah information
infomgm मे आज हम जानेंगे शहंशाह ए विलायत आफताब ए विलायत गौसुस जमां शहडोल मध्य प्रदेश का एक वलिये कामिल अपनी आबो ताब के साथ अपना जलवा बिखेरते हुए अन्तरा शरीफ में अपने आबो ताब के साथ आराम फरमा रहा हैं ।
अन्तरा शरीफ का दरगाह शहडोल से लगभग दस से बारह किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
Dargah antra sharif shahdol mazar antra sharif main gate outside view mazar antra sarif |
उस मुकद्दस हस्ति का नाम ए इस्मे गिरामी गौसे जमा कुतुब ए वक्त हजरत सैय्यद लाल मोहम्मद अता सलोनी चिश्ती रहमतुल्लाहि अलैह है। आप सिलसिला ए चिश्त के अजीम मशायख में से हैं।
आप के सिलसिले में मेरा करीबुल क़ल्ब दोस्त मोहम्मद इरशाद चिश्ती mobile number 7869066286 व आप के बड़े भाई मोहम्मद हसैन चिश्ती (हिन्द वली किराना स्टोर कच्छी मोहल्ला धनपुरी) भी आपके हल्क ए सिलसिला में शामिल हैं।
Mazar Sharif antra sharif dargah shahdol special moment outside view |
और मोहम्मद हुसैन भाई तो अपने पीरो मुर्शीद के इतने बड़े दीवाने हैं की हर महीने के उर्दू के 22 तारीख को वहीं पाओगे।
दरगाह अनतरा शरीफ जाने के लिए गूगल मैप से कनेक्ट हो सकतें हैं जिसका लिंक ये है।
Antra sharif dargah Google map Link
आप का उर्स हर महीने में उर्दू की 22 तारीख को बहुत ही तुश्को एहतसाम के साथ मनाया जाता है। जिसमें महफ़िल ए मीलाद ए रसूल सजाई जाती है।
सजरा ए चिश्ती का जिक्र किया जाता है व आपके खलीफा हाजी इसराफील शहडोल,व हाफिज अब्दुल जलील, हाजी इक़बाल व दीगर मोअज्जज हजरात से दुआ ए खैर करवाई जाती है।
फातिहा ख्वानी होते होते मगरिब का वक्त आ जाता है जमात से नमाज़ के बाद फौरन लंगर का एहतमाम किया जाता है। ये सब बाद नमाज़ ए अस्र से आग़ाज़ होकर इशा के अंदर ही इख्तेताम कर दिया जाता है।
Dargah antra sharif mahfil e milad wa fatiha moment monthly urs |
ताकी दूर दराज से आए हुए लोग अपने अपने घरों को जा सके।
जिसमें बेबी जरनल स्टोर मोहम्मद फिरोज खान भी अकसर हाजिर होते हैं।
अभी दरगाह अनतरा शरीफ का तामीरी काम चल रहा है जिन इस्लामी भाई बहनों को तामीरी काम में हिस्सा लेना हो वो या तो दरगाह अनतरा शरीफ जाकर मदद कर दें।
या हमारे फोन पे नम्बर ( Phone pe number +919009517862 , +917869066286 ) पर रकम भेज दें ताकी यह कीमती रकम तामीरी काम लग सके और सरकार ए अन्तरा का फैज से मालामाल होते रहें।
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जिसमें हम लोग भी शरीक होते रहते हैं जब भी मौका मिलता है एक बार हाजिरे सरकार ए अन्तरा हाजिर हुवा जिसमें मैंने ये अशआर पढ़ा था सोचा आप लोगों को भी शेयर कर दूं।
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फैजाने सरकार अन्तरा शिफा खाना
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1. क्या आप परेशान हैं ?
2. क्या आप का कारोबार तन्ग है ?
3. क्या आप के दुकान में बरकत खत्म हो गई है ?
4. क्या आप के दुकान में ग्राहक की कमी है ?
5. क्या आप के बच्चे परेशान रहते हैं ?
6. क्या आप के मकान में मुसीबत आ गई है ?
7. क्या आप का मन कारोबार में नहीं लगता है ?
8. क्या आप अपने घर की बन्दिश करवाना चाहते हैं ?
9. आप किसी को अपने तरफ माइल करना चाहते हैं ?
10. क्या आप से लोग जलन रखते हैं ?
11. क्या आप का झगड़ा हमेशा अपने लोगों के साथ होता रहता है ?
12. क्या आप किसी का दारू शराब छुड़वाना चाहते हैं ?
13. क्या आप लोग या आपके रिश्तेदार किसी खबीस , शैतान , भूत प्रेत , जिन्नात से परेशान हैं ?
सम्पर्क करें मोबाइल नंबर +919009517862 मौलाना गुलाम जीलानी रज़्वी
नोट : - नमाज़ के टाइम फोन ना करें मेहरबानी होगी !
Antra wale baba shahdol ki shan me
Dargah antra sharif inside view |
यक़ीनन फौकि़यत हासिल है उनको ज़माने पर
पड़ें हैं क़दम सरकारे हज़रत नईम अ़ता जिन गुब्बारों पर
क़लम हो नज्दियों के सर या मौत आये वहाबी को
मगर जाते रहेंगे अहले सुन्नत हर मजारों पर
हबीबे नईमे अ़ता की शान क्या कहना
है गरदिश कर रहे हैं ताजदार उनके इशारों पर
जबाने काट दो उनकी कलाई मोड़ दो उनकी
करें तन्की़द जो हज़रत नईम अ़ता के मजारों पर
है पट्टा जिनके गर्दन पर गुलामी हज़रत नईम अ़ता की
कसम अल्लाह की वो भारी हैं तन्हा हजारों पर
गदाई है मिली जिसको दरे हज़रत नईम अ़ता की महफ़िल से
हुकूमत कर रहा है आज भी वो ताजदारों पर
है आका नईम अ़ता रहमत कहो उनसे
वो फरमाते हैं हर दम लुत्फो रहमत बे सहारों पर
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मेरे नईम अ़ता का जिस पे करम हो गया है
दुनिया बना दिया है उक़्बा बना दिया
जिसने भी की दुश्मनी गुलामे नईम से
मेरे नईम ने उसे बर्बाद कर दिया
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( मेरे नईम से जिसने लौ लगा लिया
मेरे नईम ने उसे आबाद कर दिया )
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हज़रत नईम अ़ता ने हाजी इस्राफील से लौ लगा लिया
हज़रत नईम अ़ता ने हाजी इस्राफील को आबाद कर दिया
इल्म का इज़हार करके हाफिज अब्दुल जलील इस क़दर चमके
रूहानियत में मुर्शिदे बरहक़ ने इन्हें आलिम बना दिया
जब भी गये हैं हाजी इक़बाल अपने मुर्शिद के दर पर
जर्रा थे वो शख्स मुर्शिद ने उन्हें सोना बना दिया
दीवानगी़ हज़रत नईम अ़ता की दरबार से तो देखो
मोहम्मद हुसैन को हज़रत ने दर का दीवाना बना दिया
मुर्शिद से निसबत मेरे इर्शाद को देखो
बे अमल था इर्शाद बा अमल बना दिया
दरबारे हज़रत नईम से जिसने जो मांगा वो मिला
परेशान थे मुरीद उन्हें खुशहाल कर दिया
अपनी मुक़द्दर पर कुर्बान जायें खुल्फा
हीरा थे ये शख्स इन्हें खलीफा बना दिया
हज़रत नईमे अ़ता के मुरीदों की शान तो देखो
ज़माने के गौस ने अपना गुलाम बना लिया
मेरे नईम अता की शान तो देखिए
सुनसान था इलाका इसे रोशन बना दिया
जब आता है उर्से हज़रत नईम अ़ता की तारीख
दीवाने कहते हैं हमे हक़ से मिला दिया
जब भी नज़रें जाती है यहां के पेड़ों पर
पेड़ कहते हैं कि अकड़ते थे हमें झुकना सिखा दिया
जैसे ही पड़ती है नज़रें हमारी गुम्बदे हज़रत नईम पर
ऐसा लगता है हमें मदीना दिखा दिया।
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