namaz me 2 do sajde hi kiyun hote hain

namaz me 2 do sajde hi kiyun hote hain

नबी ए करीम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया

जब तुम कुछ भूल जाओ तो मुझ पर दरूद भेजो .इंशाअल्लाह याद आ जाएगा ।

ये बहुत की़मती ह़दीस है सब को ज़रूर बताओ अपने दिल में मत रखना । 

और मै इस हदीस के सदके में बहुत सी भूली बातों को दरूद पढ़ कर याद करने की कोशिश की तो अल्लाह का करम रहा हर बार सरकार अबद क़रार ने रहनुमाई फरमायी और मै इस हदीस ए मुबारक से अक्सर और बेस्तर फैजयाब होता रहता हूं ।

Namaz me 2 do sajde hi kiyun hote hain
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सवाल :- नमाज़ में दो सज़दे ही क्यों होते  हैं?

जवाब :- जब अल्लाह ने फरिश्तों को हुकुम दिया की आदम अलैहिस्सलाम को सजदा करो तो उन्होने सजदा किया लेकिन इब्लीस ने नही किया तो उसको मर्दूद करार दे कर उसको जन्नत से निकाल दिया गया इब्लीस की ये हालत देख कर फरिश्तों ने सजदा-ए-शुक्र अदा किया ।

और कहा ए अल्लाह तेरा शुक्र हे की तूने हमे अपना हुक्म बजा लेने और अपनी इबादत करने की तौफिक अता फरमाई ...

वो दो सज़दे आज तक नमाज़ में अदा किये जा रहे हें ...

1..सजदा-ए-हुक्म

2..सजदा-ए-शुक्र

1.सहाबी ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछा हमे केसे पता चलेगा की हमारी नमाज़ कुबूल हो गई ?

हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि ने फरमाया

जब तुम्हारा दिल अगली नमाज़ पढ़ने के लिये बेकरार हो

तो समझ जाओ की तुम्हारी नमाज़ कुबूल हो गई है

कुछ लोग ऐसे दीनी जानकारी शेयर नहीं करते

तो अल्लाह ने फरमाया

अगर तुम अपने लोगो के सामने मुझे रद्द करोगे तो

में तुम्हे अपनी नजरो में रद्द कर दूँगा

जब शेतान मर्दुद ने कहा की ए रब तेरी इज्ज़त-औ-जलाल की कसम में तेरे बन्दो को हमेशा गुमराह करता रहूंगा

जब तक उनकी रूह उनके जिस्म में रहेगी

अल्लाह रब्बूल-इज्ज़त ने इरशाद फरमाया ...

मुझे कसम हे अपनी इज्ज़त-औ-जलाल की

और आपने आला-ए-मक़ाम की जब तक वो मुझसे इस्तगफार करते रहेंगे

में उनको बक्शता रहूंगा ...

हमारे नबी ए करीम स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम की कुछ प्यारी आदतें ...

1. चलते वक्त अपनी निगाहें नीची रखना

2. सलाम हमेशा पहले करना

3. मेहमान नवाजी खुद करना

4. नफील नमाज़ छुप कर पढ़ना

5. फ़र्ज़ इबादत सब के समने करना

6..बीमार की मिजाज पुर्सी करते

7. जब खड़े हुए गुस्सा आये तो लेट जाते

8. मीस्वाक करते

9. ईशा से पहले कभी न सोते

10. कभी खुलकर ना हँसते सिर्फ मुस्कुराते


जब हुजूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम विसाल का वक्त क़रीब आया तो आपने

हज़रत जिब्रील अलैहिस्सेसलाम  पूछा की

कया मेरी उम्मत को भी मौत की इतनी तक़लीफ़ बरदाश्त करनी होगी

तो जिब्रील अलैहिस्सेसलाम.ने कहा.. हाँ


तो आपकी आँख मुबारक से आँसू जारी हो गये ..


तो अल्लाह ने फरमाया

ए मोहम्मद स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम 

आपकी ऊम्म्त अगर हर नमाज़ के बाद आयतल कुर्सी पढ़ेगा

तो मौत के वक्त उसका एक पाँव दुनियाँ में और एक पाँव जन्नत में होगा।

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