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हुज़ूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम के 40 चालिस फरमान 40 hadees

(01) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

 दोस्त को दुश्मन न बनाओ!

(02) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

ज़्यादा न सोया करो, ज़्यादा नींद याददाश्त को कमज़ोर कर देती हैं!

(03)  आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

उन लोगों के दरमियान न सोए जो सोने से पहले बातें करते हो!

(04) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

उल्टे हाथ से न खाओ!

(05) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

मुंह से खाना निकालकर न खाओ!

(06) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

अपने खाने पर उदास न हुआ करो ये आ़दत हमारे अन्दर नाशुक्री पैदा करती हैं!

(07) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

गर्म खाने को फूंक से ठण्ड़ा मत करो!

(08) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

खाना अन्धेरे में मत खाओ!

(09) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

खाने को सूंघा न करो, खाने को सूंघना बद तहज़ीबी होती हैं!

(10) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

मुंह भर के न खाओ क्यूंकि इस से मैदे में जमादारी बढ़ जाता हैं!

(11) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

हाथ से कडाके न निकालो (चटकाया न करो)!

(12) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

जूते पहनने से पहले झाड़ लिया करो!

(13) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

नमाज़ के दौरान आसमान की त़रफ़ न देखो!

(14) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

रफ्ए ह़ाजत की जगह (Toilet) में मत थूको!

(15) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

लकड़ी के कोयले से दांत साफ़ न करो!

(16) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

अपने दांतों से सख़्त चीज़ मत तोड़ा करो!

(17) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

हमेशा बैठ कर कपड़े तब्दील करो!

(18) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

दुसरों के ऐ़ब तलाश मत करो!

(19) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

बैतुलख़ला (Toilet) में बातें मत किया करो!

(20) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

फ़ज्र और इशराक़, अस्र और मगरिब, मगरिब और इशा के दरमियान मत सोया करो!

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(21) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

दोस्तों के बारे में झूठे किस्से बयान न किया करो!

(22) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

ठहर कर साफ़ बोला करो ताकि बात दुसरे पूरी त़रह़ समझ जाए!

(23) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

चलते हुए बार बार पीछे मुड़कर न देखो!

(24) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

एड़ियां मार कर न चला करो, एड़ियां मार कर चलना तकब्बुर की निशानियों में से हैं!

(25) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

किसी के बारे में झूठ न बोलो!

(26) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

शैख़ी न बघारो!

(27) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

अकेले सफ़र न किया करो!

(28) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

अच्छे कामों में दुसरे की मदद किया करो!

(29) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

फ़ैसले से पहले मशवरा ज़रूर किया करो, और मशवरा हमेशा समझदार के बजाए तजुर्बाकार शख़्स से करना चाहिए!

(30) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

कभी गुरूर न करो, गुरूर एक ऐसी बुरी आ़दत हैं जिसका नतीजा कभी अच्छा नही निकलता!

(31) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

ग़ुरबत में सब्र किया करो!

(32) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

मेहमान की खुले दिल से ख़िदमत करो ये आ़दत हमारी शख़्सिय्यत में कशिश पैदा कर देती हैं!

(33) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

बुरा करने वालों के साथ हमेशा नेकी करो!

(34) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

अल्लाह तआ़ला ने जो दिया हैं उस पर खुश रहो!

(35) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

बदबूदार व गन्दे लोगों के साथ न बैठा करो

(36) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

इक़ामत और अज़ान के बीच में गुफ्तगू मत किया करो!

(37) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

अपनी कमियों पर ग़ौर किया करो और तौबा किया करो!

(38) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

रोज़ाना कम से कम सौ बार अस्तग़फार किया करो!

(39) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

अज़ान के वक़्त सब काम छोड़कर अज़ान का जवाब दिया करो!

(40) आप स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:

पानी हमेशा बैठ कर पिया करो!

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सवाल :- हमारे नबी कौन हैं.? उनका कुछ हाल बयान कीजिए?

जवाब :-

हमारे नबी हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लललाहू तआला अलैही वसल्लम जो 12 रबीउल अव्वल मुताबिक 20 अप्रैल सन् 571 ईस्वी में मक्का शरीफ में पैदा हुए ।

उनके वालिद (पिता) का नाम हज़रते अब्दुल्लाह और वालिदा (मां) का नाम हज़रत आमना है। (रदिअल्लाहु तआला अनहुमा) आपकी ज़ाहिरी ज़िन्दगी तिरसठ (63) साल की हुई तिरपन (53) साल की उम्र तक मक्का शरीफ में रहे ।

फिर दस (10) साल मदीना तैय्यबा में रहे 12 रबीउल अव्वल सन् 11 हिजरी मुताबिक 12 जून सन् 632 ईस्वी ) में वफ़ात पाई आपका मज़ारे मुबारक मदीना शरीफ में है। जो मक्का शरीफ़ से तक़रीबन 320 किलो मीटर उत्तर में है।

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सवाल :-

हमारे नबी की कुछ खूबियां बयान कीजिए ?

जवाब :-

हमारे नबी सारे नबी और रसूलों के सरदार हैं। मतलब अम्बिया-ए-किराम के सरदार हैं और इसीलिए हज़रत मोहम्मद स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम को सय्यदुल मुरसलीन कहा जाता है और तमाम अम्बिया हुजूर के उम्मती हैं। 

आप खातमुन्नबीईन हैं 

यानी आप के बाद कोई नबी नहीं पैदा होगा, जो शख्स आप के बाद नबी होने को जाइज़ समझे वह काफिर है सारी मखलूका़त खुदा ए तआला की रज़ा चाहिती है ।

और खुदा ए तआला हुजूर की रज़ा चाहता है। हुजूर की फरमांबरदारी अल्लाह तआला की फ़रमाबरदारी है ज़मीन व आसमान की सारी चीजें आप पर जाहिर थी ।

दुनियां के हर गोशे और हर कोने में क़ियामत तक जो कुछ होने वाला है हुजूर उसे इस तरह मुलाहिजा फ़रमाते हैं। 

जैसे कोई अपनी हथेली देखे, ऊपर नीचे आगे और पीठ के पीछे एक तरह देखते थे।

 आप के लिए कोई चीज़ आड़ नहीं बन सकती, हुजूर जानते हैं कि ज़मीन के अन्दर कहां क्या हो रहा है।

खुशू जो दिल की एक कैफ़ियत का नाम है हुज़र उसे भी मुलाहजा फरमाते हैं, हमारे चलने फिरने उठने बैठने और खाने पीने वगैरा हर कौल व फ़ेल की हुज़ूर को हर वक़्त खबर है।

(बुख़ारी शरीफ़,मिश्कात शरीफ़,बहारे शरीअत, बग़ैरह,)

hamare nabi sallallahu sallam
KYA TAMAM NABI ZINDA HAI .

सवाल :-

क्या हमारे नबी ज़िंदा है? 

जवाब :-

हमारे नबी और तमाम अंबियाये किराम अलैहिमुस्सलातु वसल्लम जिन्दा हैं।

 हदीस शरीफ़ में है कि सरकारे अक़दस सल्लललाहू तआला अलैही वसल्लम ने फरमाया की

 खुदा ए तआला ने जमीन पर अंबियाये किराम अलैहिमुस्सलाम के जिस्मों को खाना हराम फरमा दिया है। तो अल्लाह के नबी ज़िन्दा हैं रोज़ी दिये जाते हैं,

(मिश्कात शरीफ़, सफ़ह 121)

hamare nabi sallallahu sallam

सवाल :-

जो शख्स अंबियाए किराम के बारे में कहे कि मर कर मिट्टी में मिल गए तो उसके लिए क्या हुक्म है ?

जवाब :-

ऐसा कहने वाला गुमराह बदमज़हब ख़बीस है।

(बहारे शरीअत, अनवारे शरीअत सफ़ह 12)

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सवाल :- वह (10) दस बुरी चीज़े क्या क्या हैं जो हदीस से साबित हैं?

अल जवाब :- हदीसे पाक में है,

अबू दाऊद व निसाई ने हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत की के नबी सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम दस चीज़ों को बुरा बताते थे,

  1. ज़र्दी, यानी मर्द का ख़ुलूक़ इस्तेमाल करना,
  2. सफ़ेद बालों में सियाह (काला) ख़िज़ाब करना,
  3. तहबंद लटकाना,
  4. सोने की अंगूठी पहनना,
  5. बे महल औरत का ज़ीनत (बनाव सिंगार) को ज़ाहिर करना, यानी शौहर और मुहारिम के सिवा दूसरों के सामने इज़हारे ज़ीनत,
  6. पांसा फेंकना, यानी चोसर और सतरंज वग़ैरह खेलना,
  7. झाड़ फूंक करना, मुआविज़ात यानी जिसमें नाजाइज़ अल्फ़ाज़ हों उनसे छाड़ फूंक मना है,
  8. तावीज़ बांधना, यानी वह तावीज़ बांधना जिसमें ख़िलाफ़े शरअ् अल्फ़ाज़ हों,
  9. पानी को ग़ैरे महल में गिराना, यानी वत़ी के बाद मनी (वीर्य) को बाहर गिराना के यह आज़ाद औरत में बग़ैर इजाज़त नाजाइज़ है, और यह भी हो सकता है कि इससे मुराद लवात़त हो,
  10. बच्चे को फ़ासिद कर देना, मगर इस दसवें को हराम नहीं कहा यानी बच्चे के दूध पीने के ज़माने में उसकी मां से वत़ी करना कि अगर वह हामिला हो गई तो बच्चा ख़राब हो जाएगा,

(अबू दाऊद, जिल्द 4 सफ़ह 121)


सवाल :- कुछ औरतें बच्चों के कान, नाक छिदवाने और चोटियां रखने की मन्नत मानती हैं तो क्या यह जाइज़ है?

अल जवाब :- ऐसी मन्नतें सब ख़ुराफ़ात व वाहियात, लग़्व, और नजाइज़ हैं,

वारिसे आला हज़रत हुज़ूर सदरुश्शरिअह बदरुत्तरीक़ह अल्लामा अमजद अली आज़मी अलैहिर्रहमह तहरीर फ़रमाते हैं,

बअ्ज़ जाहिल औरतें लड़कों के कान, नाक छिदवाने और बच्चों की चोटियां रखने की मन्नत मानती हैं, 

या और तरह-तरह की ऐसी मन्नतें मानती हैं जिनका जवाज़ किसी तरह साबित नहीं, अव्वलन ऐसी वाहियात (लग़्व व नाजाइज़) मन्नतों से बचें और मानी हो तो पूरी ना करें और शरीअ्त के मामला में अपने लग़्व ख़यालात (फ़िज़ूल ख़यालात) को दखल ना दें।

ना यह के हमारे बड़े बूढ़े ही करते चले आए और यह के पूरी ना करेंगे तो बच्चा मर जाएगा, बच्चा मरने वाला होगा तो यह नजाइज़ मन्नतें बचा ना लेंगी, मन्नत माना करो तो नेक काम नमाज़, रोज़ा, ख़ैरात, दुरूद शरीफ़, कल्मा शरीफ़, क़ुरान मजीद पढ़ने, फ़क़ीरों को खाना देने, कपड़ा पहनाने वगैरह की मन्नत मानो।

 और अपने यहां के किसी सुन्नी आलिम से दरियाफ़्त भी कर लो कि यह मन्नत ठीक है या नहीं,, वहाबी, देवबंदी, शिआ, वगैरह से ना पूछना कि वह गुमराह बे दीन हैं।

 वह सही मसअला ना बताएगा बल्के एच पेच (यानी मकरो फरेब) से जाइज़ अम्र (काम) को नाजाइज़ कह देगा,

(बहारे शरीअत जिल्द 2 सफ़ह 318,औरतों के जदीद और अहम मसाइल Page 62,63,64)

सवाल :- एक सवाल अर्ज़ है कि अगर औरत मर जाए तो उसके कफ़न के लिए मैके वालों से कफन मांगना कहाँ तक दुरुस्त है, इसका जवाब इनायत करें महरबानी होगी?

 जवाब :- औरत का कफ़न मैके वालों के ज़िम्मे ज़रूरी समझना

यह भी एक ग़लत रिवाज है ।

यहाँ तक कि कुछ जगह मैके वाले अगर नादार व ग़रीब हों तब भी औरत का कफ़न उनको देना ज़रुरी ख़्याल किया जाता है, और उनसे ज़बरदस्ती लिया जाता है।

और उन्हें ख़्वाहमख्वाह सताया जाता है,हालांकि इस्लाम में ऐसा कुछ नहीं है।

सही मसअला यह है कि मय्यत का कफ़न अगर मय्यत ने माल छोड़ा हो तो उसी के माल में से दिया जाए, 

और अगर उसने कुछ माल न छोड़ा हो तो ज़िन्दगी में जिसके ज़िम्मे उसका नान व नफ़क़ा था, वह कफ़न दे

और औरत के बारे में ख़ास तौर से यह है कि उसने अगरचेह माल छोड़ा भी हो तब भी उसका कफ़न शौहर के ज़िम्मे है

(फतावा रज़विया शरीफ़ जिल्द 23 सफह 611,बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 4 सफह 139)

खुलासा यह है कि औरत का कफ़न या दूसरे खर्चे मैके वालों के ज़िम्मे ही लाज़िम ख़्याल करना और बहरहाल उनसे दिलवाना, एक ग़लत रिवाज है, जिसको मिटाना ज़रुरी है

सवाल :- एक सवाल अर्ज़ है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को कुछ लोग साहब बोलते हैं?

जैसे हुज़ूर साहब, या नबी साहब, बोलते हैं, इस तरह कहना कैसा है?

जवाब :- हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को साहब बोलना जायज़ व दुरुस्त है लेकिन हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के लिए लफ्ज़ साहब बोलना आरियों और गैरों का तरीक़ा है ।

और इसे आम लोगों के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है जैसे शेख़ साहब, मिर्ज़ा साहब, पादरी साहब, पंडित साहब, वगैरह, लिहाज़ा हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के लिए लफ्ज़े साहब से बचना चाहिए,

 हाँ इस तरह कहना जायज़ है कि नबी ए करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम हमारे साहब हैं, आक़ा हैं, मालिक हैं, मौला हैं,(फतावा रज़विया शरीफ़ जिल्द 14 सफह 615)

सवाल :- एक सवाल यह है कि एक शख़्स जो अपने आप को सुन्नी कहता है और वह शोशल मीडिया पर हमेशा कुछ न कुछ अकाबिरीने अहले सुन्नत की तह़रीरों पर बिला वजह नुकता चीनी करता है, 
और उससे तअल्लुक़ात क़ायम रखने में मसलके अहले सुन्नत वल जमाअत के नुकसानात हैं, अगर उससे दोस्ती ख़त्म कर ली जाए तो कोई गुनाह तो नहीं होगाः इस सवाल का जवाब इनायत करें महरबानी होगी?

जवाब :- अगर वाक़ाई वह श़ख्स अकाबिरीने अहले सुन्नत की तह़रीरों पर बिला वजह नुक़ता चीनी करता है जिससे मसलके अहले सुन्नत का नुक्सान हो तो उससे दूरी बनाए रखना ज़रुरी है इस से शरई एतबार से कोई गुनाह नहीं(फतावा शिमूगह सफह 37)

सवाल :- एक सवाल अर्ज़ है कि किसी घर में मय्यत हो जाने पर इसी तरह बच्चा पैदा होने के बाद पूरे घर की साफ़ सफ़ाई होती है और कुछ लोग घर नापाक समझते हैं क्या यह दुरुस्त है जवाब इनायत करें महरबानी होगी?

जवाब :- कुछ लोग घर में मय्यत हो जाने या बच्चा पैदा होने के बाद घर की पुताई कराते हैं और समझते हैं कि घर नापाक हो गया उसकी धुलाई, सफ़ाई और पुताई कराना ज़रुरी है, हालांकि यह उनकी ग़लत फहमी है, 

और इस्लाम में ज़्यादती है, यूँ तो पुताई सफ़ाई अच्छी चीज़ है, जब ज़रुरत समझें करायें, लेकिन बच्चा पैदा होने या मय्यत हो जाने की वजह से उसको कराना और लाज़िम जानना जाहिलों वाली बातें हैं, जिन्हें समाज से दूर करना जरूरी है।(ग़लत फहमियां और उनकी इस्लाह सफह 60)

सू-रतुल कहफ़ की फजीलत

 हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह इब्ने उमर रजिअल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है : 

नबिय्ये रहमत, शफ़ीए उम्मत, शहन्शाहे नुबुव्वत, ताजदारे रिसालत स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम का फरमाने मुबारक है: 

जो शख़्स जुमा के रोज़ सूरतुल कहफ़ पढ़े उस के क़दम से आस्मान तक नूर बुलन्द होगा जो कियामत को उस के लिये रोशन होगा और दो जुमओं के दरमियान जो गुनाह हुए हैं बख़्श दिये जाएंगे।

दोनों' जुमा के दरमियान नूर 

हज़रते सय्यदुना अबू सईद रजिअल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है, हुजूर सरापा नूर, फैज़ गन्जूर, शाहे गयूर स्वलल्लाहो अलैहि वसल्लम का फरमान है ।

जो शख़्स बरोज़े जुमा सूरतुल कहफ़ पढ़े उस के लिये दोनों जुमुओं के दरमियान नूर रोशन होगा।

का 'बे तक नूर 

एक रिवायत में है जो सूरतुल कफ़ शबे जुमुआ (या' नी जुमे 'रात और जुमा की दरमियानी शब) पढ़े उस के लिये वहां से का बे तक नूर रोशन होगा।( फैजाने जुमुआ सफ़ह 15,16)

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huzoor Swallallaho alaihi wasallam ke 40 Hadis farman e mustafa chaalis faramaan 40 hadees

01- nabi e kareem Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

 dost ko dushman na banao!

 

02- sarkar Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

zyaada na soya karo, zyaada neend yaad daasht ko kamazor kar detee hain!                     



03- sarkar Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

un logon ke daramiyaan na soe jo sone se pahale baaten karate ho!


04- karim Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

ulte haath se na khao!


05- karim Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

munh se khaana nikaalakar na khao!


06- rahmat wale aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

apane khaane par udaas na hua karo ye aadat hamaare andar naashukree paida karatee hain!


07- rahmat wale aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

garm khaane ko phoonk se thanda mat karo!


08- karam wale aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

khaana andhere mein mat khao!


09- rahmat wale aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

khaane ko soongha na karo, khaane ko soonghana bad tahazeebee hotee hain!


10- kamli wale aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

munh bhar ke na khao kyoonki is se maide mein jamaadaaree badh jaata hain!


11- azmat wale aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

haath se kadaake na nikaalo (chatakaaya na karo)!


12- izzat wale aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

joote pahanane se pahale jhaad liya karo!


13- raham wale aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

namaaz ke dauraan aasamaan kee taraf na dekho!


14- rahmat wale aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

raphe haaajat kee jagah (toilait) mein mat thooko!


15- rahmat wale aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

lakadee ke koyale se daant saaf na karo!


16- rah dikhane wale aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

apane daanton se sakht cheez mat toda karo!


17- rahmat wale aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

hamesha baith kar kapade tabdeel karo!


18- kamli wale aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

dusaron ke aiba talaash mat karo!


19- izzat wale aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

baitulakhala (toilait) mein baaten mat kiya karo!


20- aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

fajr aur isharaaq, asr aur magarib, magarib aur isha ke daramiyaan mat soya karo!


21- aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

doston ke baare mein jhoothe kisse bayaan na kiya karo!


22- aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

thahar kar saaf bola karo taaki baat dusare pooree tarah samajh jae!


23- aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

chalate hue baar baar peechhe mudakar na dekho!


24- aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

ediyaan maar kar na chala karo, ediyaan maar kar chalana takabbur kee nishaaniyon mein se hain!


25- aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

kisee ke baare mein jhooth na bolo!


26- aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

shaikhee na baghaaro!


27- aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

akele safar na kiya karo!


28- aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

achchhe kaamon mein dusare kee madad kiya karo!


29- aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

faisale se pahale mashawara zaroor kiya karo, aur mashavara hamesha samajhadaar ke bajae tajurbaakaar shakhs se karana chaahie!


30- aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

kabhee guroor na karo, guroor ek aisee buree aadat hain jisaka nateeja kabhee achchha nahee nikalata!


31- aap swalallaaho alaihi wasallam ne faramaaya:

gurabat mein sabr kiya karo!


32- aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

mehamaan kee khule dil se khidamat karo ye aadat hamaaree shakhsiyyat mein kashish paida kar detee hain!


33- aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

bura karane vaalon ke saath hamesha nekee karo!


34- aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

allaah taala ne jo diya hain us par khush raho!


35- aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

badaboodaar va gande logon ke saath na baitha karo


36- aap svalallaaho alaihi vasallam ne faramaaya:

iqaamat aur azaan ke beech mein guphtagoo mat kiya karo!


37- aap svalallaaho alaihi vasallam ne faramaaya:

apanee kamiyon par gaur kiya karo aur tauba kiya karo!


38- aap svalallaaho alaihi vasallam ne faramaaya:

rozaana kam se kam sau baar astagaphaar kiya karo!


39- aap svalallaaho alaihi vasallam ne faramaaya:

azaan ke vaqt sab kaam chhodakar azaan ka javaab diya karo!


40- aaqa Swallallaho alaihi wasallam ne faramaaya:

paanee hamesha baith kar piya karo!



sawaal :- hamaare nabee kaun hain.? unaka kuchh haal bayaan keejiye?


jawaab :-

hamaare nabee hazarat mohammad mustapha sallalalaahoo taaala alaihee vasallam jo 12 rabeeul avval mutaabik 20 aprail san 571 eesvee mein makka shareeph mein paida hue .

unake vaalid (pita) ka naam hazarate abdullaah aur vaalida (maan) ka naam hazarat aamana hai. (radiallaahu taaala anahuma) aapakee zaahiree zindagee tirasath (63) saal kee huee tirapan (53) saal kee umr tak makka shareeph mein rahe .

phir das (10) saal madeena taiyyaba mein rahe 12 rabeeul avval san 11 hijaree mutaabik 12 joon san 632 eesvee ) mein vafaat paee aapaka mazaare mubaarak madeena shareeph mein hai. jo makka shareef se taqareeban 320 kilo meetar uttar mein hai.


sawaal :-

hamaare nabee kee kuchh khoobiyaan bayaan keejiye ?


jawaab :-

hamaare nabee saare nabee aur rasoolon ke saradaar hain. matalab ambiya-e-kiraam ke saradaar hain aur iseelie hazarat mohammad svalallaaho alaihi vasallam ko sayyadul murasaleen kaha jaata hai aur tamaam ambiya hujoor ke ummatee hain. 

aap khaatamunnabeeeen hain 

yaanee aap ke baad koee nabee nahin paida hoga, jo shakhs aap ke baad nabee hone ko jaiz samajhe wah kaaphir hai saaree makhalooka khuda e taaala kee raza chaahitee hai .

aur khuda e taaala hujoor kee raza chaahata hai. hujoor kee pharamaambaradaaree allaah taaala kee faramaabaradaaree hai zameen va aasamaan kee saaree cheejen aap par jaahir thee .

duniyaan ke har goshe aur har kone mein qiyaamat tak jo kuchh hone vaala hai hujoor use is tarah mulaahija faramaate hain. 

jaise koee apanee hathelee dekhe, oopar neeche aage aur peeth ke peechhe ek tarah dekhate the.

 aap ke lie koee cheez aad nahin ban sakatee, hujoor jaanate hain ki zameen ke andar kahaan kya ho raha hai.


khushoo jo dil kee ek kaifiyat ka naam hai huzar use bhee mulaahaja pharamaate hain, hamaare chalane phirane uthane baithane aur khaane peene vagaira har kaul va fel kee huzoor ko har waqt khabar hai.

(bukhaaree shareef,mishkaat shareef,bahaare shareeat, wagairah,)


sawaal :-

kya hamaare nabee zinda hai .


jawaab :-

hamaare nabee aur tamaam ambiyaaye kiraam alaihimussalaatu vasallam jinda hain.

 hadees shareef mein hai ki sarakaare aqadas sallalalaahoo taaala alaihee vasallam ne pharamaaya kee

 khuda e taaala ne jameen par ambiyaaye kiraam alaihimussalaam ke jismon ko khaana haraam pharama diya hai. to allaah ke nabee zinda hain rozee diye jaate hain,

(mishkaat shareef, safah 121)


savaal :-

jo shakhs ambiyae kiraam ke baare mein kahe ki mar kar mittee mein mil gae to usake lie kya hukm hai ?


javaab :-

aisa kahane vaala gumaraah badamazahab khabees hai.

(bahaare shareeat, anavaare shareeat safah 12)





sawaal :- vah (10) das buree cheeze kya kya hain jo hadees se saabit hain,


al jawaab :- hadeese paak mein hai,

aboo daood va nisaee ne hazarat abdullaah bin masood raziallaahoo taaala anh se rivaayat kee ke nabee sallallaahoo taaala alaihee vasallam das cheezon ko bura bataate the,


1- zardee, yaanee mard ka khulooq istemaal karana,

2- safed baalon mein siyaah (kaala) khizaab karana,

3- tahaband latakaana,

4- sone kee angoothee pahanana,

5- be mahal aurat ka zeenat (banaav singaar) ko zaahir karana, yaanee shauhar aur muhaarim ke siva doosaron ke saamane izahaare zeenat,

6- paansa phenkana, yaanee chosar aur sataranj vagairah khelana,

7- jhaad phoonk karana, muaavizaat yaanee jisamen naajaiz alfaaz hon unase chhaad phoonk mana hai,

8- taaveez baandhana, yaanee vah taaveez baandhana jisamen khilaafe shar alfaaz hon,

9- paanee ko gaire mahal mein giraana, yaanee vatee ke baad manee (veery) ko baahar giraana ke yah aazaad aurat mein bagair ijaazat naajaiz hai, aur yah bhee ho sakata hai ki isase muraad lavaatta ho,

10- bachche ko faasid kar dena, magar is dasaven ko haraam nahin kaha yaanee bachche ke doodh peene ke zamaane mein usakee maan se vatee karana ki agar vah haamila ho gaee to bachcha kharaab ho jaega,

(aboo daood, jild 4 safah 121)


sawaal :- kuchh auraten bachchon ke kaan, naak chhidavaane aur chotiyaan rakhane kee mannat maanatee hain to kya yah jaiz hai,


al jawaab :- aisee mannaten sab khuraafaat va vaahiyaat, lagv, aur najaiz hain,

vaarise aala hazarat huzoor sadarushshariah badaruttareeqah allaama amajad alee aazamee alaihirrahamah tahareer faramaate hain,

baza jaahil auraten ladakon ke kaan, naak chhidavaane aur bachchon kee chotiyaan rakhane kee mannat maanatee hain, 

ya aur tarah-tarah kee aisee mannaten maanatee hain jinaka javaaz kisee tarah saabit nahin, avvalan aisee vaahiyaat (lagv va naajaiz) mannaton se bachen aur maanee ho to pooree na karen aur shareeta ke maamala mein apane lagv khayaalaat (fizool khayaalaat) ko dakhal na den.

na yah ke hamaare bade boodhe hee karate chale aae aur yah ke pooree na karenge to bachcha mar jaega, bachcha marane vaala hoga to yah najaiz mannaten bacha na lengee, mannat maana karo to nek kaam namaaz, roza, khairaat, durood shareef, kalma shareef, quraan majeed padhane, faqeeron ko khaana dene, kapada pahanaane vagairah kee mannat maano.

 aur apane yahaan ke kisee sunnee aalim se dariyaaft bhee kar lo ki yah mannat theek hai ya nahin,, vahaabee, devabandee, shia, vagairah se na poochhana ki vah gumaraah be deen hain.

 vah sahee masala na bataega balke ech pech (yaanee makaro phareb) se jaiz amr (kaam) ko naajaiz kah dega,

(bahaare shareeat jild 2 safah 318,auraton ke jadeed aur aham masail safah 62---63---64)

islamic quiz islamic quiz questions and answers 

savaal :- ek savaal arz hai ki agar aurat mar jae to usake kafan ke lie maike vaalon se kaphan maangana kahaan tak durust hai, isaka javaab inaayat karen maharabaanee hogee?


 javaab :- aurat ka kafan maike vaalon ke zimme zarooree samajhana

yah bhee ek galat rivaaj hai .

yahaan tak ki kuchh jagah maike vaale agar naadaar va gareeb hon tab bhee aurat ka kafan unako dena zaruree khyaal kiya jaata hai, aur unase zabaradastee liya jaata hai.

aur unhen khvaahamakhvaah sataaya jaata hai,haalaanki islaam mein aisa kuchh nahin hai.

sahee masala yah hai ki mayyat ka kafan agar mayyat ne maal chhoda ho to usee ke maal mein se diya jae, 

aur agar usane kuchh maal na chhoda ho to zindagee mein jisake zimme usaka naan va nafaqa tha, vah kafan de

aur aurat ke baare mein khaas taur se yah hai ki usane agaracheh maal chhoda bhee ho tab bhee usaka kafan shauhar ke zimme hai

(phataava razaviya shareef jild 23 saphah 611,bahaare shareeyat jild 1 hissa 4 saphah 139)


khulaasa yah hai ki aurat ka kafan ya doosare kharche maike vaalon ke zimme hee laazim khyaal karana aur baharahaal unase dilavaana, ek galat rivaaj hai, jisako mitaana zaruree hai



savaal :- ek savaal arz hai ki huzoor sallallaahu taaala alaihi vasallam ko kuchh log saahab bolate hain.

jaise huzoor saahab, ya nabee saahab, bolate hain, is tarah kahana kaisa hai?


javaab :- huzoor sallallaahu taaala alaihi vasallam ko saahab bolana jaayaz va durust hai lekin huzoor sallallaahu taaala alaihi vasallam ke lie laphz saahab bolana aariyon aur gairon ka tareeqa hai .

aur ise aam logon ke lie bhee istemaal kiya jaata hai jaise shekh saahab, mirza saahab, paadaree saahab, pandit saahab, vagairah, lihaaza huzoor sallallaahu taaala alaihi vasallam ke lie laphze saahab se bachana chaahie,

 haan is tarah kahana jaayaz hai ki nabee e kareem sallallaahu taaala alaihi vasallam hamaare saahab hain, aaqa hain, maalik hain, maula hain,

(phataava razaviya shareef jild 14 saphah 615)


savaal :- ek savaal yah hai ki ek shakhs jo apane aap ko sunnee kahata hai aur vah shoshal meediya par hamesha kuchh na kuchh akaabireene ahale sunnat kee tahreeron par bila vajah nukata cheenee karata hai, 

aur usase taalluqaat qaayam rakhane mein masalake ahale sunnat val jamaat ke nukasaanaat hain, agar usase dostee khatm kar lee jae to koee gunaah to nahin hogaah is savaal ka javaab inaayat karen maharabaanee hogee?


javaab :- agar vaaqaee vah shkhs akaabireene ahale sunnat kee tahreeron par bila vajah nuqata cheenee karata hai jisase masalake ahale sunnat ka nuksaan ho to usase dooree banae rakhana zaruree hai is se sharee etabaar se koee gunaah nahin

(phataava shimoogah saphah 37)


savaal :- ek savaal arz hai ki kisee ghar mein mayyat ho jaane par isee tarah bachcha paida hone ke baad poore ghar kee saaf safaee hotee hai aur kuchh log ghar naapaak samajhate hain kya yah durust hai javaab inaayat karen maharabaanee hogee?



javaab :- kuchh log ghar mein mayyat ho jaane ya bachcha paida hone ke baad ghar kee putaee karaate hain aur samajhate hain ki ghar naapaak ho gaya usakee dhulaee, safaee aur putaee karaana zaruree hai, haalaanki yah unakee galat phahamee hai, 

aur islaam mein zyaadatee hai, yoon to putaee safaee achchhee cheez hai, jab zarurat samajhen karaayen, lekin bachcha paida hone ya mayyat ho jaane kee vajah se usako karaana aur laazim jaanana jaahilon vaalee baaten hain, jinhen samaaj se door karana jarooree hai.

(galat phahamiyaan aur unakee islaah saphah 60)


soo-ratul kahaf kee phajeelat


 hazarate sayyiduna abdullaah ibne umar rajiallaahu taaala anhu se maravee hai : 

nabiyye rahamat, shafeee ummat, shahanshaahe nubuvvat, taajadaare risaalat svalallaaho alaihi vasallam ka pharamaane mubaarak hai: 

jo shakhs juma ke roz sooratul kahaf padhe us ke qadam se aasmaan tak noor buland hoga jo kiyaamat ko us ke liye roshan hoga aur do jumon ke daramiyaan jo gunaah hue hain bakhsh diye jaenge.


donon jumua ke daramiyaan noor 

hazarate sayyaduna aboo saeed rajiallaahu taaala anhu se maravee hai, hujoor saraapa noor, phaiz ganjoor, shaahe gayoor svalallaaho alaihi vasallam ka pharamaan hai .

jo shakhs baroze juma sooratul kahaf padhe us ke liye donon jumuon ke daramiyaan noor roshan hoga.


kaabe tak noor 

ek rivaayat mein hai jo sooratul kaf shabe jumua (ya nee jume raat aur juma kee daramiyaanee shab) padhe us ke liye vahaan se ka be tak noor roshan hoga.

( phaijaane jumua safah 15,16)



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